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यूनुस अलवी
मेवात : ऑल इंडिया मेव कॉसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिक्षाविद्ध साहून खां ने बताया कि उर्दू जैसी शीरी (मीठी) जबान की मिसाल किसी दूसरी भाषा में नही मिलती। आजकल उर्दू भाषा मिटने के कगार पर है। इस भाषा को जहां अधिक्तर प्रदेशों में कोई तवाज्जों नहीं दी जा रही है वहीं मुस्लिम बहुल इलाका मेवात में भी उर्दू भाषा के प्रति कोई खास लगाव नहीं है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन उर्दू भाषा पूरी तरह सपाप्त हो जाऐगी। उनका कहना है कि उर्दू किसी एक धर्म की भाषा नहीं हैं। बल्कि यह हिंदुस्तान में पैदा हुई है। हिंदु भाषा की तरह उर्दू भाषा भी हिंदुस्तान की 18 भाषाओं में से एक है।
कॉसिल के सदर साहून खान का कहना है कि 1960 से पहले के अधिक्तर सरकारी दस्तावेज उर्दू भाषा में हैं। यहां तक की थानो में दर्ज एफआईआर, राजस्व रिकोर्ड सभी उर्दू भाषा हैं। आज जब पुराने रिकोर्ड को देखने की जरूरत पडती है तो उर्दू पढे लिखे की ढूंड होती है। इसके अलावा उर्दू भाषा के मीठी होने का अंदाजा इसी से लगाया जाता सका है कि 1980 से पहले अधिक्तर हिंदी फिल्मों के गाने उर्दू में लिखे जाते थे। जिनकों आज लोग बडे अदब के साथ सुनते हैं। उन्होने कहा हिंदु, अंगे्रजी और देश की दूसरी भाषाऐं अपनी जगह हैं लेकिन जो मिठास उर्दू भाषा में हैं किसी भाषा में देखने को नहीं मिलता है। उनका कहना है कि उर्दू भाषा के बहुत से हिंदु, पंजाबी आदि समाज के लोग उर्दू भाषा के शोकीन हैं। पंजाब में तो उर्दू का अखबार कसीर से पढा जाता है।
उन्होने कहा कि आज उर्दू को जीवित रखने के लिए उर्दू तहरीर चलाने की जरूरत है। ऑल इंडिया मेव कॉसिल ने आगामी 13 जनवरी से मेवात में इसकी तहरीक चलाने का प्रण लिया है। इसकी बडकली चौक पर पहली बेठक बुलाई गई है। जिसमें सभी धर्मो के प्रमुख लोग, समाजसेवी और शिक्षाविद्धों को बुलाया गया है।