-यूनियन के राज्य प्रधान सुनील खटाना के नेतृत्व में बिजली विभाग के कर्मचारियों की 62 मांगों वाली सूची सौंपी
– 5 जिले के बिजली कर्मियों ने प्रदेश सरकार एवं निगम मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर की नारेबाजी
– सरकार की नकारात्मक नीतियों के कारण सख्त नाराज हैं कर्मचारी : यशपाल देशवाल
गुरुग्राम : हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्कर्स यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने आज हरियाणा के बिजली निगमों में कार्यरत कर्मचारियों की मांगों एवं उनकी समस्याओं को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव बिजली विभाग हरियाणा के नाम मुख्य अभियंता दिल्ली मंडल को ज्ञापन सौंपा । यूनियन ने राज्य प्रधान सुनील खटाना के नेतृत्व में सौंपे गए 62 मांगों वाले लिखित ज्ञापन में पिछले कई वर्षों से लंबित मुद्दों पर तत्काल अमल करने की मांग की। इस अवसर पर प्रदेश के 5 जिलों के कर्मचारियों ने लंबित मांगों के प्रति विभाग के नकारात्मक रवैया के प्रति रोष प्रदर्शन किया और प्रदेश सरकार एवं निगम मैनेजमेंट के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यूनियन के नेताओं ने मांगे पूरी नहीं होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी।
एचएसईबी वर्कर्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील खटाना, महासचिव यशपाल देशवाल, व यूनियन की पूरी केंद्रीय कमेटी ने दिल्ली जोन के मुख्य अभियंता नवीन वर्मा से मिलकर कर्मचारियों की मांगों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और लिखित ज्ञापन सौंपते हुए बिजली कर्मचारियों के साथ हो रहे नीतिगत अन्याय के प्रति आगाह किया।
यूनियन के प्रधान सुनील खटाना ने बताया कि प्रदेश सरकार का लगभग 4 साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है लेकिन आज भी कर्मचारियों की समस्याएं पूर्ववत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि आज बिजली कर्मचारियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है और विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन ,कैशलेस मेडिकल फैसिलिटी , कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, समान काम के लिए समान वेतन देना, कोविड काल की 18 माह के लिए डी ए का एरियर जारी करना, जोखिम भत्ता, ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को रद्द करना, बिजली की फ्री यूनिट बढ़ाना, हरियाणा कौशल रोजगार निगम को बंद करना, क्लेरिकल कर्मचारियों को वर्दी व वॉशिंग एलाउंस मुहैया कराने जैसे दर्जनों मुद्दे पर राज्य सरकार या विभाग की ओर से कोई चर्चा करने को राजी नहीं है। उनका कहना था कि इन मुद्दों को लेकर यूनियन की ओर से ज्ञापन सौंपा गया और इन पर तत्काल अमल करवाने की मांग की गई।
यूनियन के महासचिव यशपाल देशवाल ने बताया कि प्रदेश भर के बिजली विभाग के कर्मचारी सरकार की नकारात्मक नीतियों के कारण सख्त नाराज हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि समय रहते अगर प्रदेश सरकार कर्मचारियों की मांगों को लागू नहीं करेगी तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को परेशानी में नहीं डालना चाहते इसलिए ही विषम परिस्थितियों में भी काम करते हैं लेकिन सरकार लगातार हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। प्रदेश सरकार के अधिकारी अपने किये वायदे से मुकर जाते हैं.
मुख्य अभियंता दिल्ली मंडल को सौंपे ज्ञापन में यूनियन की ओर से कहा गया है कि समस्याएं बढ़ती जा रही हैं और बिजली निगमों में कार्यरत कर्मचारियों को ड्यूटी करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि बिजली निगमों में कार्यरत कर्मचारियों की मांगों को लेकर प्रदेश के बिजली मंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिजली विभाग एवं सभी बिजली निगमों के प्रबंध निदेशकों के साथ यूनियन की कई दौर की वार्ता हुई थी. सभी बैठकों में अधिकारियों ने उनकी मांगों को शीघ्र लागू करने का आश्वासन दिया था लेकिन उन पर अमल करवाने के बजाय कर्मचारी विरोधी नीतियों को तेजी से लागू किया जाने लगा है। इससे प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारियों में जबरदस्त रोष व्याप्त है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि समस्याओं का समाधान ना होने के कारण बिजली कर्मचारियों को काफी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है. इसलिए ही आज विभाग को लिखित ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी गई है। सभी मुद्दों पर शीघ्र समाधान की मांग करते हुए यूनियन ने आंदोलन की धमकी दी। कर्मचारी नेताओं ने इसके लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
कौन कौन थे मौजूद ?
इस अवसर पर कर्मचारी नेता मुकेश भयाना, वीरेंद्र नारा, राजेश ठाकरान, संदीप नेहरा, अनिल पहल, जय वीर मान, तारीफ हुसैन, सतीश छाबड़ी, मलकीत सैनी, प्रेम शेरू, कर्मवीर यादव ,छत्रपाल, राकेश ,स्वरूप और दलवीर मोर ने 5 जिले के बिजली विभाग के कर्मचारियों को संबोधित किया.
क्या हैं मांगे ?
पुरानी पेंशन लागू करना, बिलो स्टेटस कर्मचारियों का नियम अनुसार जल्दी से जल्दी प्रमोशन करना, बिजली कर्मचारियों के लिए जोखिम भत्ता लागू करना, कैशलैस मेडिकल सुविधा, सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, कच्चे कर्मचारियों की तनख्वाह 21000 से बढ़ाकर ₹40000 करना, ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को रद्द करना, सभी क्लेरिकल कर्मचारियों के लिए भी वर्दी भत्ता व धुलाई भत्ता लागू करना, कर्मचारियों के खाते में हाफ मार्जन के पैसे डालने वाले नियम सेल सर्कुलर नंबर 107 को रद्द करना, रोडवेज की हड़ताल में शामिल कर्मचारियों की छुट्टियों को पास करना, क्लेरिकल कर्मचारियों का अनक्वालिफाइड कोटा 25% से बढ़ाकर 50% करना, ऑनलाइन सेफ्टी कोड के नियम को रद्द करना, तेल का खर्चा बढ़ाना, टी ए की 8 किलोमीटर की दूरी की शर्त को लागू करना, सभी कैटेगरी के खाली पड़े पदों का तुरंत प्रमोशन करना, ड्यूटी के दौरान हादसे में जान गंवाने वाले कर्मचारियों के आश्रितों को कच्चे व पक्के पदों पर नौकरी देने की पॉलिसी बनाना जैसी 62 प्रमुख मांगें शामिल हैं .