लखनऊ, 22 फरवरी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि हिंदी भाषा देश के बड़े भूभाग को जोड़ने का कार्य करती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी भाषा के महत्व को समझा और दुनिया भर में हिंदी को बढ़ाए जाने की वकालत की।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हिंदी भाषा रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम है और भारत के ऋषि संस्कृत को बहुत पहले ही रोजगार से जोड़ चुके हैं। अगर संस्कृत पढ़ने वाला व्यक्ति अपनी बुद्धि का सही ढंग से उपयोग करे तो वह कभी भूखों नहीं मर सकता।’’
ये बातें मुख्यमंत्री ने लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘भारतीय भाषा महोत्सव-2020’ कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान कहीं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘साहित्य की एक लंबी कहानी है। दुनिया को साहित्य का पाठ हम भारतीयों ने पढ़ाया है। दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ ‘ऋग्वेद’ भी भारत ने ही दिया है। धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की बातें महाभारत जैसे ग्रंथ में लिखी हैं।’’
योगी ने कहा, ‘‘तुलसीदास जी ने अवधी में श्रीरामचरितमानस के माध्यम से बहुत कुछ दिया और श्रीरामचरितमानस किसी बंधन में नहीं बंधा। यह हिंदी, संस्कृत, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ में भी रचित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अवधी को भले ही भारतीय संविधान ने मान्यता नहीं दी हो लेकिन भारत के लोग हर दिन श्रीरामचरितमानस का पाठ पढ़ते है। यह भारत की वास्तविक ताकत है और हमें इसे पहचानना होगा।’’
योगी ने कहा, ‘‘सौ साल पहले जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में आए तो वह काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। इस दौरान उन्होंने वहां पर गंदगी देखकर हैरानी भी जताई थी। लेकिन आज हमने काशी विश्वनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ कर दिया है। कार्ययोजना के अनुसार 300 मकान खरीदे गए, जिनके अंदर हमे 67 मंदिर मिले, जिन्हें संरक्षित करने का कार्य सरकार कर रही है। आज काशी विश्वनाथ मंदिर जाने का रास्ता भी 50 फीट चौड़ा कर दिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि डेढ़ साल के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना पूरी होगी और काशीवासियों को ही नहीं बल्कि दुनिया को बाबा विश्वनाथ का ऐसा धाम मिलेगा, जैसा उनके धाम को होना चाहिेए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज हमें अपनी भारतीय भाषाओं के लिए ‘भाषा विश्वविद्यालय’ की व्यवस्था करनी होगी। विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम तैयार कर मांग के अनुसार सप्लाई चेन तैयार करनी होगी, तभी हम प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में खड़े हो सकेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संस्कृत के माध्यम से और हिंदी एवं अंग्रेजी की व्यावहारिक जानकारी प्राप्त कर हम कई लोगों के लिए रोजगार का माध्यम बना सकते हैं। देश और दुनिया में ऐसे कई विश्वविद्यालय हैं, जहां संस्कृत और हिंदी पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षकों की आवश्यकता है। ऐसे में विश्वविद्यालय अगर भाषाओं के बारे में शिक्षा देना शुरू कर दें तो दुनिया भर में शिक्षकों की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी में भारतीय साधना और संस्कृति का आधार रही भारतीय भाषा के मनीषियों की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण संदेश दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह महोत्सव भारतीय भाषा के प्रति हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम बनेगा। हर किसी के संवाद का माध्यम भी भाषा होती है। इसके बगैर अभिव्यक्ति संभव नहीं है। भाषाओं को बोझ नहीं मानकर आर्थिक प्रगति और स्वावलंबन का आधार बनाएं, जिससे विकास का मार्ग प्रशस्त हो।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रदेश सरकार युवाओं के लिए इंटर्नशिप योजना लेकर आई है। इंटर्नशिप की योजना देश-दुनिया के लिए युवाओं को एक मंच देने का कार्य करेगी। आज वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी लोगों को हिंदी में ही संबोधित करते हैं। वह भावनात्मक रूप से पूरी दुनिया को भारत से जोड़ते हैं। आज विश्व के विभिन्न देशों के लोग भारत आकर हिंदी में संवाद करने के लिए हिंदी सीख रहे हैं, जबकि पहले उनसे अंग्रेजी में संवाद करना अनिवार्य होता था। यह एक नई शुरुआत है।’’