कारसेवक की जुबानी : 18 साल 10 महीने थी मेरी उम्र : रमन मलिक 

Font Size

छह दिसंबर 1992 का दिन उनके लिए कभी न भूलने वाला दिन था

गुरुग्राम। आज राम मंदिर के लिए भूमि पूजन हो रहा है। लेकिन इसके लिए लड़ी गई लड़ाईयों को भूला नहीं जा सकता। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रमन मलिक ने 28 साल पहले कार सेवक वाली घटना को अपनी यादों के झरोखों से बयां किया। उन्होंने कहा कि वे कार सेवक के रूप में शामिल थे, जो भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और राम मंदिर निर्माण समिति के अपील पर अयोध्या कूच कर गए थे। रमन मलिक कहते हैं जुनून में वह अयोध्या गए थे, छह दिसंबर 1992 का दिन उनके लिए कभी न भूलने वाला दिन था।

 

मलिक कहते हैं कि  उनकी उम्र उस समय मात्र 18 साल 10 महीने और चार दिन थी। वह घर से बिना बताए निकल गए थे और उन्होंने पलवल पहुंचकर पीसीओ से घर फोन कर सूचना दी थी। उनकी मां काफी डर गई थीं, लेकिन पिता से संबल मिलने पर आगे चले गए थे। मलिक कहते हैं कि बिहार में आडवाणी जी के गिरफ्तार होने के बाद पूरा आंदोलन गर्मा गया था। वह बेहद मुश्किल हालातों का सामना करते हुए अयोध्या पहुंचे थे। रास्ते में पुलिस की नाकेबंदी से बचने के लिए वे नालों से होकर गुजरे थे। ऐसे में उनके पैरों में कई सारे जोंक लिपट गए थे। जिन्हें उन्होंने बाद में अलग किया था।

 

मलिक कहते हैं कि अयोध्या में लाठीचार्ज होने के बाद स्थिति बिगड़ी थी और वे दूसरे कारसेवकों के साथ भागकर मुरली मनोहर जोशी के पास चले गए थे। मलिक कहते हैं कि वह छह दिन बाद अपने घर लौटे थे और अयोध्या की कुछ मिट्टी लेकर आए थे, जिसे उन्होंने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित मंदिर में रख दिया था। मलिक कहते हैं इस दौरान मां काफी विचलित रही थी। वापस आने पर उन्होंने सीने से लगा लिया था और डांट भी लगाई थी। मलिक अपने परिवार के साथ अब नए गुरुग्राम के साउथ सिटी इलाके में रहते हैं।

You cannot copy content of this page