भारतीय अध्यात्मवाद से ही आतंकवाद का खात्मा : देवव्रत

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भारतीय अध्यात्मवाद से ही आतंकवाद का खात्मा : देवव्रत 2

हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला शुरू 

“वेदों में अध्यात्म व भोगवाद पर गंभीर चिंतन”

गुरुग्राम।  भारतीय हिन्दू अध्यात्मवाद वैदिक संस्कृति पर आधारित है. वेदों में अध्यात्म व भोगवाद पर गंभीर चिंतन किया गया है. यजुर्वेद के 40 वें अध्याय का पहला श्लोक हमें यह बताता है कि संसार के कण-कण में भगवान विद्यमान हैं. वैदिक संस्कृति पर आधारित हमारी भारतीय संस्कृति भोगवाद का विरोध नहीं करती लेकिन मनुष्य को सीख देती है कि उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का त्याग पूर्वक भोग करो. इसलिए हमें संसार में उपलब्ध सभी प्राकृतिक संसाधनों का भोग यह समझ कर करना चाहिए की ये दुनिया किसी और यानी ईश्वर की है. इसका नाजायज दोहन नहीं किया जाना चाहिए. अगर इस चिंतन को दुनिया आत्मसात कर ले तो आतंकवाद जैसी समस्या के लिए दुनिया में कोई जगह नहीं रहेगी.

आज का चिंतन पश्चिम से प्रभावित

यह विचार हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने व्यक्त किया। श्री देवव्रत  गुरुवार को हरियाणा के गुरुग्राम स्थित सेक्टर -29 लेजर वैली में पहली बार आयोजित हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के उदघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. यह मेला 2 से 5 फरवरी तक चलेगा जिसका आयोजन दुनिया के सामने अखण्ड भारत की कल्पना के साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और सेवा कार्यों की झलक प्रस्तुत करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने अपने भाषण में इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि आज का चिंतन पश्चिम से प्रभावित है जो ईट ड्रिंक एंड बी मैरी के क्षणिक सिद्धांत पर आधारित है. इसका श्रोत यूरोप रहा है जहाँ केवल वर्तमान जन्म की चिंता की जाती है अगले जन्म की परिकल्पना बिल्कुल नहीं. इसके कारण दुनिया आज समस्याओं से घिरी है क्योंकि यूरोपीय सोच में सहअस्तित्व के लिए कोई जगह नहीं है.   

अस्तेय व अपरिग्रह की व्याख्या

उन्होंने याद दिलाया कि हमारे वेदों में स्वयं भगवान ने कहा है कि यह दुनिया, पहाड़, नदी, नाले, जीव-जन्तु मैंने दिए हैं। इसे अपना समझ कर भोग मत करो। उन्होंने कहा कि भगवान ने प्रकृति में हर चीज किसी उद्देश्य दे दिए हैं. राज्यपाल ने अध्यात्म के दो शब्द अस्तेय व अपरिग्रह की व्याख्या कर यूरोप व भारतीय चिंतन को परिभाषित किया.

सभी प्राणियों से तू प्रेम कर

भारतीय चिंतन कहता है कि यह विश्व आपका नहीं है क्योंकि जब आपका जन्म हुआ तब आप दुनिया ले कर नहीं आये थे और जब मृत्यु होगी तब भी आप दुनिया को साथ लेकर नहीं जायेंगे. उनके शब्दों में इसका मतलब साफ है कि यह सृष्टि परमात्मा की बनाई हुई ही नहीं बल्कि हर वास्तु में परमत्मा व्याप्त हैं. इसलिए ही वेदों में भगवान ने कहा है कि यदि तू मुझे प्राप्त करना चाहता है तो मेरे बनाये सभी प्राणियों से तू प्रेम कर और सबका खयाल रख यहं तक कि तू सबमें मुझे ही देख, मेरा ही दर्शन कर.

आचार्य देवव्रत ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय चिंतन को यदि विश्व में सभी मानने लग जाएं तो दुनिया में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं रहेगी क्योंकि भारतीय चिंतन वाला व्यक्ति प्राणी मात्र में अपनी आत्मा व परमात्मा को देखता है।

त्यागे सुखं व वियोगे दुखं

उन्होंने लोगों से त्यागे सुखं व वियोगे दुखं के सूत्र को अपनाने की अपील की. धर्म की व्याख्या करते हुए धर्म को लेकर व्याप्त भ्रांतियों को अपने तर्क से दूर करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि धर्म वह है जिसके धारण करने से धारक सुखी हो और उसके संपर्क में आने वाला व्यक्ति भी सुखी हो। उन्होंने कहा हमें भारतीय वैदिक चिंतन के बारे में युवा पीढी को जागृत करना है। राज्यपाल ने इस मेले के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन से युवाओं को भारतीय संस्कृति और चिंतन को वैज्ञानिक ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

