नयी दिल्ली, 28 अगस्त । उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी से बिहार के मुक्त होने तक राज्य विधान सभा के चुनाव स्थगित करने के लिये दायर जनहित याचिका शुक्रवार को यह कहते हुये खारिज कर दी कि चुनाव टालने के लिये कोरोना महामारी आधार नहीं हो सकती।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये याचिका पर सुनवाई करते हुये कहा कि निर्वाचन आयोग सारे पहलुओं पर विचार करेगा। पीठ ने कहा कि अभी तक विधान सभा चुनाव के लिये कोई अधिसूचना भी जारी नहीं हुयी है। ऐसी स्थिति में यह याचिका समय पूर्व है।
यह याचिका अविनाश ठाकुर ने दायर की थी। याचिका में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर चुनाव स्थगित करने का मुख्य निर्वाचन आयुक्त को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिका में कहा गया था कि जनप्रतिनिधित्व कानून में असाधारण परिस्थितियों में चुनाव स्थगित करने का प्रावधान है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्वाचन आयोग से कैसे कह सकते हैं कि वह चुनाव नहीं कराये? कोविड चुनाव स्थगित करने का वैध आधार नहीं हो सकता।’’
याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रावधान है कि असाधरण परिस्थितियों में चुनाव स्थगित किया जा सकता है।
इस पर पीठ ने कहा कि यह निर्णय लेना निर्वाचन आयोग का काम है और न्यायलाय आयोग को चुनाव नहीं कराने का निर्देश नहीं दे सकता।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि चुनाव नहीं मानव जीवन महत्वपूर्ण है और विधायक ही नहीं बल्कि आम जनता भी कोविड-19 महामारी का शिकार हो रही है।
पीठ ने कहा कि वह चुनाव टालने का आदेश नहीं दे सकती और निर्वाचन आयोग सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही निर्णय करेगा।