मेवात के मदरसों में धूम-धाम से मनाया गया आजादी का जश्र

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जमयित उलमा हिंद की नोर्थ जोन के अध्यक्ष पहुंचे समारोह में

 

यूनुस अलवी

मेवात के मदरसों में धूम-धाम से मनाया गया आजादी का जश्र 2 मेवात : भले ही मदरसों में आजादी के जश्र के दौरान तिरंगा ना फैराने के इलजाम लगते रहे हों लेकिन मंगलवार को नूंह जिला के सैंकडों मदरसों में 71वां आजादी का जशन धूमधाम से मनाया गया। मेवात के अधिक्तर मदरसों के प्रबंधकों ने ही झंडा फैहराया और सलामी दी। इस मौके पर मदरसा के लडके और लडकियों ने आजादी के जौशीले भाषण और जश्र ए आजादी के नगमें गाकर सबकों देश भक्ति से लबरेज कर दिया।
 
    मेवात के पुन्हाना उपमंडल स्थित गांव तिरवाडा के मदरसा जीनतुल इसलाम में जमीयत उलमा हिंद के चार राज्य पंजाब, हरियाणा, चंदीगढ और हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष मोलाना याहया करीमी ने झंडा फैहराया। इस मौके पर मदरसा में शिक्षा ग्रहण करने वाले लडके और लडकियों ने हाथों में तिरंगा ले रखा था। वहीं जश्र-ए-आजादी के मौके पर मदरसें में आयोजित किऐ गऐ समारोह में भारी संख्या में ग्रामीण और उलमा मौजूद थे।
 
   जमीयत उलमा हिंद के चार राज्य पंजाब, हरियाणा, चंदीगढ और हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष मोलाना याहया करीमी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुऐ कहा कि जो लोग मदरसों में आजादी का जश्र ना मनाने और झंडा ना फैहराने की बात करते हैं असल में उन्होने देश की आजादी में हिस्सा ही नहीं लिया। उनको पता ही नहीं है की आजादी कैसी होती और कितनी कुर्बानियों से मिली है। उनका कहना है कि दारूल-उलूम-देवबंद का उदय 1866 में आजादी के लिऐ ही हुआ था। देश की आजादी में देश के अन्य लोगों से कही ज्यादा उलेमाओं ने अपनी कुर्बानिया दी हैं।
 
मेवात ही नहीं बल्कि देश के अधिक्तर मदरसों में पहले से ही जश्र-ए-आजादी मनाई जाती है। इस मौके पर उन्होने कहा कि पहले देश में हिंदु, मुस्लिम, सिख, इसाई ही सुनते आ रहे हैं लेकिन जब से भाजपा सरकार आई है उसने इनके साथ पांचवी जाति दलित बना दी है। उन्होने कहा हिंदुस्तान जैसा मुल्म दुनियां में नहीं हैं जहां के बासिंदों को हर तरीके की आजादी मिली हुई है। 
 

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