राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का प्रथम चरण
24 अगस्त व 28 अगस्त को दवा खिलाई जाएगी
चंडीगढ़, 13 जुलाई : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के प्रथम चरण में 24 अगस्त को हरियाणा के सभी जिलों के सरकारी, मान्यता प्राप्त तथा निजी स्कूलों, आँगनवाड़ी केन्द्रों, गैर-स्कूली बच्चों यानि ईंटों भट्ठों तथा ढाबों इत्यादि में काम करने वाले 1 से 19 वर्ष तक के लगभग 78 लाख बच्चों को कृमि नाशक दवा नि:शुल्क दी जाएगी। यह दवा सभी स्कूलों और आँगनवाड़ी केन्द्रों में मुफ्त खिलाई जाएगी और 24 अगस्त को छूट गये बच्चों को 28 अगस्त को यह दवा खिलाई जाएगी। यह कार्य शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज तथा जनस्वास्थ्य जैसे अन्य सहायक विभागों के सहयोग से पूरा किया जाएगा।
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने आज यहां विभिन्न विभागों के साथ एक राज्य स्तरीय बैठक के दौरान बताया कि केन्द्र सरकार ने ‘कृमि से छुटकारा, सेहतमंद जीवन हमारा’ स्लोगन के अंर्तगत समस्त भारत के 1-19 वर्ष के बच्चों को कृमि मुक्त करने के लिए एक विशेेष दिवस मनाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाने का निश्चय मिट्टी संचरित पेट के कीड़ों की समस्या को खत्म करने की दिशा में उठाया गया कदम है। कृमि मुक्ति दिवस समस्त भारत में अगस्त व फरवरी माह में मनाया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभिभावक अपने 1 से 19 वर्ष के सभी बच्चों को कृमि नियंत्रण के लिए चबानेे वाली एल्बेंडाजोल की गोली अवश्य खिलाएं। जो बच्चे पहले से किसी बिमारी से ग्रस्त हैं या कोई अन्य दवा खा रहे हैं उन्हें यह दवा नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, जो बच्चे किसी कारणवश 24 अगस्त को दवा खाने से छूट गए हैं उन्हें 28 अगस्त को यह दवा खिलाई जाएगी । उन्होंने बताया कि बच्चों में अधिक कृमि होने से जी मिचलाना, दस्त, पेट दर्द, कमजोरी, भूख न लगना जैसे लक्षण हो सकते हंै। बच्चों के पेट में कीड़ों से कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हंै जैसे खून की कमी होना, थकावट होना, पढ़ाई में मन न लगना आदि। इसलिए हमें बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रहकर अच्छे से पढ़ाई कर सकें।
श्री विज ने कहा कि इस अभियान को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर सभी आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सभी विभाग आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में 1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को दवा खिलाना सुनिश्चित करें। माता-पिता भी अपने बच्चों को दवा खिलाकर उनका अच्छा स्वास्थ्य एवं उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए इस कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग दें।