नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने विश्व के अन्य बड़े देशों की तर्ज पर अपनी साइबर यूनिट SYPAD स्थापित की है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस खास लैब की मदद से 6 माह के अन्दर ही 100 से ज्यादा देशभर में मोजूद साइबर अपराधियों को जेल पहुंचा दिया है. इन्टरनेट और अन्य साइबर माध्यमों से धोखाधड़ी करने वालों के साथ साथ अब दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट SYPAD ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी पैनी नजर रखनी शुरू कर दी है. इसलिए कानून की गिरफ्त में बाल यौन अपराध करने वाले भी आने लगे हैं. इसमें यूएस-आधारित एक एजेंसी की मदद भी उन्हें मिलती है जो सभी सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर नजर रखती है.
खबर है कि दिल्ली पुलिस की साइबर यूनिट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी “बच्चों के साथ यौन शोषण करने वाले विडियो” शेयर करने के आरोप में दिल्ली में छह लोगों को गिरफ्तार करने में भी सफलता पाई है. उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) से मिली सुचना के आधार पर पकड़ा जा सका जिसमें विदेशी एजेंसी की भी मदद मिली.
दिल्ली पुलिस साइबर सेल जिन लोगों को गिरफतार किया है उनकी पहचान संजू राठौड़ (25), अमित मंडल (24), नरेंद्र कुमार (22), रेवती नंदन आनंद (34), लोक राज यजुर्वेदी (61) और सुदामा राम (29) के रूप में हुई है। ये लोग अश्लील सामग्री डाउनलोड कर फोर्वार्ड करते थे.
पुलिस पूछताछ में उन्होंने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप पर ये मेटेरियल मिले और उन्हें आगे फोरवार्ड कर दिया। गिरफ्तार आरोपियों में एक लोक राज किराने की दुकान करता है. उसने 19 साल के लड़के की फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाई थी. वह उसका इस्तेमाल लगातार करता रहा था। दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि दूसरा आरोपी नरेंद्र इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष का छात्र है . अन्य आरोपी संजू आजादपुर बाजार में दिहाड़ी मजदूर का काम करता है। इस प्रकार का गैरकानूनी और असामाजिक काम करने वालों में गुडगाँव का भी एक व्यक्ति पुलिस की पकड़ में आया है जिसका नाम अमित है जो एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी में काम करता है।
इनके अलावा दक्षिण दिल्ली में एक लोकप्रिय फैशन डिजाइनर के रिटेल स्टोर में कैशियर के रूप में काम करने वाला सुदामा और टेलर का काम करने वाला रेवती नंदन भी अपनी करतूत की वजह से दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की जद में आ गए हैं.
बताया जाता है कि एनसीआरबी ने नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत यूएस-आधारित एजेंसी फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सभी सोशल मीडिया नेटवर्क्स भेजे जाने वाले बच्चों के खिलाफ यौन शोषण दिखाने वाले मटेरियल के बारे में जानकारी मुहैया करा रही है.
अब खबर यह भी है कि सोशल मीडिया नेटवर्क्स ने भी ऐसी गतिविधियों पर नजर रखने का अपना तंत्र स्थापित किया है. इसमें ऐसी आपत्तिजनक सामग्री देखने वाले और किसी अन्य को भेजने वाले दोनों पकड में आ रहे हैं. इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म और अन्य सभी एजेंसियों के माध्यम से प्राप्त सूचना का यौन अपराधियों के डिजिटल निशान से मिलान कर बेहद आसानी से उन तक पहुँच जाती है.