कच्चे कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के विरोध में सिविल अस्पताल के कर्मियों का प्रदर्शन

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ठेकादारी प्रथा का कर रहे हैं विरोध 

सीएम पर वायदा खिलाफी का लगाया आरोप 

आर एस चौहान 

गुरुग्राम : आज दिनांक 25 मार्च 2017 को नागरिक अस्पताल गुरुग्राम में हरियाणा एन एच  एम् कर्मचारी संघ की अगुवाई में जिला गुरुग्राम के समस्त कर्मचारियों ने कच्चे कर्मचारियों को नौकरी से हटाने और ठेकेदारी में धकेलने के सरकार के आदेशो के खिलाफ धरना प्रदर्शन  किया |

गौरतलब है की अगस्त 2016 में एन एच  एम् कर्मचारीयों की  हड़ताल उपरांत  मुख्य मंत्री ने कहा था की किसी भी कच्चे कर्मचारी को नौकरी से नहीं हटाया जायेगा न युक्तिकरण या ठेकेदारी जैसा कोई कदम उठाया जायेगा | परन्तु लगता है ये सब हड़ताल ख़त्म करवाने के हथकंडे थे कयोंकि  कच्चे कर्मचारी की नौकरी से हटाने और ठेकेदारी में धकेलने के आदेश आ चुके हैं जिनमे एक्स रे तकनीशियन ,रेडिओग्राफेर,  लैब तकनीशियन इत्यादि शामिल हैं |

संबोधित करते हुए राज्य मीडिया प्रभारी  हरिराज ने बताया की इसी तरह पहले भी गत वर्ष लगभग 1200  एनएचएम् कर्मचारियों को युक्तिकरण और बजट न होने का हवाला देकर नौकरी से निकाल दिया गया था | इसी प्रकार परियोजना जैसे की JSSK,MMIY इत्यादि में कार्यरत कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चूका है |इससे साफ़ जाहिर होता है की प्रशासन तथा सरकार दोनों ही कर्मचारी विरोधी हैं तथा एनएचएम् तथा कच्चे कर्मचारीयों का शोषण भी सरकार तथा प्रशासन मिलीभगत से कर रहे हैं | जिसका जीता जगता उदाहरण हरियाणा सरकार द्वारा तय किये गए नए रेट है जिसके अनुसार एक गार्ड जिसकी शैक्षणिक योग्यता मिडिल /मेट्रिक  या उससे भी कम है उसे 12500 मिलेंगे तथा जो दक्ष है ( DEO, काउंसलर, कोऑर्डिनेटर,तकनीशियन ) और जिसकीशैक्षणिक योग्यता कम से कम स्नातक या स्नातकोत्तर है उन्हें 10000 से भी कम तनख्वाह दी जाती है | बराबर की शैक्षणिक योग्यता होने पर भी तनख्वाहो में भरी अंतर हैं |

उन्होंने कहा की डीसी रेट के अनुसार बहु उद्येशीय कार्यकर्त्ता को 12000 परन्तु एनएचएम्  में इसी को 8910 , कंप्यूटर ऑपरेटर को 13500 और एनएचएम् में 9900, स्टाफ नर्स को 18000 तो एनएचएम्  में 10340| और बहुत सारी केटेगरी हैं जिनमे ये हो रहा है |ये सरकार और प्रशासन का दिवालियापन है या दोगलापण,  परन्तु इससे कर्मचारियों कर्मचारियों को आत्मसम्मान को भी ठेस पहुच रही  है की कम पढ़ा लिखा तो ज्यादा तनख्वाह लेता है तथा जो उच्च शिक्षित है वो नाम मात्र की तनख्वाह पे सरकार को अपनी सेवाए दे रहा है |वही एक बात और गौर करने की है की सरकार कर्मचारी हितेषी होने दावे तो करती है और कहती है कर्मचारियों के  लिए सरकार के दरवाजे बातचीत के हमेशा खुले है परन्तु वही दूसरी तरफ कर्मचारियों के बार बार आग्रह करने पर भी उन्हें मिलने का समय नहीं दिया जाता है | अगर दे भी दिया जाता है तो तो बैठक में सहमती तो हर मांग पर जता दी जाती है परन्तु महीनो तक बैठक की प्रोसेडिंग और मिनट्स उपलब्ध नहीं करवाए जाते है और जब कर्मचारी अधिकारियो से स्टेटस मांगते है तो अधिकारियो द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नही दिया जाता है |   इससे सरकार और प्रशासन के खिलाफ कर्मचारियों में असंतोष और रोष पनपता जा रहा है |

जिला सचिव कुलभूषण ने कहा की जिन राज्यों में चुनाव होने होते है वहाँ पर ये लोग कच्चे कर्मचारियों को झूटी दिलासा दिलाते है की सरकार बनने पर पक्का कर देंगे |परन्तु सत्ता प्राप्ति पर नशे में डूब कर किये गए वादों को भूल जाते है जिसका ताज उदाहरण उत्तर प्रदेश है जहा चुनाव से पहले लिखित में कर्मचारियों से वादव किये थे की सरकार बनते ही एनएचएम् कर्मचारियों को नियमित कर देंगे परन्तु सरकार बन गई और हमेशा की तरह से बात भी चुनावी जूमला साबित हुई |

राज्य प्रधान से बताया की कर्मचारियों में हो रहे शोषण को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा |सरकार अपने इस तुगलकी फरमानों को वापस ले |और अक्टूबर महीने में हड़ताल के दौरान हुए समझोते और माह फ़रवरी में हुई बैठक में जिन मांगो पर सहमती बनी उन पर जल्द से जल्द अमली जामा पहनाया जाये |कर्मचारियों में रोष और असंतोष बढ़ता जा रहा है |ये रोष कभी भी कीसी भी बड़े आन्दोलन का रूप ले सकता है और उसका प्रारुप कुछ भी हो सकता है |और अगर ऐसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ प्रशासन व सरकार की होगी |

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