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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में दिया प्रस्ताव
चण्डीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कई केन्द्रीय इकाइयां विभिन्न राज्यों में घाटे में चल रही हैं या बंद हो चुकी हैं, उनकी बेकार पड़ी जमीनों को राज्य सरकार खरीदने को तैयार है, इसके लिए केन्द्र सरकार एक नीतिगत निर्णय की घोषणा करें।
मुख्यमंत्री, जिनके पास हरियाणा के वित्त विभाग का प्रभार भी है, आज केन्द्रीय बजट 2020-21 के लिए केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीता रमण द्वारा राज्यों के वित्त मंत्रियों की बुलाई गई पूर्व बजट परामर्श समिति की बैठक में बोल रहे थे। हरियाणा के इस प्रस्ताव की अन्य राज्यों के वित्त मंत्रियों ने काफी सराहना की।
मुख्यमंत्री ने हरियाणा में केन्द्रीय सार्वजनिक इकाइयों की बेकार पड़ी जमीन का उदाहरण देते हुए कहा कि दादरी में सीमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की 205 एकड़ भूमि बेकार पड़ी है तथा इंडियन ड्रग्स एण्ड फार्मास्यूटिकल्स लि० की गुरूग्राम में 90 एकड़ भूमि का उपयोग नहीं हो रहा है। इसी प्रकार, हिन्दुस्तान इनसैक्टिसाइड लि० की गुरूग्राम में 70 एकड़ भूमि बेकार पड़ी है। हरियाणा सरकार इन जमीनों को खरीदने को तैयार है। इस सम्बन्ध में मैने स्वयं कई बार केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखे हैं तथा बैठकें भी की है।
हरियाणा के इस मुददे पर केवल एक सफलता मिली है, जो एचएमटी पिंजौर की भूमि को खरीदना है। सार्वजनिक क्षेत्र की इस इकाई की 446 एकड़ भूमि में से हरियाणा सरकार ने 297 एकड़ भूमि कलक्टर रेट पर और 149 एकड़ भूमि, जिस पर कोई निर्माण नहीं था, वह कलक्टर रेट के 60 प्रतिशत पर 2018 में खरीदी थी।
उन्होंने आग्रह किया कि बजट अभिभाषण में इस मुददे पर एक नीतिगत निर्णय की घोषणा करें कि केन्द्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की यदि कोई इकाई बंद हो जाती है और उसकी बेकार पड़ी जमीन को कोई राज्य सरकार खरीदना चाहती है तो उसको कलक्टर रेट जमा 20 प्रतिशत पर बेचना सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से एक बड़ी राशि केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को मिलेगी और केन्द्रीय बजट पर बोझ कम होगा।
उन्होंने कहा कि एक नवम्बर 2016 को गुरुग्राम में हरियाणा की स्थापना के स्वर्ण जयंती उत्सव के शुभारंभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा था कि यद्यपि हरियाणा एक छोटा प्रदेश होते हुए भी इसमें इतना दमखम है कि यह पूरे भारत वर्ष की अर्थव्यवस्था के लिए ग्रोथ इंजन के रूप में काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप जमकर काम किया है। इस अंतराल में हरियाणा कैरोसीन मुक्त प्रदेश बना, खुले में शौच से मुक्त प्रदेश बना, पढ़ी-लिखी पंचायतों वाला प्रदेश बना। इसी प्रकार, ईज ऑफ डुईंग बिजनेस की रैंकिग में 14वें स्थान से सुधरकर हम पहले पांचवें और अब तीसरे स्थान पर पहुंचे हैं तथा उत्तरी राज्यों में पहले स्थान पर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 70 हजार से भी अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां पूर्णतया मैरिट पर दीं और इतने ही ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट बेराजगारों को 100 घंटे प्रतिदिन का पेड कार्य दिया। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र में लाखों-करोड़ों रूपये का निवेश हुआ है और रोजगार के लाखों नए अवसर मिले हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में हरियाणा की आर्थिक विकास दर राष्टï्रीय विकास दर 6.81 प्रतिशत के मुकाबले 8.19 प्रतिशत रही है। इसी प्रकार, आज हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय एक लाख 26 हजार 406 के राष्ट्रीय आंकड़े के मुकाबले दो लाख 26 हजार 644 रुपये है।
मुख्यमंत्री ने आगामी केन्द्रीय बजट में हरियाणा के प्रयासों के और अच्छे परिणाम कैसे आएं, इस दिशा में तीन प्रकार के सुझाव भी दिए। हरियाणा सरकार तथा रेल मंत्रालय ने मिलकर वर्ष 2017 में एक 50:50 के अनुपात में एसवीपी का गठन किया था। ‘हरियाणा रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास निगम’ नामक इस एसवीपी ने तीन नई रेल लाइनों के प्रस्ताव बनाकर रेल मंत्रालय को दिये हुए हैं। इन तीनों की स्वीकृति एडवांस स्टेज पर है और उन्होंने अनुरोध कि इनके लिए बजट अभिभाषण में अवश्य आए। ये तीन नई रेल लाईन परियोजनाएं हैं-करनाल-यमुनानगर, जींद-हांसी और हरियाणा आर्बिटल रेल कॉरिडोर। साथ ही, दिल्ली के सराय कालेखां से राजस्थान के शहजानपुर-नीमराना- बहरोड़ तक हरियाणा से गुजरते रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए भी वित्त व्यवस्था की जाए। यह परियोजना भारत सरकार के आवास और शहरी मामले मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
