नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट स्थित संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों एवं पुलों की कनेक्टिविटी में एक नई क्रांति का सूत्रपात करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छह प्रमुख पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया। सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इन पुलों का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रिकॉर्ड समय में पूरा किया।
रक्षा मंत्री ने रिकॉर्ड समय में छह पुलों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए बीआरओ के सभी योद्धाओं को बधाई दी। रक्षा मंत्री ने इसके साथ ही सर्वाधिक दुर्गम इलाकों और अत्यंत खराब मौसम में भी मुस्तैदी के साथ काम करके राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान देने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि सड़कें एवं पुल किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं और इसके साथ ही ये दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में विकास से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने संबंधी केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नियमित रूप से इन परियोजनाओं की प्रगति पर करीबी नजर रख रहे हैं। यही नहीं, इन परियोजनाओं का समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है।
श्री सिंह ने कहा, ‘लोगों को कनेक्ट करने वाले इन पुलों का उद्घाटन ऐसे समय में करना सचमुच एक सुखद अनुभव है जब पूरी दुनिया सामाजिक दूरी बनाए रखने, एक-दूसरे से अलग रहने पर विशेष जोर दे रही है (कोविड–19 के कारण)। मैं इस अहम कार्य को बड़े कौशल के साथ पूरा करने के लिए सीमा सड़क संगठन को बधाई देता हूं।’
बीआरओ की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘बीआरओ द्वारा पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का निरंतर निर्माण करना दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी सरकार के विजन को साकार करने में मददगार साबित होगा। सड़कें किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं।’ उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक ताकत हैं, बल्कि ये दूरस्थ क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने का भी कार्य करती हैं। दरअसल, चाहे सशस्त्र बलों की सामरिक आवश्यकता हो या स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार से संबंधित अन्य विकास कार्य हों, ये सभी कनेक्टिविटी से ही संभव हो पाते हैं।
जम्मू-कश्मीर के लोगों के उल्लेखनीय सहयोग के लिए उनका धन्यवाद करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि आधुनिक सड़कों और पुलों के निर्माण से इस क्षेत्र में समृद्धि आएगी। हमारी सरकार देश की सीमाओं पर बुनियादी ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर के विकास में हमारी सरकार की गहरी रुचि है। जम्मू-कश्मीर की जनता और सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कई अन्य विकास कार्य भी जल्द ही शुरू किए जाने हैं, जिनकी घोषणा उचित समय पर की जाएगी। वर्तमान में जम्मू क्षेत्र में लगभग 1,000 किलोमीटर लंबी सड़कें निर्माणाधीन हैं।’
रक्षा मंत्री ने यह माना कि पिछले दो वर्षों में नवीनतम तकनीकों और अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करके बीआरओ ने 2,200 किलोमीटर से अधिक की कटाई की है, लगभग 4,200 किलोमीटर लंबी सड़कों की विशिष्ट ऊपरी सतह बनाने का काम किया है तथा लगभग 5,800 मीटर लंबे स्थायी पुलों का निर्माण किया गया है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए बीआरओ को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद सरकार बीआरओ के संसाधनों को कम नहीं होने देगी। इसके साथ ही मंत्रालय बीआरओ के इंजीनियरों और कर्मियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखेगा।
उपर्युक्त छह पुलों का उद्घाटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं राज्य मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में किया गया। जम्मू के सांसद श्री जुगल किशोर शर्मा वीडियो लिंक के माध्यम से साइट पर मौजूद थे।
कठुआ जिले में तरनाह नाले पर दो पुल और अखनूर/जम्मू जिले में अखनूर-पल्लनवाला रोड पर स्थित चार पुल 30 से 300 मीटर तक फैले हुए हैं और ये कुल 43 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए। बीआरओ के ‘प्रोजेक्ट संपर्क’ द्वारा निर्मित इन पुलों से सशस्त्र बलों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में आवाजाही करने में काफी सुविधा होगी। यही नहीं, ये पुल दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास में भी अहम योगदान देंगे।
यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में बीआरओ द्वारा कार्यान्वित कार्यों में काफी तेजी आई है। यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में बीआरओ ने लगभग 30 प्रतिशत अधिक कार्यों का सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह सरकार की ओर से पर्याप्त बजटीय सहायता देने और ढांचागत सुधारों के सकारात्मक प्रभावों के साथ-साथ बीआरओ द्वारा पूरे फोकस के साथ/समर्पित प्रयास करने से ही संभव हो पाया है।
बीआरओ का वार्षिक बजट वित्त वर्ष 2008-2016 के दौरान काफी भिन्न 3,300 करोड़ रुपये से लेकर 4,600 करोड़ रुपये तक रहा, लेकिन वित्त वर्ष 2019-2020 में यह तेज उछाल के साथ 8,050 करोड़ रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गया। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में बेहतरी पर सरकार के फोकस के मद्देनजर वित्त वर्ष 2020-2021 में इसका बजट 11,800 करोड़ रुपये होने की संभावना है। इससे मौजूदा परियोजनाओं को काफी बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ ही हमारी उत्तरी सीमाओं के आसपास सामरिक दृष्टि से महवपूर्ण सड़कों, पुलों और सुरंगों के निर्माण में तेजी आएगी।
इस अवसर पर बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने राष्ट्र निर्माण में बीआरओ के योगदान को रेखांकित किया और निरंतर मार्गदर्शन एवं सहयोग के लिए रक्षा मंत्री का धन्यवाद किया तथा इसके साथ ही उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि बीआरओ सरकार द्वारा निर्धारित हमारे समग्र राष्ट्रीय सामरिक उद्देश्यों के अनुरूप तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने प्रयास निरंतर जारी रखेगा।
इस अवसर पर दिल्ली में थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवाने, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार एवं बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और साइट पर सेना एवं नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद उपस्थित थे।