नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर दो याचिकाओं पर फैसला सुनाया। पहली याचिका में कोर्ट ने सीबीआई की गिरफ्तारी को वैध माना जबकि दूसरी याचिका पर फैसला सुनाते हुए केजरीवाल को जमानत दे दी।
उल्लेखनीय है कि अरविन्द केजरीवाल की ओर से सी बी आई द्वारा आबकारी नीति घोटाला को लेकर दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी का विरोध करते हुए और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों याचिकाओं पर पांच सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था जिस पर आज निर्णय सुनाया। पीठ में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइंया भी शामिल हैं। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल को 177 दिन जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है. इससे पूर्व उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनाव प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों के लोए अंतरिम जमानत दी थी. उन्होंने पूरे देश में अलग अलग राज्यों का दौरा कर अपनी पार्टी और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया था.
माना जा रहा है कि अब स्थायी जमानत मिलने के बाद उनके जेल से बाहर आने से आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद होंगे. उनकी पार्टी ने हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. लिहाजा संभावना प्रबल है कि हरियाणा का चुनावी दंगल जोरदार होगा. उनका पूरा फोकस अपनी पार्टी का जनधार हरियाणा में बढाने पर रहेगा कयोंकि अभी किसी अन्य राज्य में कोई चुनाव नहीं है.
हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा आप एक प्रमुख पार्टी है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप के बीच चुनावी गठबंधन था. कांग्रेस 9 सीटों पर जबकि आप एक सीट पर चुनाव लड़ी थी . इस बार चुनावी गठबंधन नहीं हो पाया है.
दिल्ली से सटे इस राज्य में आप नेता काफी समय से पैर जमाने में जुटे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी आप ने हरियाणा विधान सभा की 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि उस समय उसका वोट शेयर महज एक फीसदी का रहा तह . तब से अब तक यमुना में काफी पानी बह गया है. हरियाणा का आम आदमी आप पार्टी को भी एक अच्छे विकल्प की तरह देखते हैं जो कांग्रेस या बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते हैं. लंबे समय तक बीजेपी का गढ रहने वाली दिल्ली आप का गढ़ बन चुकी है. अब हरियाणा का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है क्योंकि अरविन्द केजरीवाल का यह गृह राज्य भी है.
दूसरी तरफ अब उनपर पहले की तरह कोई बंदिश भी नहीं रहेगी जो पिछली बार लोकसभा चुनाव के दौरान अंतरिम जमानत के समय लगाईं गई थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीएम के तौर पर कार्यालय जाने और किसी भी अधिकारी के साथ बैठक करने यानी सीएम की जिम्मेवारी निभाने पर रोक लगा दी थी. लेकिन आब वे दिल्ली के सीएम के रूप में वे संवैधानिक रूप से प्रदत्त सभी अधिकारों का प्रयोग करते हुए सभी जिम्मेवारियों का पूरा निर्वहन कर सकेंगे . साथ ही उन्हें सीएम के रूप में सभी सुविधाएं भी मिलेंगी. ऐसे में उनके कदम बेहद चौकाने वाले हो सकते हैं.
उनका जेल से बाहर आना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए नई चुनौती देने वाला साबित हो सकता है.