एमएसएमई कंपनीज के लिए तत्काल स्पेशल पैकेज घोषित करे सरकार : एच पी यादव

Font Size

नई दिल्ली। कोरोना महामारी संक्रमण की रोकथाम के लिए घोषित लॉक डाउन के कारण देश में एम एस एम ई कंपनियां बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। पहले से ही मंदी के कारण व्यावसायिक व आर्थिक नुकसान झेल रही इस क्षेत्र की कंपनियां अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। देश की आर्थिक व्यवस्था में इस क्षेत्र की इकाइयों के योगदान को जीवित रखने के लिए सरकार को एमएसएमई कंपनीज के लिए तत्काल स्पेशल पैकेज घोषित करनी चाहिए, अन्यथा सर्वाधिक रोजगार देने वाला यह क्षेत्र पूरी तरह बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा। इसका खामियाजा देश व आम लोगों को बड़े पैमाने पर भुगतना पड़ सकता है।


 यह विचार एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री गुरुग्राम के अध्यक्ष एच पी यादव ने व्यक्त किया। एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इस मामले में तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा की एमएसएमई कंपनी पहले से ही दुनिया में व्याप्त मंदी और नोटबंदी के साथ-साथ जीएसटी के लागू होने के कारण बहुत अधिक नुकसान भुगत चुकी है ।अब कोरोना वायरस संक्रमण ने हमारे सामने अस्तित्व बचाने का संकट पैदा कर दिया है। दुनिया के सभी बड़े और विकसित देश के साथ-साथ विकासशील देशों की भी स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है जहां कोरोना संक्रमण ने व्यवसाय और उद्योग जगत की कमर तोड़ दी है।


श्री यादव ने कहा कि इस विषम परिस्थिति से उबरने के लिए कई बड़े और विकसित देशों की सरकारों ने उद्योग और व्यवसाय, खासकर एमएसएमई इंडस्ट्रीज को जीवित रखने के लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा की है और उसका इंप्लीमेंटेशन भी तेज गति से किया जाने लगा है। यूएई, जर्मनी, इटली ,यूएसए और ब्रिटेन के साथ-साथ स्पेन और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों ने एमएसएमई के लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा कर संबंधित कंपनियों के कर्मचारियों को सीधे तात्कालिक वेतन भी देना शुरू कर दिया है जबकि इंडस्ट्रीज को विशेष आर्थिक सहायता दी है। ऐसे में दुनिया के अन्य देशों के साथ व्यावसायिक और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में अगर भारतीय एमएसएमई को जीवित रखना है तो केंद्र और राज्य सरकारों को इस दिशा में फौरी तौर पर कदम उठाने की जरूरत है।


एनसीआर चेंबर के अध्यक्ष ने कहा की केंद्र सरकार की ओर से गरीब और निचले तबके के लोगों एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए  1.70 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई जो स्वागत योग्य है लेकिन एमएसएमई सेक्टर की इंडस्ट्रीज के लिए भी एक बड़े पैकेज की नितांत आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि हालांकि आरबीआई ने एमएसएमई सेक्टर के लिए कुछ राहत की घोषणा की है लेकिन वह इस क्षेत्र की इकाइयों को जीवित रखने या पुनर्जीवित करने के लिए समुचित नहीं है।


श्री यादव ने ध्यान दिलाया कि एमएसएमई सेक्टर को अपने आफिस और फैक्ट्री का किराया, ऋण की ईएमआई, बिजली बिल, इंटरेस्ट कॉस्ट ,अपने सप्लायर्स का पेमेंट ,वेंडर्स का पेमेंट , अपने वर्कर्स की वेतन और मजदूरी, स्टाफ व प्रमोटर्स को पेमेंट, ओवरड्राफ्ट चार्जेस के साथ-साथ कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआई का आर्थिक योगदान एवं एलआईसी और मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा की प्रीमियम के साथ-साथ अन्य प्रकार के खर्चे का भुगतान भी करना होगा लेकिन यह आर्थिक बोझ सभी एमएसएमई कंपनियों को आज की तारीख में बिना किसी आय के करने की मजबूरी है। ऐसे में यह समझना बेहद आसान है कि एमएसएमई सेक्टर कितने बड़े आर्थिक बोझ से दब चुका है और आने वाले समय में किस कदर बैंक के कर्ज़ के नीचे दबकर एनपीए होने की स्थिति में पहुंच चुका है।


