गुरुग्राम। अंतिम अर्घ्य अर्पण के साथ आज छठ व्रत का समापन हो गया। शहर की चारों दिशाओं में अवस्थित सभी कालोनियों में लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य की आराधना की और उदीयमान सूर्य को जल व दूध का अर्घ्य अर्पित कर व्रत की पूर्णाहुति की। खास तौर से लक्ष्मण विहार, पालम विहार एक्सटेंशन स्थित धर्म कालोनी की भीम वाटिका, सूरत नगर, राजेन्द्र पार्क, सेक्टर 5, राजीव कालोनी, शीतल कालोनी और अशोक विहार में व्रती महिला व पुरुषों तथा श्रद्धालुओं का तांता लग गया। गुरुग्राम रहने वाले पूर्वमचलियों कि संख्या लगातार बढ़ने के कारण अब दर्जनों स्थानों पर इस महापर्व का आयोजन किया गया, लेकिन आयोजन स्थल अब छोटा पड़ने लगा है।
धर्म कालोनी में समाजसेवी प्रकाश झा की देखरेख में छठ पर्व का आयोजन किया गया जबकि लक्ष्मण विहार- सेक्टर 5 लेबर चौक पर आयोजन की व्यवस्था समाजसेवी बी एन लाल एवं उनकी टीम द्वारा की गई थी। सूरत नगर में डॉ मंडल, लाल बहादुर पासवान, देवानंद झा व राहुल निराला की कोशिश से कार्यक्रम को सफलता मिली जबकि शीतल माता मंदिर में भी बड़ी संख्या में व्रती ने छठ व्रत का अर्घ्य दान किया।
उल्लेखनीय है कि छठ व्रत पूर्वांचल के निवासियों के बेहद महत्व का पर्व है। इसमें डूबते हुए एवं उगते हुए सूर्य की उपासना की जाती है। इस व्रत का नियम इतना कठोर है कि इसके लिए व्रति महिला हों या पुरूष 36 घंटे विना अन्न व जल के रहना पड़ता है। व्रत की मान्यता है कि कोई भी श्रद्धालु किसी भी प्रकार की मनोकामना करते हैं छठ माता इसे पूरी करती हैं। पौराणिक काल से आरम्भ इस पर्व के बारे में कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र को उनके कल्याण के लिए भगवान दीनानाथ सूर्य की उपासना करने का उपदेश दिया था।
पंडित पप्पू झा ने बताया कि आज भी इस पर्व के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा है और अमीर गरीब सभी एक साथ मिल कर इसका आयोजन करते हैं। इससे भाईचारा का संदेश तो मिलता ही है साथ ही अपनी संस्कृति और संस्कार के प्रति भी लोग जागरूक होते हैं।
धर्म कालोनी निवासी प्रकाश झा के अनुसार यहां बड़ी संख्या में पूर्वांचल से सबंध रखने वाले परिवार रहते हैं। पहले लोग इस पर्व को मनाने के लिए अपने गांव व शहर को जाते थे लेकिन अब प्रोफेशनल मजबूरी और ट्रेन व अन्य साधनों में भीड़ बढ़ने के कारण लोगों ने यही मनाना शुरू कर दिया। गुरुग्राम जैसे शहर जो अब मिनी इंडिया का रूप धारण कर चुका है में बिहार, पूर्वी यूपी सहित पूर्वोत्तर राज्यों के लाखों लोग रहते हैं। आज इस पर्व के आयोजन के लिए अब व्यवस्थित जगह की आवश्यकता है। इसके आभव में ही लोग अलग अलग कालोनियों में इसका आयोजन करने लगे है। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों को काफी असुविधा होती है और राज्य प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
समाजसेवी वी एन लाल ने बताया कि उनकी ओर से सामूहिक रूप से छठ पर्व सेक्टर 4 मार्किट स्थित फाउंटेन में किया जाता था। वहां हर वर्ष हजारों की संख्या में व्रति महिला व पुरुष आते थे जबकि श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती थी। इस बार इस फाउंटेन की जगह में मिट्टी डाल कर इसे बंद कर दिया गया। इससे हजारों लोगों को इस बार असुविधा का सामना करना पड़ा। श्री लाल ने बताया कि मजबूरन इस बार सेक्टर 5 लेबर चौक के पास स्थित खाली जमीन में व्यवस्था करनी पड़ी। इस बार प्रथम व अंतिम अर्घ्य के दिन श्रद्धालुओं की संख्या इतनी ज्यादा रही कि उन्हें भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजन के लिए सुविधा मुहैया कराना भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने माना कि इस बार भी जिला प्रशासन व पुलिस का पूरा सहयोग उन्हें मिला लेकिन पर्याप्त जगह नहीं।
सूरत नगर फेज 2 स्थित जोहड़ की साफ सफाई का काम भी छठ समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। यहां आधा दर्जन कालोनियों के लोग इस बार सूर्य उपासना के लिए पहुंचे। यहां सुरक्षा व लाइट के पुख्ता इंतजाम थे लेकिन तलाब के किनारे पक्के नहीं होने के कारण लोगों को कठिनाईयों का सामना करते देखा गया। बताया जाता है कि इस जोहड़ के पक्कीकरन व साफ सफाई एवं सीढ़ियों के निर्माण की मांग यहां के लोग वर्षों से कर रहे हैं लेकिन न तो प्रशासन ने ध्यान दिया और न ही तत्कालीन विधायक व मंत्री ने। यहां हर वर्ष सूरत नगर निवासियों को ही व्यवस्था करनी पड़ती रही है। इस बार भी स्थिति पूर्ववत रही। लोगों का कहना है कि यह जोहड़ राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है। छठ व्रति को इस बात की शिकायत की राज्य सरकार एक तरफ पुराने जलाशय तलाव जोहर के जीर्णोद्धार की योजना लेकर आई है और दावे किए जा रहे हैं कि प्रदेश के सभी पुराने जलाशयों को दोबारा से पुनर्जीवित किया जाएगा लेकिन गुरुग्राम शहर के सूरत नगर स्थित इस पौराणिक तालाब की ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है।
इसी तरह की स्थिति राजेन्द्र पार्क इलाके में रही। यहां लोगों को द्वारका एक्सप्रेस वे के पास पूजा करनी पड़ी।परेशानी इस बात की है कि इस पर्व के नियम बेहद सख्त हैं और पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी है। लेकिन उपयुक्त स्थान नहीं मिलने के कारण श्रद्धालुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ा।
शीतला मंदिर के प्रांगण में भी लगातार कई वर्षों से छठ पर्व के आयोजन की व्यवस्था के लिए प्रशासन की ओर से आनुमति दी जाती है लेकिन यहां आने वाले व्रतियों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि यह स्थान अब संख्या के लिहाज से अपर्याप्त लगने लगी है।