पाक को झटका देने को सिन्धु समझौते पर बैठक शुरू

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पीएम नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं सिंधु समझौते की समीक्षा

 

नई दिल्‍ली : पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए केंद्र सरकार उन सभी संभावनाओं को टटोलने में जुटी गयी है. जिससे विना किसी भारतीय नुकसान के उसे घुटने टेकाया जा सके.  प्रदाहन मंत्री निवास ,7 लोक कल्याण मार्ग रोड में इस दृष्टि से ही पीएम नरेन्द्र मोदी आज सिंधु जल समझौते की समीक्षा कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि पीएम कि अध्यक्षता में इस समझौते की समीक्षा के लिए आज एक बैठक बुलाई गयी है।

उमा भारती व सुषमा स्वराज के साथ भी होगी चर्चा

इस सम्बन्ध में शीघ्र ही जल संसाधन मंत्री उमा भारती एवं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ भी पीएम कि बैठा होगी. बताया जाता है कि इस बैठक में जल संसाधन मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो रहे हैं. इस बैठक में अधिकारी जल समझौते के विभिन्न पहलुओं से पीएम को अवगत कराएंगे। सिंधु जल समझौते के प्रावधानों को किस तरह पाकिस्तान पर दवाव बनने कि दृष्टि से उपयोग किया जा सकता है. इस पर गंभीरता से विचार किया जायेगा.  संभावना प्रबल है कि सरकार इस समझौते को लेकर बेहद कड़ा रुख अपना सकती है। इस मामले पर भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली का कहना है कि बैठक में निश्चित रूप से सिन्धु जल समझौते को लेकर सभी पहलुओं पर विचार किया जायेगा. बैठक की जानकारी आधिकारिक रूप से दी जाएगी.

संधि के नफा व नुकसान दोनों पर चर्चा

सूत्रों का कहना है कि बैठक में संधि के नफा व नुकसान दोनों पर चर्चा होगी.  उल्लेखनीय है कि यह संधि 56 साल पहले की गई थी जिसके तहत भारत और पाकिस्तान छह नदियों का पानी बांटते हैं। भारत में लगातार संधि को रद्द करने की मांगें हो रही हैं ताकि इस हफ्ते की शुरुआत में उरी में हुए आतंकी हमले को देखते हुए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जा सके।

1960 की संधि पर काले बदल मंडराने लगे

गौरतलब है कि सरकार की ओर से यह बयान बीते दिनों उस वक्त आया, जब भारत में ऐसी मांग उठी है कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए इस जल बंटवारे समझौते को रद्द किया जाये. दूसरी ओर, केंद्र की ओर से पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते की समीक्षा करने का संकेत दिये जाने के बाद जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने भी कहा था कि केंद्र सरकार 1960 की इस संधि पर जो भी फैसला करेगी, राज्य उसका पूरा समर्थन करेगा।

छह नदियों के पानी का बटवारा

उल्लेखनीय है कि इस संधि के तहत ब्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के पानी का दोनों देशों के बीच बंटवारा होत है। ततकालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपाति अयूब खान ने सितम्बर, 1960 में इस संधि को अंतिम रूप दिया था. पिछले दिनों विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यह संकेत दिया था कि दोनों देशों के बीच इस संधि के क्रियान्वयन को लेकर मतभेद है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था कि यह एक तरफा मामला नहीं हो सकता। उनसे पत्रकारों ने पूछा था कि क्या सरकार भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार करेगी। तब संकेत मिला था कि कुछ भी हो सकता है. अब देश में इस  मामले पर सर्वसम्मत बनती दिखाई दे रही है कि इस समझौत को रद्द किया जाये.

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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