नई दिल्ली। देश के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य कवरेज़ देने के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एडीए सरकार का यह एक प्रमुख स्तंभ है।
इस भावना को जीवित रखने और सरकार के एक अन्य वादे को पूरा करने के लिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक संसद के नियमों के जरिये भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरे अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा। विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किया जायेगा।
इस कदम से देश में चिकित्सा शिक्षा में पारदर्शिता, जवाबदेही और चिकित्सा शिक्षा के संचालन में गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकेगी।
प्रभाव:
- नये विधेयक में 26.9.2018 से दो वर्ष की अवधि के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिक्रमण की व्यवस्था है।
- इस अवधि के दौरान, शासक मंडल भारतीय चिकित्सा परिषद कानून 1956 के अंतर्गत प्रदत्त भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिकारों और कार्यों को करेगा।
- शासक मंडल के सदस्यों की संख्या वर्तमान 7 से बढ़ाकर 12 कर दी गई है।
पृष्ठभूमि:
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को आईएमसी कानून, 1956 के प्रावधानों और उसके नीचे बने नियमों की अवहेलना कर रहे भारतीय चिकित्सा परिषद के कुछ मनमाने कार्यों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही एमसीआई के कामकाज पर नजर रखने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित निगरानी समिति ने भी उनके निर्देशों का पालन नहीं करने के उदाहरण दिये तथा निगरानी समिति के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया।
इन घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, पारदर्शिता, जवाबदेही और भारत में चिकित्सा शिक्षा के संचालन में गुणवत्ता प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय चिकित्सा परिषद के स्थान पर 26.09.2018 को लागू भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश के स्थान पर एक वैकल्पिक तंत्र स्थापित करने का फैसला किया गया। साथ ही यह भी फैसला किया गया कि इसका कामकाज शासक मंडल को सौंप दिया जाये, जिसमें जानेमाने डाक्टर शामिल होंगे। शासक मंडल का गठन नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पाल की अध्यक्षता में किया गया और इसमें 6 अन्य सदस्य हैं।
विधायी पक्रिया:
इसके बाद, इस अध्यादेश के स्थान पर एक प्रतिस्थापना विधेयक जिसे भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018 नाम दिया गया, उसे 14 दिसम्बर, 2018 को लोकसभा में पेश किया गया और सदन ने 31 दिसम्बर, 2018 को इसे पारित कर दिया। हालांकि, सभी प्रयासों के बावजूद संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विधेयक को राज्य सभा में विचार के लिए नहीं लिया जा सका और इसे पारित नहीं किया जा सका। सदन की बैठक 9 जनवरी, 2019 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद एक नया अध्यादेश लाने का फैसला किया गया ताकि एमसीआई के अधिक्रमण में नियुक्त शासन मंडल को एमसीआई और केन्द्र सरकार के अधिकारों का उपयोग करने की इजाजत दी जा सके, ताकि पिछले अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार शासन मंडल द्वारा किये जा चुके कार्य को वैध माना गया है और उसे जारी रखा जाये।
लोकसभा द्वारा पारित भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018 पर संसद के बजट सत्र – 2019 में राज्य सभा में चर्चा नहीं हो सकी और इसे पारित नहीं किया जा सका। भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरा अध्यादेश 21.02.2019 को लागू किया गया।
16वीं लोकसभा के भंग होने पर संसद में लंबित भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2018 रद्द हो गया। इसके बाद मंत्रिमंडल ने संसद के आगामी सत्र में ताजा भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2019 लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह संसद के नियमों के जरिये भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) दूसरे अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा।