वाहनों की गति मापने के लिए रडार को विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 में शामिल करने का निर्णय

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नई दिल्ली :  उपभोक्ता मामले विभाग का विधिक माप विज्ञान प्रभाग वजन और माप में गारंटी और उसकी सटीकता सुनिश्चित करता है। उल्लेखनीय है कि वाहनों की गति मापने के लिए रडार उपकरण के लिए मसौदा नियम विधिक माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के तहत नियमों को अंतिम रूप देने के लिए सार्वजनिक परामर्श के लिए विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित किए गए थे।

मसौदा नियम विभाग द्वारा गठित एक समिति द्वारा तैयार किए गए थे, जिसमें भारतीय विधिक मापविज्ञान संस्थान (आईआईएलएम), क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशालाओं (आरआरएसएल) के सदस्य और निर्माता तथा वीसीओ के प्रतिनिधि शामिल थे। हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करने और जनता की टिप्पणियां प्राप्त करने के बाद मसौदा नियमों को अंतिम रूप दिया गया। विभिन्न परामर्शों के दौरान प्राप्त सुझावों की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है और नियमों को जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।

उक्त नियम यातायात गति माप में सटीकता, विश्वसनीयता और मानकीकरण को बढ़ाएंगे, जिससे कानूनी माप विज्ञान नियमों का अनुपालन सुनिश्चित होगा। ये नियम सड़कों पर यातायात की गति मापने के लिए माइक्रोवेव डॉपलर रडार उपकरणों पर लागू होते हैं, जिन्हें संक्षेप में “रडार” कहा जाता है। नियमों में प्रावधान है कि ऐसे सभी उपकरणों को सत्यापित किया जाना है और मानव की सुरक्षा के लिए उनकी शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए मुहर लगाई जाएगी।

मुहरबंद और सत्यापित रडार उपकरण यह सुनिश्चित करेगा कि रडार उपकरण उद्योग मानकों और विनिर्देशों को पूरा करता है, जिससे खराबी या त्रुटियों की आशंका कम हो जाती है। यह गति, दूरी और अन्य प्रासंगिक मापदंडों का सटीक माप भी सुनिश्चित करेगा। दुर्घटनाओं को रोकने, सड़कों की टूट-फूट आदि को दूर करने के लिए यातायात प्रवर्तन जैसे अनुप्रयोगों के लिए यह सटीकता अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि जनता का विश्वास प्राप्त किया जा सके। गलत गति माप, गति उल्लंघनों की पहचान करने और असुरक्षित ड्राइविंग व्यवहार को रोकने में विफल होने से सड़क सुरक्षा से समझौता कर सकते हैं।

आम जनता को इससे लाभ होगा क्योंकि सत्यापित रडार स्पीड गन से वाहनों की गति का सटीक मापन होगा, उल्लंघनों की पहचान होगी और यातायात कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। सत्यापित रडार उपकरण गति सीमा को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेंगे, जिससे गति सीमा से संबंधित दुर्घटनाओं में कमी आएगी और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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