स्कूल में  सौ छात्राओं पर तीन कमरे केसे हो पढाई

Font Size

 भेड बकरियों कि तरह ठूंस-ठूंस कर भर कर रखा जाता है छात्राओं को

 कमरों कि कमी से छात्राऐं पेड और धूम में पढने को मजबूर हैं

यूनुस अलवी
मेवात: सरकार के बेटी पढाओं और बेटी बचाओ के नारे कि पोल खोलता पुन्हाना का गर्ल स्कूल। कमरे दो, छह सौ से भी ज्यादा बच्चे अध्यापक केवल तीन कैसे हो पढाई इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यह हाल मेवात जिला के कस्बा पिनगवां के वरिष्ट माध्यमिक कन्या विद्यालय का है। कमरों की कमी की वजह से जहां मासूम लडकियों को गर्मी के मौसम में धूप में पढना पडता है, वहीं बरसात के दिनों में बढाई कि बजाये बच्चों की छुट्टी करनी पडती है। स्कूल के अध्यापक और बच्चे अपनी इस परेशानी को गांव के सरपंच से लेकर डीसी तक पहुंचा चुके हैं पर कोई अमल नहीं हुआ। सर्दी, गर्मी और बरसात के दिनों में बहार पढाई करने से बच्चों को विभन्न प्रकार की बिमारी जकड लेती हैं। बच्चों को इन कमरों में भेड-बकरियों कि तरह ठूंस-ठुंस कर भरा जाता है। 
 
    पुन्हाना उपमंडल के कस्बा पिनगवां स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय वर्ष 1942 से एक प्राईमरी स्कूल से शुरू हुआ था। बच्चों की संख्या देखते हुऐ सरकार ने इस स्कूल का समय-समय पर दर्जा तो बढा दिया लेकिन कमरा एक भी नहीं बनाया गया। वर्ष 1978 में मिडिल, 1982 में हाई और 1997 में बारहवीं कक्षा का दर्जा दिया गया था। आज तक सरकार ने इसमें एक भी कमरे का निर्माण नहीं कराया है। इस स्कूल में प्राईमरी के समय कुल आठ कमरे थे और आज भी आठ ही हैं। इन आठ कमरों में से एक प्राचार्य का दफतर, एक में सांईसलैब, एक कमरे में लाईब्रेरी, कम्प्यूटर सेट, एक में ऐजूसेट मिस्टम तथा एक में कबाड भरा रहता है। बाकी बचे तीन कमरे और उनके बरामदों में 600 सौ से अधिक छात्राओं को बेठाना पडता है।स्कूल में  सौ छात्राओं पर तीन कमरे केसे हो पढाई 2
 
   स्कूल के प्रिंसिपल नानक का कहना है कि स्कूल में कमरे बनवाने के लिये उन्होने कई बार उच्च अधिकारियों और ग्राम पंचायत से गुहार लगाई पर आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला। उन्होने कहा कि स्कूल की मेनेजमेट कमेठी के सामने भी उन्होने अपनी शिकायत रख दी है।
 
   स्कूल के कार्यकारी प्रसिंपल नानक चंद और वरिष्ट लैक्चरार अबदुल वहाब ने बताया कि उनके स्कूल में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के लिये कुल 15 पद लैक्चरारों के स्विकृत हैं जिनमें से केवल तीन ही भरे हुऐ हैं जबकी 12 पद खाली हैं। इसी तरह छटी से आठवीं कक्षा तक के लिये कुल आठ पद मंजूर हैं जिनमें से तीन पद भरे हैं बाकी खाली हैं। दो पर गेस्ट टीचर काम कर रहे हैं। करीब आठ साल से स्कूल के प्रसिंपल का पद खाली पडा हुआ है। उन्होने बताया कि छटी में 174, सातवीं में 84, आठवीं में 82, नवीं में 123, दसवीं में 69, 11वीं में 85 और बारहवीं में 29 बच्चों सहित कुल 585 छात्राऐं शिक्षा गृहण करती हैं।
 
   स्कूल की छात्रा त्योति और सनिया का कहना है कि कमरे पूरे ने होने की वजह से उनहें काफी परेशानी होती है, धूप और सर्दी में बेठने की वजह से वे अक्सर बिमार होती रहती हैं। उनहोने कहा कि वे भेड बकरियों की तरह कमरों में बेठती है। कई कई क्लास के बच्चों को एक साथ बेठाना पडता है जिससे उनकी पढाई प्रभावित होती है। अध्यापकों कि कमी से उनकी पढाई प्रभावित होती है। वे दसवीं कक्ष कि छात्रा हैं। बोर्ड के ऐग्जाम होगें, जब अध्यापक ही नहीं होगें तो पढाई कैसे होगी।

 

क्या कहते हैं सरपंच ? 

कस्बा पिनगवां के सरपंच संजय सिंगला का कहना है कि स्कूल को डबल मंजिल बनाने कि मंजूरी के लिये प्रस्ताव सरकार के पास भेज रखा है। उसने यह मुद्दा कई बार अधिकारियों के सामने रखा है। कुछ समय पहले जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल का दौरा किया है। तब-तक कमरे ना बने तब तक 6 से 8 तक कि छात्राओं को प्राईमरी के स्कूल में शिफ्ट किया जा रहा है।

You cannot copy content of this page