बेंगलुरू । कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिसमें कहा गया कि सदन को उनकी अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद पर विश्वास है। कुमारस्वामी के विश्वास प्रस्ताव पेश करने के साथ ही विपक्षी भाजपा के नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक दिन में पूरी होनी चाहिए। जबकि कुमारस्वामी ने कहा कि आखिर बीएस येदियुरप्पा इतनी जल्दीबाजी में क्यों हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि हमारी सरकार को अस्थिर करने के पीछे कौन हैं? उन्होंने आगे कहा कि स्पीकर की भूमिका खराब करने की कोशिश की जा रही है। हमें कर्नाटक के विकास के लिए काम करना चाहिए। दूसरीं तरफ विधानसभा अध्यक्ष ने बहस के बाद विश्वास मत पर वोटिंग को कल तक के लिए स्थगित कर दिया है।
विश्वास प्रस्ताव जब पेश हुआ तो कांग्रेस के 2 विधायक और बसपा के एन महेश नदारद रहे। कुमारस्वामी ने आगे कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा और चुनौती के लिए मैं तैयार हूं। बीजेपी, सरकार को अस्थिर करने में लगी हुई है। लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ ड्रामा किया जा रहा है। आयाराम-गयाराम विधायकों का सिलसिला चल रहा है। हमें कड़े कानून लाने की जरूरत है ताकि दलबदल को रोका जा सके।
गौरतलब है कि 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कुमारस्वामी सरकार के पास आंकड़ों की कमी है, जिसकी वजह से आज विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाया गया। हालांकि दोनों पार्टियां दावा कर रही है कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा मौजूद है।
मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश किए गए विश्वास मत के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिये स्थगित कर दिया गया।
कांग्रेस सदस्यों द्वारा भाजपा के खिलाफ लगातार की जा रही नारेबाजी के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्णा रेड्डी द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की तरफ से अपनी बात रखी जानी अभी बाकी ही थी।
सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य में सरकार के लिये मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है।
सरगर्मी भरे माहौल में गुरुवार को शुरू हुई सदन की कार्यवाही में 20 विधायक नहीं पहुंचे। इनमें 17 सत्तारूढ़ गठबंधन के हैं। बागी विधायकों में से 12 फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं।
सदन की कार्यवाही को गतिरोध के चलते दो बार थोड़ी थोड़ी देर के लिये स्थगित करना पड़ा और बाद में हंगामे के चलते कार्यवाही को दिन भर के लिये स्थगित कर दिया गया।
सदन की कार्यवाही स्थगित होने से पहले, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने घोषणा की कि उनकी पार्टी के सदस्य रातभर सदन में ही रहेंगे और विश्वास प्रस्ताव पर फैसला होने तक सदन में ही डटे रहेंगे।
येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘हम विश्वास मत के प्रस्ताव पर फैसला होने तक रूके रहेंगे।’’
उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर ठीक तरह से 15 मिनट भी चर्चा नहीं हुई है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं ताकि विश्वास प्रस्ताव को टाला जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘ संवैधानिक रूपरेखा का उल्लंघन हुआ है।’’
येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘ इसका विरोध करने के लिए हम यहां सोएंगे।’
सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब कांग्रेस के एक अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल सदन से गैर-हाजिर दिखे। उनके बारे में ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक बार कांग्रेसी सदस्य सदन में पाटिल की तस्वीर लेकर अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए और “भाजपा हाय-हाय” और “ऑपरेशन कमल हाय-हाय” के नारे लगाने लगे।
कांग्रेस-जद(एस) सरकार को समर्थन दे रहे बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं आए। उनके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह सदन से गैर-हाजिर इसलिए हैं क्योंकि उन्हें विश्वास मत पर कोई रुख तय करने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला है।
शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले गठबंधन को थोड़ी राहत देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामालिंगा रेड्डी ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ रहेंगे और विश्वास मत पर मतदान के दौरान सरकार का समर्थन करेंगे।
कुमारस्वामी ने जोर दिया कि कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के बारे में संशय पैदा किया गया है और इसे देश के सामने लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सच बताना होगा।’’
उन्होंने कहा, “कर्नाटक में जो हो रहा है उसे पूरा देश देश रहा है।”
जैसे ही प्रस्ताव लाया गया विपक्षी भाजपा नेता बी एस येद्दियुरप्पा खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी होनी चाहिए।
इस पर कुमारस्वामी ने येद्दियुरप्पा पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘विपक्ष के नेता काफी जल्दबाजी में दिख रहे हैं।’’
कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सियासी संकट को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष जब तक व्हिप के मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते तब तक के लिये इसे अमल में न लाया जाए।