फिर फोन पर तलाक देने का एक मामला !

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असमीना को नसीम पसंद नहीं था, इसी वजह से वह उसे छोडकर चली गई थी

यूनुस अलवी

मेवात: मेवात इलाके के गांव मलाई में अपनी पत्नी को फोन पर तलाक देने वाले नसीम ने बताया कि उसकी पत्नी असमीना शादी के समय से ही उसको पसंद नहीं करती थी। शादी के दो बच्चे हो जाने के बावजूद वह उसके साथ रहना नहीं चाहती थी, इसी वजह से करीब तीन साल पहले जब वह घर पर नहीं था, असमीना अपने भाई के साथ परिवार के लोगों की इजाजत के बगैर जबरजस्ती अपने माईके चली गई थी। उसने और उसके परिवार वालों ने उसे कई बार लाने का प्रयास किया लेकिन वह आने को ही राजी नहीं थी। 

 नसीम ने बताया कि गत 15 मई 2011 को उसकी शादी राजस्थान के गांव चैलाकी निवासी असमीना के साथ हुई थी। शादी में उसे एक स्विफ्ट कार और 3.51 लाख रूपये बिदाई में मिले थे. वह और उसका परिवार शादी से काफी खुश था लेकिन उसकी बीबी असमीना शादी के समय से ही उससे सीधे मुहं बात नहीं करती थी और वह अकसर उससे कहती थी कि वह खूबसूरत है और तुम मेरे लायक नहीं हो। इतना सुनने के बावजूद वह उसे बहुत चहाता था लेकिन नसीम के साथ मन नहीं लगता था। ऐसे ही उसके एक लडका नासिका पैदा हो गया. 

   नसीम ने बताया कि  जुलाई 2013 में  जब वह घर पर नहीं था तो वह जबरजस्ती अपने भाई के साथ सभी कपड़े जेवर आदि लेकर अपने माईके चली गई थी।  दिसंबर 2013 में असमीना को शैद भी उसके ही माईके में पैदा हो गया। शैद पैदा होने के बाद असमीना के गांव व आसपास के कई प्रमुख लोग एक पंचायत लेकर आये। जब पंचायत ने दोनों पक्षों की बात सुनी तो सभी ने असमीना की ही गलती मानी । दिसंबर 2013 में गांव रूपडाका में हुई पंचायत ने कहा कि असमीना खुद अपने माईके जबरजस्ती गई है, इस वजह से उसके परिजन ही एक सप्ताह के अंदर असमीना का गांव मलाई में उसकी ससुराल छोडकर जायें।

नसीम ने बताया कि जब असमीना को उसके परिजन एक सप्ताह की जगह 15-20 दिन तक भी नहीं लेकर आये तो उसने असमीना के पिता के फोन पर 15 जनवरी 2014 को फोन पर ही तलाक दे दी। नसीम ने यह भी बताया कि असमीना के परिजनों ने उसके खिलाफ कानूनी या पंचायती कार्रवाई करने कि बजाए उसके साथ गैरकानूनी तरीके हथकंडे अपनाये। यहां तक कि कई बार उसका अपहरण करने का प्रयास किया गया कई लोगों को सुपारी देकर उसकी हत्या भी कराने का प्रयास भी हुआ लेकिन वह हर बार बचता रहा। यहाँ तक कि 7 दिसंबर 2014 को गांव शिकरावा के पास उसका अपहरण करने का प्रयास किया गया . गनीमत तो यह रही कि उस समय उसकी कार को वह नहीं उसका दोस्त चला रहा था बाद में उसके दोस्त को उटावड में छोडकर चले गये।

उन्होंने बताया कि गत 23 दिसंबर 2016 को गांव के ही उनके मुखलिफों के इसारे में असमीना को जबरजस्ती उसके घर छोड़ गये हैं। उसको शक है कि उसे और उसके परिवार को फंसाने के लिये असमीना कोई भी गलत कदम उठा सकती है। आखिर में नसीम ने बताया कि अब वह असमीना के साथ किसी भी कीमत पर जिंदगी नहीं बिता सकता। असमीना को हक है कि वह अदालत जाये या फिर करीब 10 दिन बाद होने वाली पंचायत में बिरादरी में कोई हल निकाले। 

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