राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मनाया भारतीय नववर्ष

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 संघ के स्वयंसेवकों द्वारा शहर में प्रभातफेरी निकाली गई

यूनुस अलवी
 
पुन्हाना:   भारतीय नववर्ष के समय पर समाज व प्रकृति दोनों बदलते हैं, परंतु अग्रेजी नववर्ष पर न तो प्रकृति बदलती है और न ही समाज बदलता है। भारतीय नववर्ष वैज्ञानिक आधार पर होता है, जबकि अग्रेजी नववर्ष का कोई आधार नहीं होता। हम सभी को नववर्ष अपनी भारतीय संस्कृति के हिसाब से मनाना चाहिए। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक अनिल कुमार ने संघ द्वारा आयोजित वर्ष प्रतिपदा कार्यक्रम के अवसर पर स्वयंसेवकों को सबोंधित करते हुए कही। कार्यक्रम के बाद संघ के स्वयंसेवकों द्वारा शहर में प्रभातफेरी निकाली गई। 
 
अनिल कुमार ने कहा कि भारतीय नववर्ष के आने पर ऋतु बदलती है, फसल बदलती है और समाज में त्योंहार मनाए जाते हैं। परंतु अग्रेजी नववर्ष के अवसर पर न तो ऋतु बदलती है और न फसल बदलती है। भारतीय नववर्ष वैज्ञानिक आधार पर मनाया जाता है। इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। संत झूलेलाल का जन्म इस दिन हुआ। संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार का जन्म भी इस दिन हुआ। आर्य समाज की स्थापना इस दिन हुई। व्यापारी वर्ग इस दिन अपने बही खातों को बदलते हैं। इसके अलावा अनेक घटनाऐं है, जिनका संबध नववर्ष के दिन हुआ था। उन्होंने कहा कि आज भारतीय अज्ञानतावश अग्रेजी नववर्ष को एक उत्सव के रूप में मनाते हैं और शराब का नशा आदि करते हैं। जो कि गलत है। हमें अपना नया साल भारतीय संस्कृति के हिसाब से मनाना चाहिए। आज विश्व भारत का लोहा मान रहा है। भारतीय संस्कृति पर विदेशी शोध कर उसे अपना रहे हैं। ऐसे में हम भारतीय अपने ही इतिहास से अज्ञान हैं।
 
 
    इस अवसर पर जिला सेवा प्रमुख लालाराम भारद्वाज, सेवा भारती के प्रधान गोविन्द राम सोनी, दयानंद बाबूजी, नगर कार्यवाह सुनील कुमार, राजकुमार जैन, विजय कुमार, सतपाल कालड़ा, सन्नी कुमार, सुभाष चंद सहित अनेक लोग मौजूद थे। 

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