श्री यादव ने कहा कि एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, केंद्र और राज्य सरकारों से इस पर गंभीरता से विचार करने और तत्काल कदम उठाने की मांग करता है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को एमएसएमई सेक्टर की इंडस्ट्री के ऋण पर 6 माह का ब्याज माफी करने की घोषणा साथ ही अगले 6 माह के लिए प्रॉपर्टी टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, इंटरेस्ट, इंटरेस्ट ऑन टी एल एंड सीसी, जीएसटी और अन्य टैक्सेस की वसूली पर रोक लगाने की घोषणा करनी चाहिए।  उन्होंने यह कहते हुए चिंता व्यक्त की कि केंद्र सरकार ने ऋण ईएमआई पेमेंट 3 महीने के लिए रोकने की घोषणा तो की है लेकिन इसका भुगतान 3 माह बाद ब्याज सहित करने का प्रावधान ठीक नहीं है, क्योंकि अंततः 3 महीने बाद ही सही यह ईएमआई और ब्याज एमएसएमई के लिए आर्थिक बोझ बनेगा। ऐसे में यह मानना कि इससे कोई राहत मिलेगी सही नहीं है। इसलिए इसमें संशोधन कर बिना इंटरेस्ट के ईएमआई पे करने की घोषणा करनी चाहिए ।


दूसरी तरफ सरकारी टैक्स और अन्य देय राशि के साथ-साथ बैंक का भुगतान करने का बोझ एमएसएमई बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि इनकी आय नगण्य हो चुकी है। इसलिए अगले 6 माह तक सभी तरह की भुगतान को ब्याज मुक्त करने की जरूरत है। श्री यादव ने कहा कि अगर सरकार चाहती है कि एमएसएमई सेक्टर देश की आर्थिक विकास में पूर्व की भांति सर्वाधिक योगदान करता रहे तो इसके लिए कई कानूनी प्रावधानों में भी संशोधन कर राहत देने का विचार करना चाहिए।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि कुछ माह पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री की ओर से एमएसएमई सेक्टर के लंबित भुगतान को लेकर केंद्र सरकार के सभी पीएसयू और बड़े औद्योगिक इकाइयों को निर्देशित किया गया था। गत 24 अगस्त 2019 को दिए गए वित्त मंत्री के आदेश पर कोई अमल नहीं किया गया ।उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने निर्देश में 15 अक्टूबर 2019 तक सभी एमएसएमई कंपनियों के लंबित भुगतान करने को कहा  था लेकिन अधिकतर सरकारी कंपनियों ने इसे नजरअंदाज किया। उनका कहना है कि एमएसएमईडी एक्ट में इस प्रकार का प्रावधान करने की आवश्यकता है कि 45 दिनों के अंदर भुगतान किया जाए।


उन्होंने कहा कि एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने इस स्थिति में त्वरित गति में एमएसएमई कंपनी को बचाने का प्रयास नहीं किया तो अधिकतर कंपनियां बंद हो जाएंगी और देश में बेरोजगारी का आलम बड़े पैमाने पर छा जाएगा । इसका आर्थिक नुकसान भी देश और राज्य को झेलना पड़ेगा। कर्मियों का वेतन भुगतान नहीं होने से सभी पलायन करेंगे जिससे स्किल्ड मेन पावर की भारी कमी होगी और उत्पादन या व्यवसाय खत्म हो जाएगा। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में बेरोजगारी चरम पर पहुंच जाएगी।


उन्होंने कहा कि एनसीसीआई की ओर से मैं केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों से चेंबर की सभी मांगों पर सहानुभूति पूर्ण एवं संवेदनशीलता के साथ विचार करने की मांग करता हूं जिससे एमएसएमई सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल पैकेज की घोषणा की जाए। उन्होंने बल देते हुए कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र गरीब और वंचित वर्गों के लिए कदम उठाए हैं उसी अनुरूप देश हित में एमएसएमई सेक्टर को भी बचाने की कोशिश होनी चाहिए। 

You cannot copy content of this page