-दमदमा खेड़ला बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित करने के प्रस्ताव पर भी हुई चर्चा
गुरुग्राम, 18 जून । गुरुग्राम जिला में पड़ने वाली दमदमा झील को पुनर्जीवित करने और दमदमा खेड़ला बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित करने के प्रस्ताव पर शनिवार को गुरुग्राम जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ मंत्रणा की। पर्यटन विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव एम डी सिन्हा शनिवार को गुरुग्राम में अरावली सफारी पार्क विकसित करने को लेकर बैठक करने गुरुग्राम पहुंचे थे। इस अवसर का लाभ उठाते हुए गुरुग्राम के उपायुक्त श्री निशांत कुमार यादव के नेतृत्व में गुरुजल सोसाइटी की टीम ने दमदमा को पुनर्जीवित करने और उस क्षेत्र में दमदमा खेड़ला बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित करने का प्रस्ताव पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष रखा।
चूंकि श्री सिन्हा भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं और गुरुग्राम में लंबे समय तक वन विभाग में सेवा दे चुके हैं, तथा वर्तमान में भी पर्यटन विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव के पद पर आसीन हैं, इसलिए दमदमा झील को पुनर्जीवित करने और उस क्षेत्र में बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित करने के प्रस्ताव पर उनसे विशेषज्ञ परामर्श लेना गुरुग्राम जिला प्रशासन ने उचित समझा।
बैठक में वन विभाग की मुख्य संरक्षक वार्षिक त्यागी भी उपस्थित रही। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बैठक में बताया कि दमदमा झील को पुनर्जीवित करने और वहां पर बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित करने के लिए गुरुग्राम जिला प्रशासन पर्यटन विभाग और वन विभाग के साथ एक एमओयू करना चाहता है ताकि दोनों विभागों के साथ मिलकर इस कार्य को सिरे चढ़ाया जा सके।
उन्होंने कहा कि दमदमा झील के पुनर्जीवित होने से ना केवल यह एक अच्छा पर्यटन केंद्र के तौर पर उभरेगा बल्कि दमदमा व आसपास के ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम जिला प्रशासन ने गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर दमदमा झील तक शोधित पानी की पाइप लाइन पहुंचाने की योजना तैयार की है। प्राधिकरण ने फिलहाल कादरपुर तक लाइन पहुंचा रखी है।
श्री यादव ने बताया कि दमदमा झील और इसके आसपास दमदमा खेड़ला बायोडायवर्सिटी पार्क की यह पूरी परियोजना लगभग 500 एकड़ में विकसित करने की योजना है। इस प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
श्री सिन्हा ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट देखने के बाद गुरु जल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से कहा कि वे ड्रोन सर्वे करवाने के बाद वाटर शेड लाइन निर्धारित करें और हाई वॉटर मार्क की लेआउट प्लान बनाएं। उन्होंने कहा कि जहां जहां प्राकृतिक रूप से पानी ठहरता है उन्हीं स्थानों पर छोटे-छोटे बंध बनाकर पानी को रोकें। टैरेन मैपिंग करें, वहां की सोयल टेस्टिंग करें और झील में वर्तमान में उपलब्ध पानी का बीऑडी लेवल भी टेस्ट करवाएं।
उन्होंने कहा कि शोधित पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए दमदमा लेक के पास भी टरशरी ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करवाना बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा कि पानी के अभाव में बायोलॉजिकल रेस्टोरेशन एक चुनौती भरा कार्य होगा। साथ ही श्री सिन्हा ने सुझाव दिया कि इस पूरे प्रोजेक्ट को पर्यटन और वन विभाग के सहयोग से तैयार करके संबंधित विभागों को उनके अधीन क्षेत्र को विकसित करने का दायित्व दिया जाना चाहिए। इससे जिला प्रशासन का काम बंट जाएगा और प्रोजेक्ट को लागू करने में आसानी होगी।
गुरु जल सोसाइटी की टीम ने बताया कि उन्होंने दमदमा लेक क्षेत्र में सिडार नामक संस्था के साथ मिलकर बेसलाइन सर्वे पूरा कर लिया है। साथ ही बताया कि उस क्षेत्र में लैंडस्केपिंग करवा कर झील के तटबंध को मजबूत कर ऊंचा उठाया जाएगा। उसके लिए वॉटर शेड मैनेजमेंट की पूरी प्लान तैयार की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट को 7 चरणों में विकसित करने की योजना है।