आईजीआई दिल्ली हवाई अड्डे पर हवाई यातायत के दबाव को कम करने के लिए अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा के हिसार को एक सर्वाधिक उपयुक्त स्थल बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आम आदमी को सस्ती हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए क्षेत्रीय संयोजिता स्कीम-उडान योजना के तहत हिसार और चंडीगढ़ को हवाई मार्ग से जोड़ा गया है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से मांग की कि इस योजना को हरियाणा में और अधिक कारगर ढग़ से लागू करने के लिए केन्द्र सरकार पहल करे। उन्होंने कहा कि हिसार हवाई अड्डïे को तीन चरण में विकसित करने का प्रस्ताव है। सरकार यहां पर एक एविएशन हब विकसित कर रही है जिसमें हवाई जहाजों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉलिंग की सुविधाओं के साथ-साथ प्रशिक्षण और सिमुलेशन केन्द्र भी स्थापित किए जाएंगे। इस हब में एरोस्पेस/प्रतिरक्षा विनिर्माण पार्क भी विकसित किया जएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिसार के अलावा, हरियाणा सरकार का करनाल में भी एक अन्य हवाई अड्डा स्थापित करने का प्रस्ताव है। हिसार हवाई अड्डे पर कारगो सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक शुष्क बंदरगाह विकसित करने के प्रयासों को अनुपूरित करने के लिए भारत सरकार की सहायता ली जाएगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यातायात के दबाव को कम करने में सहायता के लिए तथा एक्सप्रेस कोरीडोर के साथ साथ प्रस्तावित ग्लोबल इक्नोमिक कॉरीडोर के विकास के लिए दिल्ली के इर्द-गिर्द कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे विकसित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को कर्ज भार में राहत देने के लिए आरम्भ की गई ब्याज माफी स्कीम के लिए प्राथमिक कृषि सहकारी सीमितियों के 3500 करोड़ रुपये की संचित हानियों की भरपाई के लिए नाबार्ड के माध्यम से हरियाणा को और अधिक सहायता उपलब्ध करवाने की मांग भी की।
उन्होंने कहा कि सिंचाई अंतरालों को पाटने की प्रोत्साहन स्कीम के तहत हरियाणा सरकार ने सिंचाई सुविधाओं में और विस्तार के लिए कमाण्ड एरिया के विकास के लिए 3700 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं प्रस्तावित की हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की व्यय वित्त कमेटी से हाल ही में इन परियोजनाओं के लिए हरियाणा को स्वीकृति मिल चुकी है। मुख्यमंत्री ने इन परियोजनाओं को अंतिम स्वीकृति देने के कार्य में तीव्रता लाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का सूक्ष्म सिंचाई निधि के अंतर्गत भारत सरकार से मिली राशि का प्रयोग करने का प्रस्ताव है। मुख्यमंत्री ने सूक्ष्म सिंचाई के तहत एक लाख हैक्टेयर क्षेत्र को लाने के लिए आगामी वित्तीय वर्ष में इस फंड के तहत राशि को कम से कम 600 करोड़ रुपये करने का अनुरोध केन्द्रीय वित्त मंत्री से किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और कमान क्षेत्र के विकास में अधिकतम परिणाम हासिल करने के लिए यह आवश्यक है कि लवणीय भूमि का सुधार किया जाए। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार हरियाणा में लगभग 4.25 लाख हैक्टेयर कृषिा भूमि लवणता से प्रभावित है। अत: केन्द्र सरकार से हरियाणा का आग्रह है कि इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में 1.5 लाख भूमि के सुधार के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अनुभव किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुणी करने के लक्ष्य को कृषि का केवल बागवानी एवं वाणिज्यिक फसलों से विविधिकरण करके तथा प्राथमिक प्रसंस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों को धान की बजाय मक्का की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु ‘जल ही जीवन योजना’ के माध्यम से विविधिकरण को बढ़ावा देने के विशेष प्रयास कर रही है। इसी प्रकार, हरियाणा सरकार ने बागवानी किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए एक अनूठी ‘भावांतर भरपाई योजना’ भी शुुरू की है। हमने हाल ही में इस कार्यक्रम के तहत लाई जाने वाली फसलों की संख्या में वृद्धि की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में हम सरकार राज्य की खरीद एजेंसियों के माध्यम से सरसों, बाजरा और मूंग जैसी फसलों की खरीद के प्रयासों में तेजी लाएं हैं। समर्थन मूल्य स्कीम प्रबंधन के तहत नेफेड द्वारा हरियाणा से खरीद बढ़ाने के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया गया है।
बैठक में मुख्यमंत्री ने अवगत करवाया कि दिल्ली के निकट गन्नौर, सोनीपत में एक अंतर्राष्ट्रीय फल एवं सब्जी मण्डी स्थापित करने का भी हरियाणा का प्रस्ताव है। इस उद्देश्य के लिए लगभग 500 एकड़ भूमि पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है तथा इस परियोजना को पूरा करने के लिए तीन हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक ‘स्पेशल परप्स व्हीकल’ स्थापित किया गया है। हरियाणा के इन प्रयासों को उचित वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने की मांग भी।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा की आवश्यकता तथा किसानों की सहायता के दृश्टिगत हरियाणा सरकार ने कई कदम उठाए हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से आवश्यक उपकरण उपलब्ध करवाकर फसल अवषेश जलाने को रोकने के लिए अनेक पहल की हैं। इसके लिए धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी की भी व्यवस्था की है। राज्य सरकार उद्योगों को फसल अवशेषों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के भी प्रयास कर रही है ताकि किसानों को अतिरिक्त आय हो सके और पर्यावरण अनुकूल पद्धतियां अपनाई जा सकें।