नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दूरसंचार विभाग के स्पेक्ट्रम नीलामी के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस नीलामी के तहत स्पेक्ट्रम वाणिज्यिक मोबाइल सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सफल बोलीदाताओं को सौंप दिया जाएगा। इससे पूर्व इसकी नीलामी वर्ष 2016 में की गई थी और इस बार भी नीलामी के नियम व शर्तें पूर्ववत रहेंगी। स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया मार्च 2021 तक पूरी कर ली जाएगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद इस संबंध में सभी बिंदुओं की जानकारी मीडिया को मुहैया कराते हुए केंद्रीय कानून एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि यह नीलामी 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड्स के स्पेक्ट्रम के लिए होगी। यह स्पेक्ट्रम 20 वर्ष की वैधता अवधि के लिए सौंपा जाएगा। कुल 3,92,332.70 करोड़ रुपये (आरक्षित मूल्य पर) के मूल्य निर्धारण के साथ कुल 2251.25 मेगाहर्ट्ज का प्रस्ताव किया जा रहा है।
नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम के उपयोग के अधिकार प्राप्त करने वाले दूरसंचार सेवा प्रदाता अपने नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने में समर्थ होंगे, जबकि नया सेवा प्रदाता अपनी सेवाएं शुरू करने में समर्थ होगा।
इस नीलामी में बोलीदाताओं को मानदंडों/शर्तों यानी ब्लॉक साइज जिसमें बोलीदाता अपनी बोलियां प्रस्तुत करने में समर्थ होंगे, स्पेक्ट्रम कैप यानी बोली की समाप्ति के बाद प्रत्येक बोलीदाता द्वारा दी जाने वाली स्पेक्ट्रम की अधिकतम राशि, शुरू करने की बाध्यताएं, भुगतान शर्तों आदि का अनुपालन करना होगा।
सफल बोलीदाताओं को पूरी बोली राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा या निश्चित राशि (प्राप्त किए गए 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज और 900 मेगाहर्ट्ज बैंड्स में 25 प्रतिशत या 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड्स में प्राप्त किए स्पेक्ट्रम के लिए 50 प्रतिशत) का एकमुश्त भुगतान करने का विकल्प चुना जाए और बकाया राशि का दो वर्ष के ऋण स्थगन के बाद अधिकतम 16 एक समान वार्षिक किश्तों में भुगतान करना होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पूर्व वर्ष 2016 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की गई थी। उसके बाद अब नीलामी का निर्णय लिया गया है। इसमें लगे लंबे अंतराल का कारण स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में ट्राई की रिपोर्ट आती है और फिर उसका विश्लेषण किया जाता है इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है।
उन्होंने कहा कि बोली राशि के अलावा सफल बोलीदाता को इस बोली के माध्यम से प्राप्त किए गए स्पेक्ट्रम उपयोग प्रभारों के रूप में वायरलाइन सेवाओं के अलावा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की 3 प्रतिशत राशि का भी भुगतान करना होगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी सफल बोलीदाताओं को स्पेक्ट्रम प्रदान करने की एक पारदर्शी प्रक्रिया है। स्पेक्ट्रम की पर्याप्त उपलब्धता उपभोक्ताओं के लिए दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाती है।
यह प्रासंगिक है कि आर्थिक प्रगति, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन तथा डिजिटल इंडिया के प्रसार के साथ मजबूत जुड़ाव से टेलीकॉम क्षेत्र आज एक प्रमुख बुनियादी क्षेत्र बन गया है, इसलिए मंत्रिमंडल के उपयुक्त निर्णय से सभी पहलुओं पर हितकारी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।