नई दिल्ली। पूरे देश में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए टोसिलिजुमैब की अतिरिक्त 45000 शीशियां राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को आवंटित की गई हैं। इसकी घोषणा केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा द्वारा आज की गई।
भारत में टोसिलिजुमैब इंजेक्शन का उत्पादन नहीं होता है और इसे स्विस दवा कंपनी हॉफमैन ला रोचे से खरीदा जाता है। देश भर के विभिन्न अस्पतालों द्वारा टोसिलिजुमैब की मांग को मार्च, 2021 तक असानी से पूरा किया। वहीं, अप्रैल 2021 से कोविड मामलों की अचानक वृद्धि शुरू होने तक इस इंजेक्शन की आसान उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया जबकि इस दवा की मांग में अचानक से भारी वृद्धि हुई थी।
30 अप्रैल, 2021 को 9,900 उपलब्ध इंजेक्शन (400 मिलीग्राम की क्षमता) को विभिन्न राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के अस्पतालों में आवंटित किया गया।
सद्भावनापूर्ण पहल के तहत, रोचे ने 10 मई, 2021 को इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के माध्यम से भारत में कोविड रोगियों के लिए 50,000 शीशियों (80 मिलीग्राम की क्षमता) का दान किया और जिसे भारत सरकार द्वारा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के अस्पतालों को आवंटित किया गया।
टोसिलिजुमैब का अतिरिक्त आवंटन कोविड रोगियों के लिए इसकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करेगा और महामारी से लड़ने के लिए सरकार के प्रयासों को बल देगा।
इसके बाद, 11 मई, 2021 को भारत ने टोसिलिजुमैब की 45,000 शीशियों (80 मिलीग्राम की क्षमता) को खरीद कर आयात किया और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और फार्मास्यूटिकल्स विभागों द्वारा राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित किया गया है। 45,000 शीशियों में से 40000 शीशियों को राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों की जरूरत के लिए दिया गया जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी और निजी अस्पतालों दोनों में कोरोना रोगियों की जरूरतों को पूरा करने का काम करेंगे। राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे अपने राज्यों में इस दवा के आवंटन के तरीकों को आम जनता के लिए बड़े स्तर पर प्रचारित करें ताकि जरूरतमंद मरीजों और निजी अस्पतालों को इसकी जानकारी हो और अगर उन्हें दवा की आवश्यकता हो तो वे राज्य के संबंधित अधिकारियों से आसानी से संपर्क कर सकें। राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि वे जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए सभी संभव उपाय करें और यह सुनिश्चित करें कि कोविड-19 रोगियों के लिए नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल के तहत दवा का बहुत ही विवेकपूर्ण और सही ढ़ंग से इस्तेमाल किया जाता है।