60 बच्चों को दिया जा रहा है कौशल प्रशिक्षण
गुरुग्राम : गुड़गांव, 30 सितंबर, 2016ः श्री राम स्कूल, मौलसरी, गुड़गांव (गुरुग्राम) में कक्षा 12 में पढ़ने वाली सत्रह साल की किशोरी सहर बाजवा ने स्कूल के बाद का कार्यक्रम अनमोल शिक्षा शुरू किया है। इसका उद्देश्य 14 से 17 साल के बच्चों को उद्यमशीलता के जरूरी कौशल सिखाकर सशक्त बनाना है।
फिलहाल श्री राम स्कूल, मौलसरी, गुड़गांव से कक्षा 12 में इंटरनेशनल बैकलाॅरियट डिप्लोमा कर रही सहर बाजवा को बच्चों को सशक्त बनाने की प्रेरणा तब मिली, जब पिछले साल वह पंजाब में बच्चों के स्कूल छोड़ने की दरों पर शोधपत्र लिख रही थीं। अनमोल शिक्षा अभियान की संस्थापिका सुश्री सहर बाजवा ने कहा, “यूनेस्को इंस्टीट्यूट आॅफ स्टैटिस्टिक्स और ग्लोबल एजूकेशन माॅनिटरिंग रिपोर्ट द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों ने मुझे चैंका दिया कि भारत में 4.70 करोड़ किशोर उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में ही नहीं पहुंच पाए हैं और रोजगार के लायक भी नहीं हो पाए हैं।”
सुश्री बाजवा ने बताया, “अनमोल शिक्षा की एक प्रायोगिक परियोजना पिछले साल पंजाब में चंडीगढ़ के निकट डेराबस्सी में सेंटर आॅफ लर्निंग खोलकर अनमोल शिक्षा की एक पायलट परियोजना शुरू की गई है और अभी वहां स्वयंसेवी शिक्षकों के जरिये 60 बच्चे काम कर रहे हैं। हमने उनके आईक्यू और ईक्यू स्तर सुधारने के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है, जिनमें नैतिक मूल्य, नेतृत्व, उद्यमशीलता और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग तथा गणित (स्टेम) में व्यावहारिक अनुभव को शामिल किया गया है। ”
खुशी से दमकती सुश्री बाजवा ने कहा, “मैं अनमोल शिक्षा को बड़े स्तर तक ले जाना चाहती हूं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को अपनी जिंदगी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और वे बेहतर ज्ञान तथा जानकारी वाले नागरिक बन सकेंगे, जो भारत के विकास में सकारात्मक योगदान कर पाएंगे।ूूूण्ंदउवसेीपोींण्बवउ की शुरुआत होने से मेक इन इंडिया अभियान को तेज करने में मदद करेगी और भारतीय नागरिकों का जीवन स्तर बेहतर होगा।”
उन्होंने कहा, “हरेक बच्चे को ऐसा कौशल प्रदान करना मेरा सपना है, जो उसे रोजगार मांगने वाले के बजाय रोजगार देने वाला बनाने में मदद करे। अनमोल शिक्षा डेराबस्सी परियोजना की सफलता के बाद हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड राज्यों में ऐसी ही परियोजनाएं शुरू करने की मेरी योजना है।” सहर ने इससे पहले देहरादून में वेलहैम गल्र्स स्कूल में पढ़ाई की थी और हार्वर्ड विश्वविद्यालय, बाॅस्टन से दो अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम किए थे, जिनमें उन्हें वंचितों के साथ काम करने का मौका मिला।