केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने मोदी सरकार 3.0 के सौ दिन की उपलब्धियों का किया बखान

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नई दिल्ली। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में 100 दिन में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के लिए किये गए महत्वपूर्ण निर्णयों और उपलब्धियों के उपलक्ष्य में मीडिया को जानकारी दी। केंद्रीय राज्य मंत्री मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी एवं पंचायती राज मंत्रालय प्रो. एस. पी. सिंह बघेल, केंद्रीय राज्य मंत्री मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय जॉर्ज कुरियन, सचिव, मत्स्यपालन विभाग डॉ अभिलक्ष लिखी और सचिव पशुपालन एवं डेयरी विभाग अलका उपाध्याय और मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी प्रेसवार्ता में उपस्थित थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मात्स्यिकी और जलीय कृषि भोजन, पोषण, रोजगार, आय और विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मछली स्वस्थ एनिमल प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक किफायती और समृद्ध स्रोत है, इसमें भूख और कुपोषण को कम करने की अपार क्षमता है ।

भारत में मत्स्य पालन के  समृद्ध और विविध संसाधन हैं और यहाँ विभिन्न प्रकार की मछली प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो हमारी जैव विविधता को समृद्ध करती हैं। मात्स्यिकी  और जलीय कृषि एक आशाजनक क्षेत्र है जो प्राथमिक स्तर पर लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मत्स्य किसानों को आजीविका और रोजगार के अवसर प्रदान करता है और मूल्य श्रृंखला के साथ जुड़े कई लाख लोगों को भी रोजगार प्रदान करता है।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जिसका  वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 8% योगदान  है। वैश्विक स्तर पर, भारत जल कृषि उत्पादन में भी दूसरे स्थान पर है, यह शीर्ष झींगा उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है और तीसरा सबसे बड़ा कैप्चर फिशरीज उत्पादक है। पिछले दस वर्षों के दौरान, भारत सरकार ने मात्स्यिकी और जलीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए कई परिवर्तनकारी पहल की हैं।

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने बताया कि पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण उपक्षेत्र है। यह वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 के दौरान 9.82% की सीएजीआर से बढ़ा और यह देश के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र के जीवीए में पशुधन का योगदान वर्ष 2014-15 में 24.36 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 30.22% हो गया है। पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2022-23 में कुल जीवीए का 5.5% प्रतिशत योगदान दिया (राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2024 के अनुसार)। पशुधन क्षेत्र का उत्पादन मूल्य वर्ष 2022-23 के दौरान चालू मूल्य पर 17.25 लाख करोड़ रुपये (205.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है। अकेले दूध के उत्पादन का मूल्य 11.16 लाख करोड़ रुपये (133.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक है जो कृषि उपज में सबसे अधिक है तथा धान और गेहूं के संयुक्त मूल्य से भी अधिक है।

उन्होंने बताया कि दूध उत्पादन के मूल्य में उल्लेखनीय वृ‌द्धि हुई है, जो वर्ष 2014-15 में 4.96 लाख करोड़ रुपये से 125% बढ़कर वर्ष 2022-23 में 11.16 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पशुपालन क्षेत्र 100 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवारों को आजीविका सहायता प्रदान करता है। पिछले 9 वर्षों में दूध उत्पादन में 57.62% की वृ‌द्धि हुई है, जो वर्ष 2014-15 के दौरान 146.3 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2022-23 के दौरान 230.60 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है। पिछले 9 वर्षों में दूध का उत्पादन 5.9% की वार्षिक वृ‌द्धि दर से बढ़ रहा है और जबकि विश्व दूध उत्पादन प्रति वर्ष 2% की दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2022-23 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 459 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि वर्ष 2022- 23 के दौरान विश्व औसत 325 ग्राम प्रतिदिन का है। प्रति व्यक्ति उपलब्धता वर्ष 2013-14 में 307 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन से बढ़कर 2022-23 में 459 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन हो गई है, जो 49.51 प्रतिशत की वृ‌द्धि दर्शाती है।

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