गृहस्थ आश्रम की महिमा सबसे ऊपर : मंहत राधेश्याम

Font Size

             katha-tigaon-2-a                                   katha-togaon-3-a                                                                                                                                                                   

कथा का सातवां दिन :

गृहस्थ सुखमय से जीवन सुखमय

फरीदाबाद/तिगांव, 23 सिंतबर : कुराली मोड पर चल रही श्री शिवपुराण कथा के सातवें दिन मंहत राधेश्याम व्यास ने शिवभक्तों को समस्त आश्रमों के बारे में बताते हुए कहा कि मानव जीवन में चार आश्रम का उल्लेख आता है। जिसमें पहला बह्मचर्य, दूसरा वानप्रथ,तीसरा संन्यास और चौथा गृहस्थ आश्रम बताएं गए हैं। जिसमें से संतों ने गृहस्थ आश्रम को सर्वश्रेष्ठ माना है। क्योंकि इस गृहस्थ की ताकत से ही तीनों आश्रमों का जन्म और पालन का कारक  माना गया है।
मंहत जी ने कहा कि गृहस्थ आश्रम से मानव विधिवत ज्ञान से धर्म, कर्म सुचारू रूप से करते हुए अन्य तीनों आश्रमों का सहयोग करते हुए आगे की तरफ प्रगति करता है। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर पाप बढ़ा है तो ईश्वर ने किसी न किसी रुप में गृहस्थ जीवन अवतार लेकर पाप व पापियों का नाश करते हुए पुन: सनातन धर्म की स्थापना की है। इस गृहस्थ जीवन में प्रभू की एक से बढकर एक लीलाओं का वर्णन कहा और सुनाया जाता रहा है। इस गृहस्थ आश्रम को सुखमय,आन्नदमय,भक्तिमय और कल्याणमय बनाने हेतु मनुष्य को निंरतर किसी न किसी रुप में एक-दूसरे की मदद करते रहना चाहिए।
महंत राधे श्याम ने शिवभक्तों को गृहस्थ जीवन का सुखमय बनाने की टिप्स बताते हुए कहा कि मानव को गृहस्थ जीवन में रहते हुए सबसे पहले अपने आपसी विश्वास और तालमेल को ठेस नहीं पहुंची चाहिए। उनको चाहिए कि घर में विधिवत तरीके से ईश्वर की उपासना, पूजन, पाठ, जप, तप और यज्ञ के साथ सामर्थतानुसार दान करते हुए धर्म-कर्म करते रहना चाहिए। उसको अतिथि सेवा भाव,असंतोष,भोग, लालसा और अधिक इच्छा का त्यागकर प्रति अपने जीवन पर ममन करते हुए अपने द्वारा अच्छे कर्म करते हुए अपने व अपने परिवार के जीवन को स्वर्णमय बनाने का अथक प्रयास करते रहतना चाहिए। इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेश नागर, कर्मवीर बौहरा,मुकेश वर्मा, राजेश अधाना, राजेन्द्र बिंदल, श्री मंहत व्यास धर्म प्रचार व जन कल्याण संस्थान के अध्यक्ष नगेन्द्र उर्फ गिन्नी, समिति के सचिव आरके वर्मा, पंडित शशिकांत शर्मा, गौरव शर्मा, राहूलदेव शर्मा, पप्पी नागर, नंबरदार महकसिंह अधाना, भगवत मित्तल, ज्ञानचन्द्र मित्तल, बिजेन्द्र गर्ग के अलावा हजारों की संख्या में महिला,पुरूष,बुर्जुग व बच्चें उपस्थित रहे।

You cannot copy content of this page