क्या हरियाणा पर कर्ज का बोझ बढ़ा है ?

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल का गोलमटोल जवाब ! 

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

गुरुग्राम : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के इसतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब हरियाणा का बजट एक लाख  दो हजार करोड़ रुपए का प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश की आय के मुकाबले खर्च ज्यादा होता था जो 102 प्रतिशत था पंरतु उनकी सरकार ने इन खर्चों को कम किया है जो अब 89.9 प्रतिशत पर है। उन्होंने कहा कि अब लगभग 13 प्रतिशत की बजत हो रही हैं जिसे विकास के काम में लगाया जाएगा। उन्होंने माना कई विकास कार्यों के लिए सरकार को कर्ज लेनी पड़ी है लेकिन कर्ज की पहले की सरकारों की अपेक्षा कर्ज की राशि बढ़ी है या नहीं इस पर उन्होंने गोलमटोल जवाब दिया.

 

गुरुग्राम स्थित पत्रकार सम्मलेन में मंगलवार को उन्होंने कर्जे बढ़ने सम्बन्धी पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के चार बडे खर्च होते हैं जिनमें वेतन, पेंशन, भुगतान और ब्याज शामिल हैं। उन्होंने तर्क दिया कि बिजली विभाग का 25500 करोड रूपए की कर्ज उतारा गया है जिससे प्रदेश सरकार को काफी नुकसान हो रहा था। इस कर्ज को चुकाने से भारी ब्याज को देने से राहत मिली हैं। बिजली विभाग को पहले 30 प्रतिशत का लाईन लोस हो रहा था और वर्तमान सरकार ने इस लाईन लोस को 25 प्रतिशत तक  किया है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष तक यह लाईन लोस 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।

 

बजट घाटा और प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के सवाल पर उन्होंने गोलमटोल जवाब दिया. उनका कहना था कि कुछ विकास कार्यों के लिए सरकार ने कर्ज लिया है लेकिन कर्ज का प्रतिशत हाल के वर्षों में कितना बढ़ा है इसे वे टाल गए. उनके द्वारा सांकेतिक तथ्यों के हवाले से संकेत स्पष्ट है कि हरियाणा पर कर्ज का बोझ बढ़ा है लेकिन उन्हें आने वाले वर्षों में जीएसटी लागू होने से होने वाली आय से इसकी भरपाई होने की उम्मीद दिख रही है.

उनका कहना है कि अगर जीएसटी से राज्य की वर्तमान आय में कमी आएगी तो इसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. इसलिए विकास कार्यों की गति बनाये रखने की दृष्टि से कर्ज लेना भी आवश्यक है जिसे आने वाले वर्षों में कम करना संभव हो सकेगा.

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