मिली शत-प्रतिशत सफलता – अजय सिंहल
गुरुग्राम : हरियाणा कला परिषद के निदेशक, अजय सिंहल ने बताया कि नाट्य विधा चिन्तन बैठक की सफलता के बाद फिल्मकारों को बुलाने का हरियाणा कला परिषद का यह प्रयोग जहाँ ऐतिहासिक रहा, वहीं फिल्मकारों ने इस चिन्तन बैठक में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया । कला परिषद द्वारा सूचिबद्ध 112 फिल्म से जुडे़ हरियाणवीं फिल्मकारों को निमन्त्रण भेजा गया था । परन्तु चिन्तन बैठक की महत्ता को समझते हुए 145 हरियाणवीं फिल्मों से जुडे़ फिल्मकारों ने इस बैठक में काम लिया । बैठक की अध्यक्षता ‘पगड़ी‘ फिल्म के निर्माता-निर्देशक, श्री राजीव भाटिया ने की ।
बैठक में ‘हरियाणवीं बोली की फिल्मों में प्रासंगिकता‘, ‘स्थापित फिल्मकारों का नवोदित फिल्मकारों के प्रति उत्तरदायित्व‘ व ‘सरकार से अपेक्षा‘ विषयों पर बड़े उत्साहपूर्ण वातावरण में चर्चा हुई जिसमें अधिकत्तम फिल्मकारों को अपने विचार रखने का अवसर मिला । बैठक लगातार 5 सत्रों में 8 घण्टे से अधिक चली । इस अवसर पर State University Performing Visual Art (SUPVA) Rohtak की छात्रा सुशीला सहारण द्वारा निर्मित ‘दायरा‘ फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया ।
बेटियों के बिना फिल्म कैसे बनाओगे – मेघना मलिक
प्रख्यात् अभिनेत्री, मेघना मलिक ने चिन्तन बैठक में अपनी बात रखते हुए कहा कि इस क्षेत्र में हरियाणा की बेटियाँ ना के बराबर हैं । ैState University Performing Visual Art (SUPVA) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में एक्टिंग जैसे विषय के लिए एक भी छात्रा का प्रवेश ना लेना, यह हमारे लिए चिन्ता का विषय है । क्या बेटियों के बिना ही हरियाणवीं फिल्में बन सकती हैं या हरियाणा के बेटे ही बेटियों का रोल निभायेंगे । सरकार से मांग करती हूँ कि बेटियों के लिए कोई विशेष प्रावधान किया जाए ।
फिल्मकार चिन्तन बैठक सरकार की सकारात्मक सोच का परिणाम – य
शपाल शर्मा
लगान व गंगाजल फिल्मों के माध्यम से चर्चा में आए प्रख्यात् अभिनेता यशपाल शर्मा ने कहा- यदि कोई अच्छा कार्य कर रहा है तो मुक्त कंठ से उसको अच्छा कहना चाहिए । राजनीति से प्रेरित होकर अच्छे कार्यों को नकारना यह दूषित मानसिकता का परिचायक है । सरकार द्वारा पहली दफा इस प्रकार का प्रयोग किया गया है, निश्चित ही इसके सार्थक परिणाम निकलेंगे ।
बोली का सरलीकरण करके फिल्में बनें – संदीप शर्मा
‘सतरंगी‘ फिल्म के निर्देशक, श्री संदीप शर्मा ने कहा कि फिल्में ऐसी बोली में बने जो आमजन की समझ में आए । बोली की गूढ़ता उचित तो है परन्तु फिल्मों को आमजन तक पहुँचाने में यह बाधक है । इसलिए बोली का सरलीकरण होगा तो फिल्म अच्छा बिजनैस दे सकेगी ।
केवल सरकार के भरोसे रहना ठीक नहीं – अश्वनी चौधरी
हरियाणवीं अभिनेता अश्वनी चौधरी ने कहा कि सारे काम सरकार कर देगी, इस भरोसे बैठना ठीक नहीं है । जमीन से जुड़े ऐसे विषय तलाशें जो आमजन को अपने साथ जोड़ सके । मेहनत व लगन से लगे रहो तो सफलता निश्चित ही मिलेगी ।
सभी के सुझावों पर सरकार ध्यान दे – राजीव भाटिया
बैठक की अध्यक्षता ‘पगड़ी‘ के निर्माता -निर्देशक राजीव भाटिया ने की । अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि एक साथ मिल-बैठ कर चिन्तन करने से ही समस्याओं का समाधान मिलता है । उन्होंने हरियाणा कला परिषद के अधिकारियों से निवेदन किया कि सभी फिल्मकारों से आए सुझावों का ड्राफ्ट बनाकर अतिशीघ्र माननीय मुख्यमन्त्री महोदय जी को भेजा जाए ताकि सुझावों को फिल्म-नीति में शामिल किया जा सके
। परिषद के उपाध्यक्ष सुदेश शर्मा ने आए हुए सभी फिल्मकारों का, फिल्म संस्थान रोहतक का व व्यवस्था में लगे सभी कर्मियों का धन्यवाद किया और कहा कि कला परिषद हर तरह से कलाकारों के साथ खड़ी है । उन्होंने फिल्मकारों का पक्ष सरकार के समक्ष रखने का आश्वासन भी दिया ।
इस चिन्तन बैठक में प्रमुख रूप से संजय घई, अरविन्द स्वामी, रघुविन्द्र मलिक, अनूप लाठर, गजेन्द्र फौगाट, राज चौहान, हरविन्द्र मलिक, राम निवास शर्मा, रामफल चहल, सुधीर शर्मा, डॉ0 सुरेन्द्र आर्य, दिव्या शाह, रामकेश, राजूमान, मोहनकान्त, विरेन्द्र कौशिक, निशान्त प्रभाकर उपस्थित रहे । बैठक का संचालन रंगकर्मी उमाशंकर जी अम्बाला ने किया । इस अवसर पर मीडिया केयर समाचार पत्र का भी विमोचन किया गया ।
सरकार से फिल्मकारों की मांगः-
– सिंगल विण्डो सिस्टम बनाया जाए, जिला स्तर पर मिनी थियेटर का निर्माण किया जाए ।
– अच्छी फिल्मों को सरकार परचेज़ करे व अच्छी फिल्मों के लिए सबसिडी प्रदान की जाएं
– लघु फिल्मों को फिल्म नीति बनाते समय उसमें स्थान दिया जाए ।
– शूटिंग के दौरान प्रशासन द्वारा सुविधा व सुरक्षा प्रदान की जाए ।
– जिला व गांव स्तर पर फिल्म कार्यशाला लगायी जाए ।
– राष्ट्रीय स्तर के अवार्डिड कलाकारों को खिलाडि़यों की तर्ज़ पर हरियाणा सरकार द्वारा मान-सम्मान प्रदान किया जाए ।
– फिल्म के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की तरह ‘यश-भारती सम्मान‘ प्रदान किया जाए ।
– हरियाणवीं फिल्मों को फिल्म इण्डस्ट्री का दर्जा़ प्रदान किया जाए ।
– बेटियों के लिए सरकार की तरफ से विशेष प्रावधान किया जाए ।