चेन्नई । एमडीएमके प्रमुख वाइको को बड़ी राहत देते हुए, मद्रास उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उन्हें 2009 के देशद्रोह के मामले में एक निचली अदालत द्वारा दी गई एक साल के कारावास की सजा पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति पी डी औडिकेसवालु ने वाइको की अपील पर सुनवाई करते हुए पांच जुलाई को विशेष अदालत द्वारा दी गई सजा निलंबित कर दी।
वाइको की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का आरोप साबित करने के लिए कोई ऑडियो या वीडियो साक्ष्य पेश नहीं किया और पेश किये गये गवाह केवल पुलिसकर्मी थे और कोई सामान्य नागरिक गवाह के रूप में पेश नहीं हुआ।
लोक अभियोजक ए नटराजन ने कहा कि वाइको ने खुद स्वीकार किया है कि उन्होंने यह भाषण दिया था।
लोक अभियोजक ने वाइको से अनुरोध किया कि वाइको पर देश की संप्रभुता के खिलाफ इस तरह का भाषण देने पर रोक लगाई जाए लेकिन इससे अदालत ने इंकार कर दिया। अदालत ने वाइको के वकील से कहा कि वह अपने मुवक्किल को सलाह दें कि अपील के निपटारे तक सार्वजनिक भाषण देते वक्त जिम्मेदारी से काम लिया जाए।
वाइको ने अपनी याचिका में कहा कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ सुनवाई वाली विशेष अदालत ने प्रतिबंधित लिट्टे के समर्थन में उनके कहे शब्दों के संबंध में भादंसं की धारा 124 ए (देशद्रोह) की गलत व्याख्या की थी।