सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। स्वामी रामदेव ने देश के डॉक्टरों और एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर पर दिया अपना आपत्तिजनक बयान वापस ले लिया है. उन्होंने यह कदम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन की चिट्ठी के दबाव में उठाया। स्वास्थ्य मंत्री ने चिट्ठी के माध्यम से योग गुरु के बयान की घोर भर्त्सना की थी और उन्हें सख्त लहजे में उनके किये से होने वाले बुरे असर को ध्यान दिलाया था। स्वामी रामदेव ने ट्विटर पर केंद्रीय मंत्री को संबोधित करते हुए कहा है कि आपका पत्र प्राप्त हुआ, उसके बारे में चिकित्सा पद्धतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना बयान वापस लेता हूं और यह पत्र आपको भेज रहा हूं.
रामदेव ने अपने संस्थान पतंजलि योगपीठ के लेटरहेड परअपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति और एलोपैथी के विरोधी नहीं है. हम मानते हैं कि जीवन रक्षा प्रणाली और सर्जरी के क्षेत्र में एलोपैथी ने बहुत तरक्की की है. यह मानवता की सेवा है. रामदेव ने कहा कि उनका जो वीडियो पेश किया गया है वो कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक का है। इसमें उन्होंने व्हाट्सऐप पर आए एक मैसेज को पढ़कर सुनाया था. अगर इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मुझे खेद है.
बाबा रामदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भेजें जवाबी पत्र में कहा है कि एलोपैथिक चिकित्सा की ओर से मानवता की सेवा के लिए किए गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन दूसरी तरफ भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एवं योग ने भी देश को कई गंभीर बीमारियों से मुकम्मल इलाज की व्यवस्था दी है। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद और योग को भी सुडो साइंस कहकर अपमानित करना करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। हमें सभी पद्धतियों में समन्वय कर मानवता की सेवा करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि वह एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के विरोधी नहीं हैं।
उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि किसी भी पद्धति की खामियों को उजागर करना उस पर आक्रमण करना नहीं है। हमें विकसित सोच के तहत सभी पद्धतियों का मूल्यांकन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए । उन्होंने स्पष्ट किया है कि हम विज्ञान विरोधी नहीं है। खासकर शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में एलोपैथी ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं उसकी स्वामी रामदेव ने प्रशंसा की है। साथ ही भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एवं योग द्वारा गठिया वात अर्थराइटिस हेपेटाइटिस बी जैसे गंभीर रोगों का स्थाई इलाज देने का भी दावा किया है।