संसद के शीतकालीन सत्र में “सिटिजनशिप बिल” पर क्यों हो सकता है हंगामा ?

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नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार ने आधिकारिक तौर पर संसद को सूचित किया है कि वह आगामी शीतकालीन सत्र में “सिटिजनशिप बिल” नागरिकता अधिनियम में संशोधन करना चाहती है. सरकार का यह ऐसा निर्णय है जिसका कई विपक्षी दलों द्वारा विरोध होगा जिससे यह संसद सत्र हंगामेदार होने की संभावना प्रबल बन गई है. शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू होगा और 13 दिसंबर तक चलने वाला है।

यह बिल अभी से विवादास्पद हो गया है जिसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता मिलने का प्रावधान बनेगा. धर्म आधारित इस बिल को लेकर विपक्ष हमलावर होगा. इसके स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं. इस सत्र में प्रस्तुत किये जाने वाले संसदीय मामलों के मंत्रालय के 35 बिलों की अस्थायी सूची में यह बिल भी शामिल है. यह सूचि लोकसभा की विधायी शाखा को भेजी गई है।

लोकसभा सचिवालय की सूची में औद्योगिक संबंध कोड बिल भी शामिल है . सरकार द्वारा चुने गए चार प्रमुख श्रम सुधारों में से एक ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाना और दूसरा कॉर्पोरेट कर दरों को कम करने का बिल भी है।

लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मिडियासे बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी पार्टी सदन में इस सिटिजन विधेयक का विरोध करेगी। “हमारे स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। भाजपा सरकार, भारतीय नागरिकता को धर्म के आधार पर देना चाहती है  जो स्वीकार्य नहीं है.

खबर है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है, जहां सरकार का विपक्ष के साथ अपने विधायी एजेंडे पर चर्चा होगी.

संसद का बजट सत्र  इस वर्ष के आरम्भ में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला सत्र था जो बेहद सफल रहा था. उसमें जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अस्थायी प्रावधान को समाप्त करने वाले,  जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिए कानून बनाने, और ट्रिपल बिल पर लैंडमार्क बिल को मंजूरी देकर इतिहास रचा गया था। यह आजादी के बाद के नए लोकसभा का सबसे अधिक सफल व चर्चित सत्र रहा था।

 

उक्त सत्र में कुल मिलाकर, 30 विधेयक, जिनमें वित्तीय विधान भी शामिल थे दोनों सदनों द्वारा मंजूरी दी गई थी. लोक सभा में भी 280 घंटे से अधिक समय तक कामकाज हुआ था जो एक नया बेंचमार्क स्थापित करते हुए 36 बिलों को मंजूरी देने में सफल रहा था .

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दोनों सदनों के समक्ष लंबित एजेंडे और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पार्टी नेताओं के साथ रविवार को एक और बैठक बुलाई है।

 

संसद में लाये जाने वाले बिल :

 

  • किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक,

–    व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक

  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रख-रखाव और कल्याण बिल
  • ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश
  • कर दरों पर अध्यादेश आर्थिक मंदी से निपटने के लिए बिल
  • होम्योपैथी और चिकित्सा की भारतीय प्रणालियों पर राष्ट्रीय आयोगों को स्थापित करने के लिए बिल
  • राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय और दूसरा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए विधेयक

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