बारिश ना होने से मेवात में फसल सूखने के कगार पर

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खास खबर

: मेवात में 50 फीसदी से कम ही हो सकी बिजाई

: जनवरी से अगस्त तक मात्र 292 एमएम हुई बारिश

: सबसे कम नगीना खंड में 122 एमएम रिकोर्ड की गई

: फसल सूखने से हरे चारे की तंगी, पशुओं को सस्ते में बैचने को मजबूर

यूनुस अलवी

 
 मेवात :    मेवात इलाका कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहां पर 90 फीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं। मेवात इलाके का 70 फीसदी क्षेत्र बारिश पर आश्रित है। इस बार मेवात इलाका में मात्र 292 एमएम बारिश हुई है जबकि हरियाणा में 450 एमएम से अधिक रिकोर्ड की गई है। मेवात के नगीना इलाके में सबसे कम 122 एमएम ही बारिश हो सकी है। प्रयाप्त बारिश ना होने और मेवात मेे ज्वार, बाजरा आदि की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। फसल सूखने की वजह से पशुओं को हरा चारा की किल्लत हो गई है। मजबूर होकर लोग अपने पशुओं को सस्ते दामों में बैचने को मजबूर हो रहे हैं। अल्लाह और भगवान को राजी करने के लिए मुस्लिम समाज के लोग गांव से बहार निकल कर बारिश की दुआ कर रहे हैं वहीं हिंदु समाज के लोग यज्ञ कर रहे हैं।
 
  प्राप्त जानकारी के अनुसार मेवात इलाका में खरीफ के समय ज्वार, बाजरा, मक्का, गवार, कपास, धान, ढेंचा, गन्ना के अलावा तिलहन, अरहड और मूंग की फसल की बिजाई की जाती है। नूंह जिला का एक लाख, 49 हजार 782 हेक्टियर कुल भोगोलिक एरिया है। जिसमें एक लाख 15 हजार 647 हेक्टियर कृषि योग्य क्षेत्रफल है। 
 
  मेवात जिला में खरीफ की फसल इस बार गवार 90 हेक्टियर, ज्वार 10330 हेक्टियर,  बाजरा 24200 हेक्टियर, कपास 4850 हेक्टियर, मक्का 14 हेक्टियर, ढेंचा 1380 हेक्टियर, धान 4602 हेक्टियर, अरहर 990 हेक्टियर, मूंग 110 हेक्टियर, गन्ना 290 हेक्टियर, तिलहन 100 हेक्टियर के अलावा अन्य 485 हेक्टियर सहित जिले मेें कुल 47619 हेक्टियर फसल की बिजाई गई है।
 
   मेवात जिला में जनवरी से अगस्त तक मात्र 282 एमएम ही बारिश हो सकी है। जबकि खरीफ की फसल को जून से सितंबर तक बारिश की जरूरत पडती है। इस बार हरियाणा में करीब 450 एमएम बारिश रिकोर्ड की गई है।  जून से अगस्त तक मेवात में मात्र सो एमएम के करीब बारिश ही हो सकी है। वहीं जनवरी से अगस्त तक नगीना ब्लोक में मात्र 122 एमएम ही बारिश हो सकी है। मेवात का नगीना फिरोजपुर झिरका और तावडू तथा पुन्हाना का 40 और नूंह का 30 फसदी इलाका बारिश पर ही निर्भर रहता है। बारिश हो जाती है तो फसल पक जाती है। पिछले 20 सालों से मेवात में बारिश कम होने की वजह से वाटर लेवल भी सौ से 200 फीट तक गहरा चला गया है। बारिश ना होने की वजह से नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना और नूंह के अधिक्तर गावों में ज्वार, बाजरा, कपास आदि का फसल सूख चुकी है।
 

क्या कहते हैं किसान ? 

 
किसान अखतर हुसैन, शहीद नंबरदार, किसार जियाउद्दीन का कहना है कि उनके क्षेत्र में सरकार ने नहर तो बना रखी है पर उनमें भी पानी आता ही नहीं हैं। गांव खानपुर घाटी के पास से गुरनेवाली बनारसी डिस्ट्रीब्यूट्री में पिछले 12 साल से पानी नहीं आया है। उनके इलाके केवल बारिश पर ही निर्र्भर करते हैं। बारिश ना होने से उनकी 50 फीसदी उनकी फसल सूख चुकी है। फसल सूखने से हरे चारा की तंगी आ जाने से उनको सस्ते में पशुओं को बैचना पड रहा है। उन्होने सरकार से सूखी फसल का मुआवजा देने की मांग की है।
 

क्या कहते हैं अधिकारी ? 

 
कृषि विभाग नूंह के एसडीओ डाक्टर अजीत सिंह ने बताया कि मेवात की कुल एक लाख 15 हजार 647 हेक्टियर कृषि योग्य भूमि में खरीफ की 47619 हेक्टियर जमीन पर बिजाई की गई है। विभाग की ओर से उनको 57400 हेक्टियर का टारगेट दिया गया था। उन्होने बताया कि रबी की बिजाई के समय मेवात जिला में करीब एक लाख 15 हेक्टियर की बिजाई हो जाती है। उन्होने माना की इस बार बारिश कम हुई है लेकिन अभी फसल सूखी नहीं हैं।

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