नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना के हाथ आने वाली सत्ता बीजेपी ने रातों-रात छीन ली है. सर्जिकल स्ट्राइक’ में माहिर बीजेपी की इस करतूत से पूरा देश हैरान है। सावधानी इतनी बरती गई कि इस बात की भनक न तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित कांग्रेस पार्टी और यहां तक कि एनसीपी के कई नेताओं को नहीं लग पाई। कहा तो यहां तक जा रहा है बीजेपी के भी कई नेताओं को इसकी जानकारी नहीं थी कि आधी रात में महाराष्ट्र में इस तरह से सत्ता हथियाने का काम किया जाएगा।बहरहाल मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीपीएम के रूप में अजित पवार ने शपथ ली और केंद्र की ओर से राष्ट्रपति शासन हटाने की भी अधिसूचना जारी कर दी गई.
गौरतलब है कि अब तक की संवैधानिक परंपरा के अनुसार राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कैबिनेट की बैठक कर की जाती है लेकिन इस बार अब तक यह जानकारी नहीं मिलीं है कि इस प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं।जाहिर है इस सियासी भूचाल के कई अर्थ लगाए जा रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के बीच समझौता था लेकिन चुनाव बाद अनबन हो गयी। हालाकिं दोनों मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था लेकिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले की मांग रख बीजेपी की राह में रोड़े अटक दिए। शिवसेना नेता ढाई-ढाई साल सरकार चलाने की मांग कर रहे थे। लेकिन बीजेपी ने शिवसेना के इस दावे से इनकार कर दिया। दोनों में मतभेद इतना बढ़ गया कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती अब कट्टर दुश्मनी में बदल गयी है। अब भाजपा व एनसीपी ने मिल कर सरकार बना ली जिसका असली स्वरूप आज दिन शाम तक देखने को मिलेगा।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस और शिवसेना दोनों इस मामले पर क्या रुख अपनाएंगे इसका खुलासा उनकी प्रेसवार्ता में होगा। दूसरीं तरफ मीडिया की खबरों के अनुसार शरद पवार ने दावा किया है कि बीजेपी को समर्थन करना अजित पवार का निजी फैसला है. इसमें उनका समर्थन नहीं है।