हरियाणा कबिनेट ने दी गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण अध्यादेश को मंजूरी

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चंडीगढ़ :  हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) अध्यादेश, 2017 को मंजूरी दी गई।
अध्यादेश का उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता और रोजगार अवसरों का सृजन करके निवासियों के लिए जीवनयापन के उचित मानकों के माध्यम से और एकीकृत और समन्वयित योजना, अवसंरचना विकास और शहरी सुविधाओं के प्रावधान, मोबिलिटी मैनेजमेंट, शहरी पर्यावरण के स्थायी प्रबंधन और सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास करके गुरुग्राम महानगर क्षेत्र के निरंतर, सतत और संतुलित विकास के लिए एक दृष्टिकोण विकसित करना है। 
राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, गुरुग्राम जिले के नियंत्रित क्षेत्रों की सीमाओं के अंदर आने वाले तथा शहरी विस्तार की क्षमता वाले किसी भी क्षेत्र; तथा किसी या सभी स्थानीय प्राधिकरणों जैसे कि नगर निगम, गुरुग्राम; नगर परिषद, सोहना; नगरपालिका पटौदी, फर्रुख नगर तथा हेली मंडी; और गुरुग्राम जिले में किसी भी पंचायत में किसी भी भूमि को आबादी देह घोषित कर सकती है। 
मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे। इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण को सलाह देने और इसकी शक्तियों के इस्तेमाल और इसके कार्यों के प्रदर्शन के संबंध में मार्गदर्शन करने के लिए एक निवासी सलाहकार परिषद होगी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस निवासी सलाहकार परिषद के अध्यक्ष होंगे, जो परिषद तथा अन्य सदस्यों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह परिषद अवसंरचना विकास, मोबिलिटी मैनेजमेंट तथा शहरी परिवेश के स्थाई प्रबंधन के लिए योजना हेतु वार्षिक कार्य योजना की निगरानी और कार्यान्वयन करेगी तथा सिफारिशें करेगी और परामर्श देगी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा इन सिफारिशों के साथ-साथ की गई या की जाने वाली कार्रवाई का एक व्याख्यात्मक ज्ञापन प्राधिकरण के समक्ष रखा जाएगा। 
गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण समन्वित और एकीकृत अवसंरचना विकास और शहरी सुविधाओं के प्रावधान, मोबिलिटी मैनेजमेंट, शहरी पर्यावरण के स्थायी प्रबंधन, शहरी पुनर्गठन और अधिसूचित क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास के प्रावधान को सुरक्षित करेगा। इसके अलावा, यह इस तरह के उपाय करेगा या केंद्र सरकार , राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी के साथ समन्वय करेगा जो उद्देश्य के लिए आवश्यक और विवेकपूर्ण होंगे।
प्राधिकरण राज्य सरकार को प्राधिकरण के प्रयोजनों के लिए जमीन अधिग्रहण और भूमि खरीदने, विनिमय, हस्तांतरण, पट्टे, प्रबंधन और निपटान के लिए सिफारिश कर सकता है। इसके अलावा, प्राधिकरण बुनियादी ढांचे के विकास और शहरी पर्यावरण के स्थायी प्रबंधन के लिए योजनाओं को लागू करने के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकता है। 
यह अधिसूचित क्षेत्र में योजना के उद्देश्यों और भूमि, बुनियादी ढांचा, शहरी सुविधाओं और शहरी परिवेश के लिए आधुनिक भू-स्थानिक आधारित प्रणाली स्थापित करने, चल या अचल सम्पतियों का अधिग्रहण, पट्टे, प्रबंधन, रख-रखाव और निपटान भी कर सकता है। इसके अलावा, यह प्राधिकरण के नियंत्रण और प्रबंधन के तहत या उसके अधीन आने वाले स्थान, पैदल यात्री फुटपाथ या संपत्तियों सहित सडक़ों पर किसी भी बाधा या अतिक्रमण को निकालने के लिए अधिकार क्षेत्र के स्थानीय प्राधिकारी या जिलाधिकारी को निर्देश दे सकता है।
    प्राधिकरण कई समन्वय समितियों और कई स्थायी समितियों का गठन कर सकता है, जैसा कि वह उचित समझेगा। प्राधिकरण किसी भी कार्य का निर्वहन करने के लिए या निगरानी या रिपोर्ट करने के लिए निर्धारित की गई शक्तियों का प्रयोग करेगा। समन्वय समिति में प्राधिकरण या राज्य सरकार के अधिकारियों या राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी भी बोर्ड या कंपनी के अधिकारी शामिल होंगे, लेकिन स्थायी समिति में अधिसूचित क्षेत्र के निवासियों को शामिल किया जाएगा जो प्राधिकरण या राज्य सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रित किसी बोर्ड या कंपनी के कर्मचारी नहीं हैं । ऐसे व्यक्तियों की संख्या इसकी कुल सदस्यता का एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी।
    राज्य सरकार प्राधिकरण को वार्षिक आधार पर ऐसे अनुदान, ऋण या ऐसे धनराशि प्रदान कर सकती है, जिसे वह आवश्यक समझेगी। ऐसे सभी अनुदान, ऋण या अग्रिम ऐसे नियमों और शर्तों पर होंगे, जैसा कि राज्य सरकार निर्धारित करेगी। प्राधिकरण राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किए जाने वाले ऐसे नियमों और शर्तों पर, समय-समय पर राज्य सरकार के अलावा अन्य स्रोतों से ऋण, बांड या डिबेंचर के माध्यम से धन उधार ले सकता है।
    प्राधिकरण हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्र अधिनियम, 1975 के विनियमन के तहत अधिसूचित क्षेत्र में लाईसैंसशुदा मालिक द्वारा भुगतान किया गया या देय और बाहरी विकास कार्यों के लिए आनुपातिक विकास शुल्क प्राप्त करने का पात्र होगा। बशर्ते कि इस तरह के आनुपातिक विकास शुल्क इस अधिनियम के तहत निदेशक द्वारा एकत्रित और प्राधिकरण को हस्तांतरित किये गए हों। प्राधिकरण के पास अधिसूचित क्षेत्र की सीमा के भीतर अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर उस समय राज्य में लागू भारतीय स्टाम्प एक्ट, 1899 के तहत लगाए गए शुल्क के अतिरिक्त एक अन्य शुल्क लगाने की शक्ति होगी।
    राज्य सरकार हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सिफारिशों पर अधिसूचना द्वारा इस अध्यादेश के लागू होने की तिथि से तीन माह की अवधि के भीतर संपत्ति के हस्तांतरण, सम्पति पर ब्याज, प्राधिकरण के अधिकार और देनदारियों के लिए एक हस्तांतरण योजना प्रकाशित करेगी। साथ ही, राज्य सरकार, इस अध्यादेश के लागू होने से तीन साल के भीतर और उसके बाद हर तीसरे वर्ष की समाप्ति पर, उस अवधि के लिए प्राधिकरण के प्रदर्शन के मूल्यांकन और समीक्षा के लिए निर्धारित मानदंड और संख्या के अनुसार सदस्यों की एक समिति गठित करेगी। समिति में राष्ट्रीय स्तर और शहरी प्रशासन, अवसंरचना विकास, पर्यावरण, प्रबंधन और सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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