नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2016 में बने काला धन कानून को अप्रैल, 2015 से लागू करने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर मंगलवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने आय कर विभाग द्वारा इस कानून के तहत अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला मामले में आरोपी गौतम खिलाफ के खिलाफ कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने केन्द्र की याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के 16 मई के आदेश पर रोक लगा दी और गौतम खेतान को नोटिस जारी किया। गौतम खेतान को छह सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है।
केन्द्र ने उच्च न्यायालय के इस अंतरिम आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। इस मामले का सोमवार को अवकाशकालीन पीठ के समक्ष उल्लेख करते हुये सालिसीटर जनरल ने कहा था कि इस कानून के आधार पर ही केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने कई जांच शुरू की हैं।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि काला धन (अघोषित विदेशी आमदनी और संपत्ति) और कर का अधिरोपण कानून, जो अप्रैल, 2016 में बना है, को जुलाई, 2015 से लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
गौतम खेतान 3600 करोड़ रूपए के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला मामले के आरोपियों में से एक हैं और उसने काला धन कानून के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को उच्च न्यायालय में चुनौती दे रखी है।
खेतान ने आय कर विभाग के 22 जनवरी के उस आदेश को भी चुनौती दी है जिसक तहत आय कर विभाग ने खेतान के खिलाफ इस कानून की धारा 51 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करने की अनुमति प्रदान की थी। इस कानून के तहत जानबूझ कर टैक्स चोरी करने का दोषी पाये जाने की स्थिति में दोषी को तीन से दस साल तक की सजा हो सकती है।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने केन्द्र से जानना चाहा था कि अघोषित विदेशी आमदनी और संपत्ति के मामलों से निबटने के लिये अप्रैल, 2016 में बनाये गये काला धन कानून को जुलाई 2015 से किस तरह लागू किया जा सकता है।