एम एम एस एस में बिना पॉलिसी के बनी प्रिंसिपल , आरटीआई से हुआ खुलासा

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 : प्रिंसिपल बनी अध्यापिका पर 2013 में लगे गंभीर आरोप कैसे हो गए साफ    ?

: बिना पॉलिसी के प्रिंसिपल बनाने और गंभीर आरोपों पर क्लीन चिट देने की शिकायत सीएम को भेजी

: एमडीए के चेयरमैन बोले अगर ऐसा है तो गहराई से होगी जांच

 यूनुस अलवी

 
एम एम एस एस में बिना पॉलिसी के बनी प्रिंसिपल , आरटीआई से हुआ खुलासा 2मेवात :    बिना पॉलिसी के एक पीजीटी अध्यापिका को प्रिंसिपल बनाने का खुलासा खुद मेवात मॉडल स्कूल्स सोसाईटी नूंह द्वारा आरटीआई के तहत दी गई जानकारी में हुआ है। बिना पोलिसी के एक पीजीटी अध्यापिका को प्रमोशन करने के मामले में जो भी अधिकारी संलिप्त हैं उनके खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई के लिए आरटीआई कार्यकर्ता कविता जैन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। वर्ष 2013 में इस अध्यापिका पर लगे कई गंभीर आरोपों पर कैसे क्लीन चिट दे दी गई और उसे कैसे प्रिंसिपल बना दिया गया इस मामले की उन्होने उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। 
     नूंह निवासी आरटीआई कार्यकर्ता कविता जैन पत्नि रविंद्र जैन ने बताया कि मेवात मॉडल स्कूल नगीना में बतौर प्रिंसिपल कार्रयत निर्मल जैन सहित करीब 19 अध्यापकों की मेवात मॉडल स्कूल्स सोसाईटी नूंह में बतौर कांट्रेक्ट पर नियुक्त किया गया था। एक मात्र निर्मल जैन को ही पीजीटी इकौनोमिक्स पर नियमित नियुक्त किया गया था। आरटीआई कार्यकर्ता ने सवाल उठाते हुऐ कहा कि जब सभी अध्यापकों को कांट्रेक्ट पर रखा गया तो फिर अकेली निर्मल जैन को ही नियमित क्यों रखा गया इसकी भी जांच होनी चाहिए।एम एम एस एस में बिना पॉलिसी के बनी प्रिंसिपल , आरटीआई से हुआ खुलासा 3
 
     कविता जैन ने बताया कि उन्होने आरटीआई के माध्यम से मेवात मॉडल स्कूल्स सोसाईटी नूंह से जवाब मांगा था कि निर्मल जैन को प्रिंसिपल कैसे बना दिया गया है। मेवात मॉडल स्कूल्स सोसाईटी नूंह द्वारा आरटीआई के जवाब में दिनांक 31 जुलाई 2017 को पत्र क्रमांक 1024 द्वारा भेजे गऐ जवाब के बिंदु संख्या नंबर 5 पर साफ-साफ अंकित है कि ‘‘जिस समय निर्मल जैन को प्राचार्य के पद पर पदोन्नत किया गया उस समय मेवात मॉडल स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत के संबंधित कोई पॉलिसी नहीं थी, निर्मल जैन को मेवात मॉडल स्कूल्स सोसाईटी नूंह के अध्यक्ष की स्वीकृति उपरांत ही पदोन्नत किया गया है’’ शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया की जब कोई पॉलिसी ही नहीं थी तो अध्यक्ष महोदय नियमों से उपर कैसे निर्णय ले सकतें हैं। इस मामले की भी जांच होनी चाहिए। उन्होने कहा कि हो सकता है कि अध्यक्ष ने रूटीन में इस पर हस्ताक्षर कर दिये हों। उन्होने बताया कि निर्मल जैन को पदोन्नत करने के लिए बडा सडयंत्र रचा गया है। 
      शिकायतकर्ता कवीता जैन का कहना है कि निर्मल जैन पर वर्ष 2013 में 25 लाख रूपये की फीस पेंडिग का गंभीर आरोप लगे थे जिसपर मेवात के तत्कालीन उपायुक्त एंव एमडीए के सीईओ ने उन्हें चार्जशीट करने का निर्णय भी लिया था। जिसकी फाईल में नोटिंग भी दर्ज है। लेकिन साल 2015 में तत्कालीन उपायुक्त मणि राम शर्मा ने चार्ज लेते ही निर्मल जैन पर लगे सभी आरोपों पर क्लीन चिट ही नहीं दी बल्कि मार्च 2016 में उनको एक पीजीटी अध्यापक से बिना पॉलिसी के प्रधानाचार्य भी पदोन्नत कर दिया। जबकी एमडीए के प्रोजेक्ट ऑफिसर ने शमीम अहमद ने कार्यालय के नोट दिनांक 16 दिसंबर 2015 को साफ लिया है कि प्रिसिंपल के पोस्ट की पदोन्नति के लिए कोई पोलिसी नहीं हैं। इसके बावजूद भी उसे प्रोमोट कर दिया गया। उन्होने कहा कि इस मामले की सीएम विंडों के माध्यम से मुख्यमंत्री को शिकायत भेजकर किसी उच्च स्तरीय अधिकारी से कराई जानी चाहिए।
 

क्या कहती हैं आरोपित प्रिंसिपल निर्मल जैन ?

 
पीजीटी से प्रमोट होकर प्रिंसिपल बनी निर्मल जैन का कहना है कि पोलिसी बनाना एमडीए के चेयरमैन और वाईस चेयरमैन का काम है। उन्होने पोलिसी बनाकर ही उसको प्रिसिपल बनाया है। वहीं वर्ष 2013 में उस पर फीस कलेक्शन ना करने के आरोप लगे थे। जिनको डीसी के आदेश के बाद फीस कलेक्शन पूरी कर दी गई थी। उन्होने कहा कि उसके ऊपर साजिशन थे जिनको जांच के बाद निराधार पाया गया था। 

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