गृह मंत्रालय
आज डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है जिन्होंने भारतीय शिक्षा के मूल तत्व को आत्मसात करने के साथ-साथ इसे पूरे विश्व में यश दिलाने का काम किया था
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी एक दार्शनिक, महान शिक्षक व विद्वान होने के साथ एक आध्यात्मवादी व्यक्तित्व व रचनात्मक प्रतिभा के धनी थे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति-2020 शिक्षा के प्रति डॉ राधाकृष्णन के विचारों का प्रतिबिंब है
नई शिक्षा नीति की प्राथमिक शिक्षा की कल्पना को ज़मीन पर उतरते हुए ए एम नाइक स्कूल में देखा जा सकता है
भारतीय परम्परा में ज्ञान और शिक्षा बहुआयामी थे, और मोदी जी द्वारा लायी गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बच्चों के अंदर की प्रतिभा को निखार कर उन्हें उज्ज्वल भविष्य देने का एक उत्कृष्ट माध्यम बनेगी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति से सिर्फ डिग्री होल्डर बाहर नहीं आएंगे, बल्कि बड़े व्यक्ति बाहर आएंगे और वे जो भी करेंगे उससे देश व दुनिया के अच्छे के लिए करेंगे
ये शिक्षा नीति केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों और नागरिकों की आकांक्षा का प्रतिबिंब है और ये हमारी मूल भारतीय शिक्षा व्यवस्था और परंपरा की सुगंध से बनी है
अमित शाह ने मुंबई में लाल बाग के राजा के दर्शन किए और बांद्रा (पश्चिम) में सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा स्थापित गणेश जी के दर्शन व पूजन भी किया
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अपनी एकदिवसीय मुंबई यात्रा के दौरान ए. एम. नाइक स्कूल का उद्घाटन किया।
श्री शाह ने मुंबई में लाल बाग के राजा के दर्शन किए और बांद्रा (पश्चिम) में सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा स्थापित गणेश जी के दर्शन व पूजन भी किया। श्री शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आवास पर गणपति जी के दर्शन किये और साथ ही उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के आवास पर भी गणपति जी के दर्शन कर पूजन किया।
इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है जिन्होंने भारतीय शिक्षा के मूल तत्व को आत्मसात करने के साथ-साथ इसे पूरे विश्व में यश दिलाने का काम किया था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा के प्रति डॉ राधाकृष्णन के विचारों का प्रतिबिंब दिखाई देता है। डॉ राधाकृष्णन एक दार्शनिक, महान शिक्षक, विद्वान, रचनात्मक प्रतिभा के धनी और मानवतावादी और आध्यात्मवादी दूरदृष्टा थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन ना केवल भारत बल्कि विश्व के विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षा के मायने समझाने में व्यतीत किया। श्री शाह ने कहा कि आदर्श गुरू कैसा हो, इसे समझने के लिए डॉ राधाकृष्णन के वक्तव्यों पर बहुत अच्छे तरीक़े से अभ्यास करने की ज़रूरत है। डॉ राधाकृष्णन ने गुरू की बहुत सरल व्याख्या की है कि विचारने की कम शक्ति के साथ बालक घर से गुरू के पास आता है और उसकी मति को गुरू यानी बड़ी बनाने में जो सहायता करता है, वो गुरू है। ऐसे बच्चे को गुरूमति बनाकर देश के विकास के साथ जोड़ने और समाज में ले जाने वाला ही गुरू होता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अनेक क्षेत्रों में भारत सरकार ने डॉ नाइक को राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को देखकर उन्हें पद्मविभूषण दिया। L&T को इतनी ऊंचाई पर पहुंचाने में डॉ नाइक का बहुत बड़ा योगदान रहा है। अनेक क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में L&T की बहुत बड़ी भूमिका रही है और इसके पीछे डॉ नाइक का बहुत बड़ा रोल है और अब एक स्कूल बनाकर वे अच्छे नागरिकों का निर्माण करके देश की सेवा करने का प्रयास कर रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि सड़कें, पुल, कारखाने बनाने से एक महान व्यक्ति बनाना बहुत कठिन होता है।
श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति की प्राथमिक शिक्षा की कल्पना को ज़मीन पर उतरते हुए यहां देखा जा सकता है। इस स्कूल में कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं और लैब, लाइब्रेरी, बच्चों के लिए रंगमंच और खेल के मैदान भी हैं। अपने-आप में शिक्षा का एक परिपूर्ण संकुल यहां बनाया गया है। नाइक जी का ट्रस्ट गुजरात और महाराष्ट्र के कई शिक्षण संस्थानों को संभाल रहा है। गुजरात में कौशल निर्माण की सुविधा उन्होंने स्थापित की।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति और पुरानी शिक्षा व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन किया गया है। हमारे यहां ज्ञान और शिक्षा बहुआयामी थी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020ने बच्चों के अंदर की प्रतिभा को सामने लाने और उसे उत्कृष्ट मंच प्रदान करने का काम किया है। नई शिक्षा नीति से सिर्फ डिग्री होल्डर बाहर नहीं आएंगे, बल्कि बड़े व्यक्ति बाहर आएंगे और वे जो भी करेंगे देश और दुनिया की अच्छाई के लिए करेंगे। इस प्रकार के व्यक्ति निर्माण की इस नीति में कल्पना की गई है। ये शिक्षा नीति केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों और नागरिकों की आकांक्षा का प्रतिबिंब है। यह नई शिक्षा नीति हमारी मूल भारतीय शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा परंपरा की मिट्टी की सुगंध से बनी है। इसमें व्यक्ति को शिक्षित बनाने के साथ-साथ बड़ा बनाने की भी सोच है।
8श्री शाह ने कहा कि जब अभिभावक अपने बच्चे को शिक्षक के पास भेजते हैं तब ईश्वर समझकर भेजते हैं। वह बच्चा ईश्वर की देन है, देश का भविष्य है और आने वाली दुनिया बनाने वाला व्यक्ति है। इस दृष्टि से अगर उस बच्चे को देखेंगे तो शिक्षा के मायने अपने आप स्पष्ट हो जाएंगे। उसमें कई अच्छे और बुरे गुण होंगे लेकिन उसे पढ़ाते हुए उसमें से सभी अवगुणों को समाप्त कर कर तेज, उद्यम, परिश्रम और परोपकार की भावना भरने का काम शिक्षक को करना है। जब नकारात्मक ऊर्जा बच्चे के मन और मस्तिष्क से निकल जाएगी तो वह निश्चित रूप से बड़ा व्यक्ति बनने के लिए आगे बढ़ेगा।