गांधीनगर : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 20 अक्टूबर को गुजरात के गांधीनगर में एक संगोष्ठी ‘रक्षा अनुसंधान और विकास में आत्मनिर्भरता- सहक्रियात्मक दृष्टिकोण’ को संबोधित किया। इस संगोष्ठी का आयोजन 12वें डेफ-एक्सपो तहत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया। अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को निरंतर विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप नए लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ अनुसंधान व विकास जरूरी तैयारियों को प्राप्त करने का तरीका है।
श्री सिंह ने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के संबंध में तैयार रहने को लेकर रक्षा में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच को प्राप्त करने के लिए सरकार के किए गए कई नीतिगत सुधारों का उल्लेख किया। उन्होंने डेफ-एक्सपो 2022 के उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से की गई 101 रक्षा वस्तुओं की चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की घोषणा का विशेष उल्लेख किया। मंत्री ने इसे एक बड़े गर्व का विषय बताया और कहा कि अब घरेलू विक्रेताओं से 400 से अधिक रक्षा वस्तुओं की खरीद की जाएगी।
इसके अलावा रक्षा मंत्री ने रक्षा अनुसंधान व विकास के लिए जारी बजट का एक चौथाई हिस्सा उद्योग के नेतृत्व वाले अनुसंधान व विकास को देने के निर्णय के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि ये ऐसे कुछ कदम हैं, जिन्होंने एक मजबूत आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग की नींव रखी है, जो सशस्त्र बलों को नवीनतम हथियारों/उपकरणों से युक्त करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी से सशस्त्र बल, राष्ट्र के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे।
श्री सिंह ने आगे कहा, “भारत ने रक्षा में अनुसंधान व विकास की आत्मनिर्भरता की एक यात्रा शुरू की है। हमें इस मंजिल तक पहुंचाने में निजी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्र पहिए हैं, जिनके साथ अनुसंधान व विकास रूपी वाहन संपूर्ण आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। सरकार और उद्योग जगत के बीच सहयोगात्मक प्रयासों से हम प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ की सोच को साकार करेंगे।”
रक्षा मंत्री ने भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को बढ़ावा देने की दिशा में उद्योग, शिक्षा और रक्षा अनुसंधान व विकास के प्रयासों के बीच समन्वय स्थापित करने में डीआरडीओ की निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने विभिन्न अत्याधुनिक और अपनी तरह के पहले नवाचारों व प्रौद्योगिकियों को विकसित करके सशस्त्र बलों की क्षमता बढ़ाने में योगदान करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह संगठन (डीआरडीओ) अब रक्षा अनुसंधान व विकास के लिए एकमात्र सेवा प्रदाता नहीं है, बल्कि घरेलू अनुसंधान व विकास और निजी क्षेत्र के लिए एक सुविधा प्रदाता भी बन गया है।
इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने ‘डेयर टू ड्रीम 3’ विजेताओं को सम्मानित किया और भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए ‘डेयर टू ड्रीम 4′ प्रतियोगिता की शुरुआत की। उन्होंने डेयर-टू-ड्रीम 3 के विजेताओं को बधाई दी और कहा कि यह प्रतियोगिता व्यक्तियों व स्टार्ट-अप में नए विचारों और अभिनव सोच को बढ़ावा देती है।
इसके अलावा रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ- उद्योग- अकादमिक- उत्कृष्टता केंद्र (डीआईए-सीओई) के गठन को लेकर अकादमिक संस्थानों और नौसेना नवाचार व स्वदेशीकरण संगठन (एनआईआईओ), भारतीय नौसेना के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित बैठक की भी अध्यक्षता की। इन अकादमिक संस्थानों में आईआईटी रुड़की, आईआईटी जोधपुर, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू और भारतीय विश्वविद्यालय शामिल थे। ये केंद्र चिह्नित किए गए विषयों में देश के लिए अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, जो अत्याधुनिक तकनीकों के लिए खंडों का निर्माण कर रहे हैं। अकादमिक संस्थानों के साथ किए गए समझौता ज्ञापनों के तहत रक्षा में उन्नत अनुसंधान के लिए केंद्रित क्षेत्रों में काम शुरू किया जाएगा। मौजूदा जरूरतों को पूरा करने व अत्याधुनिक तकनीकों की नींव रखने के लिए दीर्घकालिक और अल्पकालिक अनुसंधान क्षेत्रों को संतुलित किया जाएगा।
इसके अलावा, हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के रोटरी विंग रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर प्रभाग और मैसर्स एकॉर्ड सिस्टम्स एंड सॉफ्टवेयर को डिजाइन संगठनात्मक स्वीकृति प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने इकोसिस्टम के सभी हितधारकों के लाभ के लिए मानव विश्वसनीयता कारकों और मानव विश्वसनीयता मूल्यांकन पर दिशानिर्देश जारी किए। इसके अलावा उन्होंने डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिकों की लिखित दो मोनोग्राफ का भी विमोचन किया। इस अवसर पर उद्योगों को डिजाइन संगठन स्वीकृति योजना प्रमाणपत्र भी सौंपे गए।
इसके अलावा श्री सिंह ने ‘डीआरडीओ की 8 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियों का संकलन- रक्षा मंत्रालय (2014-2022)’ नामक पुस्तक का भी विमोचन किया। इस पुस्तक में डीआरडीओ की विभिन्न उपलब्धियां शामिल हैं, जिनमें प्रमुख प्रक्षेपण, उड़ान परीक्षण, टीओटी, डीआरडीओ-उद्योग-अकादमिक साझेदारी आदि का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
दूसरे सत्र की अध्यक्षता रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय (डीडीआरएंडडी) के सचिव डॉ. समीर वी कामत ने की। इसमें रक्षा अनुसंधान और विकास के सभी हितधारकों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं। वहीं, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. जी सतीश रेड्डी ने पैनल चर्चा की अध्यक्षता की। इसके अलावा इस संगोष्ठी में वरिष्ठ प्रतिष्ठित सेवा अधिकारी, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी, आईआईटी निदेशक, उद्योग प्रतिनिधि, शिक्षाविद, डीआरडीओ के वैज्ञानिक और अन्य लोग भी शामिल हुए।