चंडीगढ़, 25 मार्च : हरियाणा सरकार ने कोरोना वायरस की महामारी के चलते संक्रमण की आशंकाओं के मद्देनजर प्रदेश की जेलों में कैदियों के दबाव को कम करने के लिए माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देशानुसार निर्णय लिया है कि जो कैदी अथवा बंदी पहले से ही पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर हैं, उनकी चार सप्ताह की विशेष पैरोल बढ़ाई जाएगी। इसी तरह, जो कैदी एक पैरोल या एक फरलो शांतिपूर्वक व्यतीत करके समय पर जेल में हाजिर हो गए, उन्हें भी छ: सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी।
जेल मंत्री रणजीत सिंह ने आज इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जिन कैदियों की आयु 65 वर्ष से अधिक है और एक से अधिक केसों में संलिप्त नहीं हैं तथा जो अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के केस या धारा 379 बी या पोस्को एक्ट या बलात्कार या एसिड अटैक जैसे मामले में सजायाफ्ता नहीं हंै, उन्हें भी अच्छे आचरण के आधार पर छ: सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी। गौरतलब है कि इसमें विदेशी कैदियों को शामिल नहीं किया गया है।
रणजीत सिंह ने बताया कि ऐसे कैदी, जिनकी सजा सात वर्ष से अधिक नहीं है तथा कोई भी अन्य केस न्यायालय में लंबित नहीं है, कोई जुर्माना भी बकाया नहीं है, उन्हें भी जेल में अच्छे आचरण के आधार पर छ: से आठ सप्ताह तक की विशेष पैरोल दी जाएगी। साथ ही, उन कैदियों को भी विशेष पैरोल दी जाएगी जिनकी अधिकतम सजा सात वर्ष तक है तथा उन पर यदि कोई केस लंबित है जिसमें वह जमानत पर है और उसने पहले से कोई पैरोल शांतिपूर्वक व्यतीत कर ली है। उन्होंने बताया कि अधिक मात्रा में मादक पदार्थ या धारा 379 बी या पोक्सो एक्ट, बलात्कार और एसिड अटैक जैसे मामलों में सजायाफ्ता कैदी को यह लाभ नहीं मिलेगा।
जेल मंत्री ने बताया कि जिन कैदियों के पैरोल या फरलो के मामले पहले से ही जिलाधीश या मंडलाधीश के पास लंबित हैं, उनके केसों का भी सहानुभूतिपूर्वक नरम रुख अख्तियार करते हुए शीघ्र निपटान किया जाएगा। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे लंबित केसों में तीन से छ: दिन में आवश्यक रूप से निर्णय लिया जाए।
उन्होंने बताया कि जो हवालाती बंदी अधिकतम सात वर्ष तक की सजा के अपराध में जेल में बंद हैं तथा उन पर कोई अन्य केस न्यायालय में लंबित नहीं है तथा उन हवालाती बन्दियों के विरुद्ध एक से अधिक केस भी लंबित हैं परन्तु उन मामलों में कुल मिलाकर अधिकतम 7 वर्ष से अधिक की सजा नहीं बनती तथा जिनका जेल में आचरण अच्छा है, उन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश या मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा जमानत पर रिहा किया जाएगा या फिर 45 से 60 दिन तक की अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।
जेल मंत्री श्री रणजीत सिंह ने बताया कि जेल में अच्छे आचरण वाले कैदी बंदियों को उनकी योग्यता अनुसार पंजाब जेल मैनुअल में वर्णित प्रावधान के अनुसार दो महीने तक महानिदेशक, कारागार तथा एक महीने तक जेल अधीक्षक द्वारा विशेष माफी दी जाएगी। साथ ही, उन्होंने बताया कि यह माफी गंभीर अपराधों में सजायाफ्ता कैदी बंदियों को नहीं दी जाएगी।
रणजीत सिंह ने बताया की कोरोना जैसी महामारी के अंदेशे को देखते हुए विभाग द्वारा हरसम्भव कदम उठाए जा रहे हंै और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जेल में बंद कैदियों के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जाए। उन्होंने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए कैदियों और बंदियों के लिए मानवीय आधार पर बड़े फैसले लिए गए हैं ताकि जेलों में कैदियों के दबाव को कम किया जा सके और एहतियातन किसी भी स्थिति में लॉ एंड ऑर्डर का पालन करते हुए अगर प्रशासन द्वारा गिरफ्तारियां की जाती हंै तो उनके लिए जेल में जगह सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा प्रदेश की सभी जेलों को पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 23 मार्च को जारी निर्देशों की अनुपालना हेतु विचार-विमर्श के लिए 24 मार्च को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी चेयरमैन न्यायमूर्ति श्री राजीव शर्मा की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित एक बैठक में की गई जिसमें जेल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विजय वर्धन और महानिदेशक कारागार, के. सेल्वराज ने हिस्सा लिया।