चंडीगढ़। वैसे तो हर आदमी को अपना घर प्यारा होता है। लेकिन इसके बावजूद कुछ न कुछ बेहतर करने की चाहत और रोजी-रोटी की तलाश में बहुत-से लोगों को अपना घर-बार छोडक़र दूसरी जगह जाना पड़ता है। लेकिन कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं कि प्रवास में रहते हुए भी उसे रोजी-रोटी का संकट हो जाता है।
कोरोना वायरस के चलते आज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में उद्योग-धन्धे ठप्प होकर रह गए हैं। कोविड-19 पर काबू पाने को देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, वे हैं प्रवासी मजदूर। हरियाणा में भी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में आए थे। इनमें से कुछ फैक्ट्रियों में लगे हुए थे तो कुछ भवन निर्माण जैसी गतिविधियों से जुडक़र हरियाणा की तरक्की में अहम योगदान दे रहे थे। लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब इनकी रोजी-रोटी पर संकट आया तो सरकार का चिंतित होना लाजमी था।
ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जिला प्रशासन समेत पूरी सरकारी मशीनरी को हिदायत दी कि लॉकडाउन के दौरान न केवल हर मजदूर के रहने और खाने-पीने का उचित प्रबंध किया जाए बल्कि प्रवासी मजदूरों को किसी भी हाल में यह महसूस न होने पाए कि वे अपने घर और ‘अपनों’ से कोसों दूर हैं। यही कारण था कि पूरे प्रदेश में बनाए गए शैल्टर होम्स में मजूदरों के रहने और खाने-पीने के पूरे इंतजामात किए गए और इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि हमारे इन ‘मेहमानों’ को कोई तकलीफ न हो।
लॉकडाउन के तीसरे चरण में जब केन्द्र सरकार ने कुछ ढील दी और इन मजूदरों की अपने घर वापसी की सम्भावनाएं बनी तो हरियाणा सरकार ने फिर से सक्रियता दिखाते हुए इन मजदूरों के घर लौटने का प्रबंध किया। इसी कड़ी में हिसार के रेलवे स्टेशन से भी लगातार दो दिन तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 2400 से अधिक प्रवासी श्रमिकों को बिहार पहुंचाया गया है। जिला प्रशासन ने जिस आत्मीयता और अपनत्व के साथ इन ‘मेहमानों’ को उनके घरों के लिए रवाना किया, उससे हर किसी का भाव-विभोर हो जाना लाजमी है।
हिसार के रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 1 पर एक प्रवासी मजदूर अपनी लगभग 6 वर्षीय बच्ची को कंधे पर बैठाए प्लेटफार्म की ओर चला जा रहा था। तभी रेलवे स्टेशन पर कोई मिलता है और बच्ची को स्नेह के साथ बार्बी डॉल और कुछ चॉकलेट देकर दोबारा आने का भावपूर्ण न्योता देता है। तभी एक टीम बच्ची को दुलारते हुए उस श्रमिक को खाने का पैकेट, पानी की बोतल और टिकट देती है। यह सुखद अनुभव केवल इस एक श्रमिक को नहीं बल्कि यहां से बिहार के लिए रवाना किए गए हर कामगार के जीवन को छूता चला गया। यहां से ट्रेन की सीटी बजने के साथ ही इन श्रमिकों ने भावपूर्ण ढंग से हाथ हिलाकर, ताली बजाकर और न जाने धन्यवाद के कितने तरीकों से उनके रहने और खाने-पीने के प्रबंधों में तमाम अधिकारियों-कर्मचारियों का आभार जताया।
दरअसल, श्रमिकों को इस प्रकार का ट्रीटमेंट देने और उन्हें सुखद अहसास करवाने के पीछे हिसार की जिला उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी का अहम योगदान रहा। उपायुक्त ने जिला रेडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से तमाम प्रबंध करवाए। उन्हें यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि हमें उनकी भावनाओं की, उनकी जरूरतों की और उनकी मुश्किलों की फिक्र है। यही कारण है कि वापस अपने गृहराज्य जाने वाले श्रमिक खास होने के अहसास से भर उठे। जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के भावपूर्ण निमंत्रण और अपनेपन से भरे व्यवहार ने उन तमाम प्रवासी मजदूरों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि हरियाणा से उनका नाता एक ‘नियोक्ता और श्रमिक’ से कहीं बढकऱ है और उनका सुख-दुख हर हरियाणवी का सुख-दुख है। उम्मीद हरियाणा सरकार और प्रदेशवासियों का अपनत्व का यह व्यवहार हालात सामान्य होने के बाद इन तमाम प्रवासी मजदूरों को फिर से हरियाणा का रुख करने के प्रेरित करेगा।