नई दिल्ली : नई दिल्ली में आज ‘होम्योपैथी-रोडमैप फॉर इंटीग्रेटिव मेडिसिन’ पर दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक मुख्य अतिथि थे। विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर सम्मेलन का आयोजन आयुष मंत्रालय के तहत स्वायत्तशासी मुख्य शोध संगठन, केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) द्वारा किया गया था। विश्व होम्योपैथी दिवस (डब्लूएचडी) होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।
सभा को ऑनलाइन संबोधित करते हुए,श्री श्रीपद नाइक ने जोर दिया कि महामारियों को नियंत्रित करने में होम्योपैथी के योगदान की जानकारी पहले से ही है। कोविड महामारी के दौरान सरकार के पूरे समर्थन के साथ परिषद के कार्यों से होम्योपैथी की बड़ी उपलब्धियां सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने पूरे उत्साह के साथ चिकित्सा की आयुष प्रणालियों के जरिए अनुसंधान प्रस्तावों को आमंत्रित किया जिसे होम्योपैथी क्षेत्र से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली,इसमें से कुछ को कार्यबल समिति और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)से मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इस तरह से चिकित्सा के एकीकरण का मंत्र समय के साथ बना हुआ है और उन्हें खुशी है कि सीसीआरएच ने इसे सम्मेलन के विषय के रूप में चुना है।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने सीसीआरएच को बीमारियों से बचाव और एक अन्य उपचार के लिए कोविड 19 पर किए गए सभी शोध अध्ययनों के परिणामों को प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी। डॉ राज के मनचंदा, निदेशक, आयुष, दिल्ली सरकार ने अपने संबोधन में कहा कि यह वैज्ञानिक सम्मेलन नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के बीच अनुभव का आदान-प्रदान करने का एक शानदार अवसर है जो होम्योपैथी के क्षेत्र में शोधकर्ताओं,चिकित्सकों और शिक्षाविदों को लाभान्वित करेगा। पद्मश्री डॉ वी.के. गुप्ता, अध्यक्ष, वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड, सीसीआरएच ने टिप्पणी की कि इस सम्मेलन की रचनात्मक सिफारिशें होम्योपैथी को भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में और अधिक प्रासंगिक बना देंगी।
मंत्री के द्वारा सीसीआरएच की अनूठी डिजिटल पहल, होम्योपैथिक क्लिनिकल केस रिपॉजिटरी (एचसीसीआर) पोर्टल का उद्घाटन किया गया, जिसका उद्देश्य होम्योपैथिक चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, चिकित्सा छात्रों आदि को पहले से परिभाषित मानकीकृत टेम्पलेट के माध्यम से होम्योपैथिक क्लिनिकल मामलों तक पहुंच के लिए एक यूजर प्लेटफार्म प्रदान करना है। इस सम्मेलन का उद्देश्य नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों द्वारा एकीकृत चिकित्सा में होम्योपैथी के प्रभावी और योग्य समावेश के लिए रणनीतिक कदमों की पहचान करने के लिए अनुभव का आदान-प्रदान करना है। उद्घाटन के दौरान, सीसीआरएच ने एक डाटाबेस होम्योपैथी क्लिनिकल केस रिपॉजिटरी, का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य देश भर में चिकित्सकों के द्वारा होम्योपैथी के जरिए उपचारित मामलों को संकलित करना है जिससे होम्योपैथी के लिए साक्ष्यों का आधार तैयार किया जा सके। इस अवसर पर सीसीआरएच की ई-लाइब्रेरी का भी शुभारंभ किया गया। शिक्षा और क्लीनिकल प्रैक्टिस से जुड़े शोध के अनुवादों को बढ़ाते हुए सीसीआएच के प्रकाशन जारी किए गए।
उद्घाटन समारोह के बाद एक पैनल चर्चा आयोजित की गई जिसमें मुख्य विषय और भारत में एकीकृत चिकित्सा के अंदर होम्योपैथी के लिए कार्य क्षेत्र और अवसर, ऐसे मौके तैयार करने जिससे नीति निर्माता होम्योपैथी के लिए नए अवसरों पर विचार करें, और होम्योपैथी के सामने खड़ी चुनौतियों को कैसे हल करें इस पर सुझाव दिए गए। चर्चा करने वालों में श्री रोशन जग्गी, डॉ अनिल खुराना, डॉ राज के मनचंदा,और डॉ एमएल धवले मौजूद थे।
वैज्ञानिक सत्र सीसीआरएच के द्वारा कोविड -19 पर शोध प्रमाणों के प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ, साथ ही कुछ एलोपैथिक अस्पतालों के सहयोग से प्रख्यात चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने होम्योपैथी के समर्थन में शोध प्रमाण प्रस्तुत किए।
इस पर चर्चा हुई कि बीते हुए अनिश्चितता से भरे समय में जिसने दुनिया को स्वास्थ्य सेवा संकट में जकड़ लिया था, ने अहम शैक्षिक अनुभव दिया है कि एकीकृत चिकित्सा को एक प्रभावी रोग नियंत्रण नीति के रूप में पहचान दी जानी चाहिए। सत्र में, अंतर आयुष सहयोग: एकीकृत नैदानिक देखभाल के साथ साथ अंतर्विषयक क्षेत्रों से अनुभवी वक्ताओं जैसे डॉ अनसूया बी, डॉ परवीन ओबेराय, डॉ एके गुप्ता, डॉ विशाल चड्ढा और डॉ ए के द्विवेदी ने अपनी जानकारियों को साझा किया।
दो सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय वक्ता, डॉ माइकल फ्रैस, प्रोफेसर, मेडिसिन, स्पेशलिस्ट इन इंटरनल मेडिसिन एंड इंटरनल इंटेंसिव केयर मेडिसिन, वियना और डॉ ख़ा लून टू आगोन, अध्यक्ष, एच के एसोसिएशन ऑफ होम्योपैथी, हांगकांग, सम्मेलन में डिजिटल रूप से शामिल होकर इंटीग्रेटिव क्लिनिकल केयर पर अपना अनुभव साझा करेंगे। इसके अलावा डॉ अंतरा बनर्जी एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ रीजेनरेटिव बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी, चेट्टीनाड एकेडमी ऑफ रिसर्च एंड एजुकेशन, केलांबक्कम होम्योपैथी की सहायक भूमिका पर अपने शोध साक्ष्य साझा करेंगी।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में होम्योपैथी के सत्र में ऐसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों जिसमें होम्योपैथी का एकीकरण किया जा चुका है, जैसे कैंसर नियंत्रण और रोकथाम पर राष्ट्रीय कार्यक्रम, मधुमेह, हृदय रोगों और स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) कैंसर और केरल राज्य की पीड़ानाशक देखभाल पहल, वृद्धों की देखभाल और कुपोषण पर अंकुश लगाने के लिए समुदाय आधारित पहल आदि में सार्वजनिक स्वास्थ्य में होम्योपैथी की सफलता की कहानियों को साझा करने वाले प्रमुख वक्ता शामिल होंगे।