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फरीदाबाद(धर्मेंद्र यादव) : फरीदाबाद में मेयर सुमन बाला की जाति को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है । जिला अदालत ने सुमन बाला की जाति और जाति प्रमाण पत्र को सही माना था लेकिन बावजूद इसके अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है । सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के आलोक में अदालत ने फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर हरियाणा के इलेक्शन कमिश्नर और मेयर सुमन बाला को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील ने फरीदाबाद में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कुछ मामले संदेह पैदा करते हैं । मेयर सुमन बाला की जाति प्रमाण पत्र पर उन्होंने कहा की मेयर ने अपने हलफनामे में बताया गया कि उन्होंने अपनी कॉलेज की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से की लेकिन उस दौरान उन्होंने अपनी जाति संबंधी कोई साक्ष्य नहीं दिखाया। इसी तरह जब उन्होंने पार्षद के लिए अपना नामांकन भरा तभी उन्होंने 39 साल की उम्र में पहली बार अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाया। वकील का कहना है कि अगर कॉलेज में दाखिला लेने के समय उन्होंने अपनी जाति जनरल बताई तो फिर पार्षद के इलेक्शन के समय उन्होंने अपने आप को रिजर्व कैटेगरी से क्यों दिखाया। वकील ने सवाल पूछा कि अगर कॉलेज में उन्होंने खुद को रिज़र्व केटेगरी से बताया था तब उन्होंने जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं बनवाया। वकील का कहना है कि यह सब बातें संदेह पैदा करती हैं ।लिहाजा सच्चाई सबके सामने आए इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।