फजीहत करवाने के बाद पीछे हटना पड़ा राजस्थान की भाजपा सरकार को : साबिर कासमी 

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भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला बिल अब प्रवर समिति को भेजा। सीएम को नहीं विधानसभा की परवाह

यूनुस अल्वी   

 
मेवात : 24 अक्टूबर को राजस्थान सरकार ने पीछे हटते हुए भ्रष्टाचारियों को बचाने और सीआरपीसी की धारा 156 में बदलाव करने वाले बिल को विधानसभा की प्रवर समिति को भेज दिया। यानि अब यह बिल विधानसभा के इसी सत्र में मंजूर नहीं हो सकेगा। सरकार ने अब बिल में संशोधन करने का मन भी बना लिया है। सरकार और उसकी मुखिया वसुंधरा राजे ने यह फैसला काफी फजीहत के बाद लिया। वसुंधरा राजे के शासन में भ्रष्टाचार को लेकर पहले ही आरोप लगते रहे हैं। आज विधानसभा में अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर कैलाश मेघवाल चाहे सरकार को बचाने का कितना भी जतन करें, लेकिन सब जानते हैं कि इन्हीं कैलाश मेघवाल ने वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में कई हजार करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, तब मेघवाल सबूतों का पुलिंदा लेकर दिल्ली तक गए थे। सरकार की ऐसी छवि के बीच ही भ्रष्टाचार को बचाने और मीडिया पर अंकुश लगाने वाले बिल जब विधानसभा में रखा गया तो चैतरफा विरोध हुआ। कांग्रेस ने भले ही राजनीतिक कारणों से इस बिल का विरोध किया हो, लेकिन आम जनता में सरकार की छवि और खराब हुई। जिन लोगों का सरकारी दफ्तरों में काम पड़ा, उन्हें पता है कि रिश्वत के बिना काम नहीं हुआ। यानि मकान का नक्शा पास कराने से लेकर जमीन की रजिस्ट्री करवाने तक में रिश्वत देनी पड़ी जो लोग सरकार के ठेकेदारी लेते हैं, उन्हें तो अच्छी तरह पता है कि अधिकांश नेता और अफसर कितने भ्रष्ट हैं। ऐसे में यदि सरकार ऐसा कानून ला रही है जिसमें भ्रष्टाचारियों का संरक्षण हो तब तो आम लोगों को गुस्सा आएगा ही और जब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर खुद सरकार की छवि भी दाव पर लगी हो तो फिर सरकार को समझदारी दिखानी चाहिए। यह माना कि सरकार भ्रष्टाचार को खत्म नहीं कर सकती, लेकिन सरकार को भ्रष्टाचारियों के साथ खड़ा तो नहीं होना चाहिए। सरकार माने या नहीं लेकिन बिल विधानसभा में रखने से सरकार की फजीहत हुई है  इन विचारों का इजहार आज जमीयत उलेमा की पेस वार्ता के दौरान जयपुर में किया 
उनहोने कहा कि सरकार जल्द ही इस बात का खामियाजा भाजपा को राजस्थान में होने वाले उपचुनावों और अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव में भी उठाना पड़ेगा। जिस विधानसभा से सीएम राजे इस बिल को पास करवाना चाहती है उस विधानसभा की सीएम परवाह ही नहीं करती। जयपुर में 23 अक्टूबर से भले ही विधानसभा का सत्र चल रहा हो, लेकिन सीएम इसमें उपस्थित नहीं हो रही हैं। 23 अक्टूबर को पहले दिन सीएम अजमेर डेयरी के समारोह में भाग लेने के लिए आ गई तो 24 अक्टूबर को अजमेर संसदीय क्षेत्र के ही दूदू विधानसभा क्षेत्र में जनसंवाद करवा लिया। कहा जा रहा है कि 25 अक्टूबर को भी सीएम फिर अजमेर आएंगी। 

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