प्रजापति हीरोज संस्था की ओर से शिवमूर्ति चौक गुरुग्राम में माटी के दीप जलाओ कार्यक्रम आज
संस्था ने की कार्यक्रम में शामिल होने की अपील
चाइनिज वस्तुओं के पूर्णतः वहिष्कार का आह्वान
बड़े पैमाने पर लोगों का मिल रहा है समर्थन
गुरुग्राम । भारतीय प्रजापति हीरोज आर्गेनाईजेशन गुरुग्राम ने चाइनीज वस्तुओं का वहिष्कार करने का आह्वान करते हुए माटी के दीप जलाओ कार्यक्रम का आयोजन किया है। मिशन माटी के दीप के तहत भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए यह कार्यक्रम आज यानी रविवार को शाम साढ़े पांच बजे शिव मूर्ति चौक पर आयोजित किया गया है। इसमें संस्था द्वारा माटी के 1500 दीये जल कर लोगों को संदेश दिया जाएगा। संस्था के सफ़सयों ने लोगों से बड़ी संख्या में शामिल होकर पौराणिक परम्पराओं के प्रति एकजुटता दिखाने की अपील की है।
प्रजापति हीरोज ग्रुप के सदस्य होशियार सिंह के अनुसार यह आयोजन लोगों को भारतीय परम्पराओं के प्रति जागरूक करने और विदेशी वस्तुओं से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के प्रति सजग करने के लिये किया गया है। उन्होंने बताया कि माटी के दीये हमारी पौराणिक संस्कृति के प्रतीक ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं। हमारे पूर्वजों व ऋषि मुनियों ने बहुत रिसर्च कर इस परंपरा को अपनाया था।
आज दुनिया ऐसे समान के उपयोग पर बल दे रही है जो रीसायकल हो सके और मिट्टी के दिये इस लिहाज से सबसे बेहतर विकल्प है। इसे उपयोग के बाद आसानी से डिस्पोज किया जा सकता है लेकिन चाइनिज वस्तुओं से पर्यावरण को नुकसान तो होता है साथ ही भारतीय घरेलू उद्योग को भी बड़ा नुकसान हो रहा है। माटी के बर्तन व दीप बनाने वाले आज हजारों लोग इस देश में बेरोजगार हो गए हैं।हमारी अर्थव्यवस्था को भी चाइनिज व्यवसाय से हानि हो रही है। हमे यह ध्यान रखना चाहिए कि माटी के दीप व बर्तनों को हमारे शास्त्र व वेद सर्वाधिक पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं।
इसलिए हमें पुनः अपनी संस्कृति को अपनाना है और सदा के लिए चाइनिज वस्तुओं का पूर्ण वहिष्कार करने की शपथ लेनी चाहिए। उन्होंने गुरुग्राम शहर के बाहर के लोगों से भी इस अभियान में शामिल होने और इस सामाजिक व सांस्कृतिक जागरूकता अभियान में शामिल होने की अपील की है। माटी के दीप का उपयोग हमारी वैदिक परम्परा के अनुकूल तो है ही साथ ही पूरी तरह वैज्ञानिक भी है। यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के हित में भी है। इसमें हर हिन्दू का योगदान जरूरी है। यह हम सबका कर्तव्य और धर्म है कि हम अपनी संस्कृति को जीवित रखें ।