-मेवात से तलाबदला कराने को लेकर जिले के पांचों खंडो में चलेगा हस्ताक्षर अभियान
-9 फरवरी से दस-दस फीट बैनर पर लोगों के करावाएंगे हस्ताक्षर
– राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केट, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी शिकायत
यूनुस अलवी
मेवात: मेवात उपायुक्त मणिराम शर्मा का मेवात से तबादला कराने और उनको देश के किसी भी अल्पसंख्यक जिले में ने लगाने कि मांग को लेकर मेवात कि अग्रिम संस्था मेवात विकास सभा के बेनर तले आगामी 9 फरवरी से जिले के सभी पांचों खंडों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाऐगा। मेवात के पुन्हाना, नगीना, फिरोजपुर झिरका, नूंह और तावडू में दस-दस फीट के बेनर पर अलग-अलग खंडो के लोगों के हस्ताक्षर कराये जाऐगें, उसके बाद इलाके के प्रमुख लोग, सामाजिक संस्था, सरंपच, जिला पार्षद, नंबरदार आदी के एक शिकायत पर हस्ताक्षकर कराकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केट, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजा जाऐगा। यह जानकारी मेवात विकास सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर मोहम्मद पाडला ने दी।
मेवात विकास सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर मोहम्मद पाडला ने बताया कि मेवात उपायुक्त मणिराम शर्मा कि कार्यशैली अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। जबकी एक अधिकारी को सभी समाज के लोगों को साथ लेकर चलना चाहिये और जो सरकार कि योजनाऐं है उनका आम जनता के सहयोग से पूरा करना चाहिये।
पाडला का कहना है कि सीआरपीएफ कैंप के लिये पहले से ही गांव इंडरी पंचायत ने जमीन का प्रस्ताव कर प्रशासन की मार्फत सरकार को भेज रखा था लेकिन डीसी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुऐ गांव टूंडलाका कि जमीन का उस समय बीडीपीओ पुन्हाना से प्रस्ताव भेजा जब पंचायते डिजोल थी। इसी तरह करीब आठ साल पहले गांव सालाहेडी में केंद्रीय विद्यालय बनाने के लिये पंचायत ने प्रस्ताव संगठन को भेज रखा था और जमीन का मुटेशन भी केंद्रीय विद्यालय के नाम चढ चुका था फिर जबरजस्ती डीसी इस स्कूल को जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव संगेल में बनाने पर आमादा है।
उनका कहना है कि डीसी अल्पसंख्यक विरोधी ऐसे भी प्रतीत होता है कि गांव डींगरहेडी में डबल मर्डर, डबल गैंग रेप होता है तथा कई को गंभीर रूप से घायल कर दिया जाता है। एक अधिकारी होने के नाते डीसी का फर्ज बनता था कि पीडित परिवार को सांत्वना देने तुरंत जाते लेकिन डीसी तीन दिन तक गांव में नहीं गया और जब गये तो एक मंत्री के साथ गये। उनका कहना है कि गांव सिंगार में एक सडक हादसे में गांव के ही पांच लोगों की मौत हो गई थी लेकिन डीसी उन परिवारों के दुख दर्द जानने तक नहीं गया। इस तरह के कई और मामले हैं जहां डीसी को एक अधिकारी होने के नाते संवेदना व्यक्त करने जाना चाहिये था।
सभा के प्रधान का कहना है कि केंद्र और हरियाणा सरकार कि ओर से लोगों को घरों में शौचालय बनाने के लिये 12 हजार रूपये कि सहायता राशी दी जाती हैं लेकिन डीसी ने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुऐ वह राशी बंद कर दी है और गरीब लोग जिनके पास खाने तक को पैसे नहीं है उनसे जबरजस्ती शौचालय बनवा रहा है अगर कोई बनाने में मजबूर होता है तो उसको बीपीएल का राशन तक ना देने कि धमकी दे रहा है। उनका आरोप है कि जंगल में शौच जाने वाले लोगों के लिये फेसबुक और वटसऐप आदि पर अभद्र भाषा का डीसी इस्तेमाल करता है। गांव या वार्ड में अगर कोई पीने का पानी ना आने कि शिकायत डीसी से करे तो उससे भी वह अभद्र भाषा में बात करता है। मेवात के बडकली चौक, पुन्हाना, पिगनवंा कस्बे में कोई शौचालय नहीं है, इस ओर डीसी ने कोई पहल नहीं की है। डीसी केवल सरकार को ये दिखाना चहाता है कि उसने शौचालयों पर सरकार के करोडों रूपये बचाकर मेवात को शौच मुक्त करा दिया जिससे वह अपने लिए वाह-वाई लूट सके। इससे साफ जाहिर है कि यह डीसी अल्पसंख्क विरोधी है, इसलिये इसका तुरंत तबादला किया जाऐ।