सामाजिक जीवन के मूल्यों में क्षरण : सुरेश सोनी

इससे पूर्व आरएसएस के सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सामाजिक जीवन के मूल्यों में क्षरण हुआ है, इसके कारण प्रकृति और परिवार का भी क्षरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा में कहा गया है कि आध्यात्मिकता जीवन का मूल है. हमारी आध्यात्मिकता भौतिकता विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि जो कुछ दिख रहा है वह ब्रह्म है जिसकी सामान्य व्याख्या है कि जिसमें सबकुछ निहित है। श्री सोनी ने कहा कि मनुष्य की दार्शनिकता का दायरा जितना व्यापक होता जाता है, उतना ही वह आध्यात्मिकता की ओर चला जाता है।

हम सभी शाकाहारी बने :स्वामी परमानंद

इस अवसर पर स्वामी परमानंद ने कहा कि पश्चिमी संस्कृति में जीवन का ध्येय अर्थ और काम बन गया है। उसमें सरकार की कामयाबी को जीडीपी में वृद्धि से आंका जाता है। इसे महाभारत के साथ जोड़ते हुए स्वामी परमानंद ने कहा कि वो संस्कृति हमें दुर्योधन बनाती है, जो सबकुछ स्वयं प्राप्त करना चाहता था परंतु हमें अर्जुन बनना है, जो दूसरों के बारे में भी सोचता है। साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि हम सभी शाकाहारी बने। उनकी नजरों में शक्तिशाली बनने के लिए देसी गऊ का दूध ही काफी है जिसमें सबकुछ आ जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी संस्कृति में सेवा की भावना है, इसीलिए कावड लाने वालो के लिए भी भण्डारे लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी संग्रह को मूल्य देने लग गई है, उसे त्याग सिखाना है क्योंकि जीवन  का सुख संग्रह में नही त्याग में हैं।

नैतिक और सांस्कृतिक प्रशिक्षण

चेन्नई से आई राज लक्ष्मी ने भी अपने विचार रखे . उन्होंने बताया कि तमिलनाड़ु में स्कूलों, अध्यापको, अभिभावको आदि को जोडक़र नैतिक और सांस्कृतिक प्रशिक्षण उनकी संस्था द्वारा दिया जा रहा है। तमिलनाड़ु के 2300 विद्यालयों में से अब तक 1800 विद्यालयों में इस प्रकार के प्रशिक्षण दिए गए हैं।

अंहकार को समाप्त करना

गुणवंत कोठारी ने कार्यक्रम की विस्तृत प्रस्तावना दी और बताया कि इस प्रकार के मेले का आयोजन पहली बार सन् 2009 में चेन्नई में किया गया था। उसके बाद सन् 2015 में जयपुर, मुंबई तथा बंग्लोर में मेले आयोजित किए गए। इनका मूल उद्देश्य मनुष्य के अंदर मैं और अंहकार को समाप्त करना है। अ

मेला आयोजन के  6 बिंदु

पने स्वागत भाषण में जेबीएम ग्रुप के चेयरमैन एस के आर्य ने कहा कि इस मेले का आयोजन 6 बिंदुओं-वन एवं वन्य प्राणियों, पर्यावरण, मानवीय मूल्यों, नारी सम्मान, देशप्रेम तथा सांस्कृतिक सुरक्षा को लेकर किया जा रहा है। इन 6 बिंदुओं के माध्यम  से हमारी समृद्ध संस्कृति को लोगों विशेषकर युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है।

कौन कौन थे मौजूद ? 

इस अवसर पर ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से शिवानी, जीवों गीता से स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने भी अपने विचार रखे। उद्घाटन समारोह में मींडा ग्रुप के निर्मल मींडा, एचएसएसएफ के ट्रस्टि राजलक्ष्मी, हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला समिति के संरक्षक पवन जिंदल, मुख्यमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं कार्यक्रम के एडवाइजर डा. योगेन्द्र मलिक, रामअवतार गर्ग, भाजपा नेता कुलभूषण भारद्वाज, हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला समिति के अध्यक्ष राकेश अग्रवाल व उपाध्यक्ष विनोद शर्मा, कार्यक्रम के कोर्डिनेटर प्रदीप शर्मा, सचिव विकास कपूर, मीडिया टीम अनिल कश्यप, अरूण तथा कुलदीप यादव सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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