नई दिल्ली : उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के तहत आने वाले फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान (एफडीडीआई) ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप फुटवियर डिजाइन एवं विकास के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता के स्तर को और बढ़ाते हुए तकनीकी प्रगति और विशेषज्ञता के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा है। संस्थान ने उद्योग भवन में आयोजित एक समारोह में शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित संस्थानों, तमिलनाडु शारीरिक शिक्षा और खेल विश्वविद्यालय, चेन्नई, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) चेन्नई, वॉक्ससेन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर के साथ चार अलग-अलग समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
अपने स्वागत भाषण में एफडीडीआई के प्रबंध निदेशक डॉ. सुमीत जारंगल ने कहा कि सहयोगात्मक अनुसंधान पर आधारित यह अभूतपूर्व पहल, शिक्षकों, छात्रों, उद्यमियों और खास तौर पर फुटवियर और चमड़ा उद्योग में लगे श्रमिकों सहित सभी हितधारकों के लिए काफी लाभप्रद साबित होगी। इस पहल के तहत भागीदार विश्वविद्यालयों और संस्थानों के संयुक्त पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के ज़रिए इन सभी हितधारकों को अपने कौशल को निखारने का अवसर मिलेगा। उन्होंने विभिन्न सीओई स्थानों और उनके फोकस के विशेष क्षेत्रों का विस्तृत लेखाजोखा भी साझा किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि शोध और विकास क्षमताओं को बढ़ाने, ज्ञान के आदान-प्रदान की सुविधा देने और फुटवेयर, चमड़े के सामान और फैशन उत्पादों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ये समझौता ज्ञापन किस तरह, एफडीडीआई के मूल दृष्टिकोण पर आधारित अवधारणा पर कैसे काम करेंगे।
डॉ. जारंगल ने विशेष रूप से, सहयोग के इस प्रयासों के उद्देश्यों को भी रेखांकित किया, जिनमें शिक्षकों और छात्रों का आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान पहल और एफडीडीआई के कई परिसरों में उत्पाद विकास परियोजनाएं शामिल हैं, जिनमें रोहतक, नोएडा, जोधपुर, चेन्नई, हैदराबाद, पटना और कोलकाता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एफडीडीआई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुसार गुणवत्तापूर्ण उत्पादन हासिल करने के लिए घरेलू फुटवियर और संबंधित उद्योग के लिए सर्वोत्तम बुनियादी ढांचा प्रदान करने और उसे विकसित करने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। हालाँकि, उन्होंने ये भी कहा कि ये समझौते ज्ञापन, देश भर में फुटवियर और चमड़े के परिधान/ सहायक सामग्रियों में बढ़ोत्तरी और उनके विकास को तभी आगे बढ़ा पाएंगे, जब साझेदारी की ये कोशिशें सही दिशा में हों और इन पर कार्रवाई कर इन्हें विकसित परियोजनाओं में तब्दील किया जाए। साथ ही उन्होंने समझौता ज्ञापनों को महज़ दस्तावेजों में ना रहकर, उन्हें मूर्त वस्तुओं में बदलने की ज़रूरत पर बल दिया।
फुटवियर और चमड़ा उद्योग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए नवीनतम ज्ञान और कौशल के साथ अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाएं भी देने करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए, एफडीडीआई के एमडी ने उम्मीद जताई कि एफडीडीआई और चार शीर्ष संस्थानों के बीच पारस्परिक अनुसंधान को बढ़ावा देने वाली ये अनूठी पहल वांछित लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में सर्वोत्तम तरीका साबित होगी।
कार्यक्रम पर एक प्रस्तुति देते हुए सीओई के निदेशक डॉ. मधुसूदन पाल ने उन व्यावहारिक उपायों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया, जिनसे समझौता ज्ञापन में किए गए प्रस्तावों को ज़मीनी हकीकत में बदला जा सके। इनमें विभिन्न एफडीडीआई परिसरों का दौरा आयोजित करना, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) स्थापित करना और वॉक्ससेन विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों के सहयोग से इंटर्नशिप कार्यक्रम बनाना शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने न केवल शैक्षणिक सहयोग बल्कि औद्योगिक के अनुसार नवाचारों पर काम करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए आईपीआर सुरक्षा, प्रोटोटाइप विकास और नवीन उत्पादों के व्यावसायीकरण के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में शिक्षा जगत के प्रतिनिधि वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी), चेन्नई के डीन डॉ. सिवाकुमार आर, तमिलनाडु फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु के सीईबी-एचपीसी के प्रमुख डॉ. पी. रजनीकुमार, वॉक्ससेन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद की डीन डॉ. अदिती सक्सेना और सहायक डीन संतोष कोचेरलाकोटा, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी), ओडिशा की डीन प्रोफेसर बाउरी रौला के साथ ही एफडीडीआई के सचिव कर्नल पंकज कुमार सिन्हा भी शामिल थे।
कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से प्रतिष्ठित अतिथिगण शामिल हुए, जिनका विकास, नवाचार और शिक्षा में सहयोग को मजबूत करने का साझा दृष्टिकोण था।
अंत में एमओयू पर आधिकारिक हस्ताक्षर और उनके आदान-प्रदान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ, जो अनुसंधान, नवाचार और शैक्षिक उत्कृष्टता को बढ़ाने के लिए साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ये समझौते शिक्षकों, छात्रों और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे, जिससे आपसी विकास के लिए एक गतिशील मंच तैयार हो सके। ये साझेदारी अकादमिक परिदृश्य को और समृद्ध बनाने और नवाचार-संचालित विकास को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक लक्ष्यों में योगदान देने की भावना अग्रसर करती है।