नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज संयुक्त रूप से 50,000 स्कूल शिक्षकों के लिए ‘स्कूल नवाचार दूत प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का शुभारंभ किया। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री, अन्नपूर्णा देवी; केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार भी शिक्षा मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि शिक्षकों का हमारे जीवन में सबसे बड़ा प्रभाव है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अपने छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए अपने शिक्षकों को परिवर्तन-एजेंट और नवाचार का दूत बनाना है।
श्री प्रधान ने बल देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी दुनिया को नया आकार दे रही है और हमारे छात्रों में न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक चुनौतियों का भी समाधान करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि आज शुरू किया गया कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय के नवोन्मेष एकांश, जनजातीय कार्य मंत्रालय, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-सीबीएसई और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-
एआईसीटीई द्वारा एक सहयोगात्मक प्रयास है, जो बदले में लाखों छात्रों को नवाचार क्षमताओं के साथ पोषित करेगा, नवाचार की संस्कृति विकसित करेगा तथा एक नए और जीवंत भारत की नींव रखेगा।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आभार व्यक्त किया कि शिक्षा मंत्रालय ने जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से नवाचार के क्षेत्र में अपनी नई पहल शुरू की है जिससे देश भर में बड़ी संख्या में आदिवासी बच्चों के लिए स्कूलों को लाभ होगा। जनजातीय कार्य मंत्री ने विस्तार से बताते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के दूरगामी परिणाम होंगे जो नए भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने में मदद करेंगे।
अर्जुन मुंडा ने आगे कहा कि स्कूल नवाचार दूत प्रशिक्षण कार्यक्रम एस आईएटीपी बच्चों की रचनात्मकता को नई ऊंचाई देगा और एक मंच प्रदान करेगा ताकि वे अपने विचारों से दुनिया को कुछ नया दे सकें। उन्होंने कहा कि आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) प्रधानमंत्री का एक और महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसके तहत अगले तीन वर्षों में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 740 ऐसे विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्रों को स्कूल नवाचार दूत प्रशिक्षण कार्यक्रम से बहुत लाभ होगा क्योंकि जनजातीय कार्य मंत्रालय का भी प्रयास है कि आदिवासी बच्चों को हरसंभव सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान की जाए।
अर्जुन मुंडा ने बताया कि शिक्षकों के लिए इस अद्वितीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के बीच रचनात्मकता, सहयोग, महत्वपूर्ण सोच और संचार कौशल के विकास को प्रमुखता दी गई है और पूरे कार्यक्रम में एकलव्य स्कूलों का एकीकरण आदिवासी बच्चों का सार्थक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा ने कहा कि नवाचार को प्रोत्साहित करना नई शिक्षा नीति के मूल में है। शिक्षकों को शिक्षण के नए तरीकों को विकसित करने की आवश्यकता होगी; उन्हें पहले खुद को लिखित पाठ्य पुस्तकों के माध्यम से मार्गदर्शक के रूप में बदलना होगा।
श्री झा ने आगे कहा कि एकलव्य विश्व शिक्षा स्कूल चलाने के अलावा, जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासी छात्रों को वैज्ञानिक शिक्षा के प्रसार में राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की पहल का समर्थन कर रहा है और नई पहल आदिवासी बच्चों के बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद करेगी। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एक आदि-प्रशिक्षण पोर्टल की शुरूआत की है जो प्रशिक्षण सामग्री का भंडार भी है। उन्होंने कहा कि अगर एसआईएपी प्रशिक्षण मॉड्यूल भी इस पोर्टल से जुड़ जाता है तो इससे बहुत फायदा होगा।
स्कूली शिक्षकों के लिए यह अभिनव और अपनी तरह का अनूठा प्रशिक्षण कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य 50,000 स्कूल शिक्षकों को नवाचार, उद्यमिता, आईपीआर, डिजाइन थिंकिंग, उत्पाद विकास, विचार सृजन आदि के बारे में प्रशिक्षण देना है।
कार्यक्रम को शिक्षा मंत्रालय के नवोन्मेष एकांश और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-एआईसीटीई द्वारा स्कूली शिक्षकों के लिए “उच्च शैक्षिक संस्थान के संकाय सदस्यों के लिए नवाचार राजदूत प्रशिक्षण कार्यक्रम” के आधार पर डिजाइन किया गया है। प्रशिक्षण केवल ऑनलाइन माध्यम से दिया जाएगा।