सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने आज उतर प्रदेश की दो सीटों के लिये लोकसभा प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। वाराणसी से प्रियंका गांधी नहीं बल्कि अजय राय होंगे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार। पार्टी की ओर से जारी सूची के अनुसार गोरखपुर से मधुसूदन तिवारी जबकि वाराणसी से अजय राय लोकसभा के प्रत्याशी होंगे।
इस घोषणा के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने अब तक के कयासों को विराम दे दिया है कि वाराणसी से कौन होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार। अभी तक इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी प्रियंका वाड्रा को चुनाव में उतार सकती है। इस पर प्रियंका का भी बयान कई बार आया कि वे लड़ने को तैयार हैं लेकिन राहुल गांधी की अनुमति मिलेगी तभी वे मैदान में आएंगी। इससे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक तरफ उत्साह देखने को मिल रहा था तो दूसरी तरफ भाजपा में इस बात की चिंता थी कि प्रियंका के मैदान में आने से लड़ाई थोड़ी कठिन हो जाएगी। राजनीति अनिश्चतताओं का खेल है। इसमें कुछ भी सम्भव है इसलिए चिंता की तरंगें भाजपा नेतृत्व के मन में देखी जा रही थी लेकिन भजपा के नेता इस बात से आश्वस्त थे कि पीएम की जीत वाराणसी में निश्चित है। उस क्षेत्र के लॉगों में भी प्रियंका को लेकर कोई खास उत्साह नही था। संभव है कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों को इस बात की आशंका हो कि यहाँ मोदी को शिकस्त देना टेढ़ी खीर है। अगर प्रियंका मोदी से हार गई तो राजनीतिक रूप से बड़ा नुकसान होगा और कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर होगी। वैसे भी अमेठी में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की स्थिति इस बार अपेक्षाकृत कमजोर कही जा रही है क्योंकि उन्होंने केरल से भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इसका फायदा भाजपा को मिलने की संभावना है।।
उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय ही कांग्रेस के उम्मीदवार थे और तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें केवल 75 हजार वोट मिले थे और जमानत जब्त हो गयी थी। तब आप नेता अरविंद केजरीवाल भी मैदान में थे जो दूसरे नंबर पर रहे थे, उन्हें 2,9 लाख वोट मिले थे और मोदी से करारी हार मिली थी।मोदी को 5.81 लाख से अधिक वोट मिले थे। अजय राय भूमिहार समाज से आते हैं और अपने समाज में उनकी मजबूत पैठ है इसलिए कांग्रेस को लगता है कि राय अगर भूमिहार समाज का एकमुश्त वोट ले पाए और मुस्लिम समुदाय के वोट भी कांग्रेस को गए तो स्थिति कुछ और होगी। लेकिन इस बात की सभावना काफी कम है कि भूमिहार पूरी तरह गोलबंद होकर कांग्रेस को वोट करेंगे क्योंकि उन्होंने 2014 में भी अजय राय का हश्र देखा है इसलिए इस बार समाज के मतदाता उन्हें गंभीरता से नहीं ले सकते हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव भी मैदान में हैं। महागठबंधन को लगता है कि कांग्रेस भाजपा के वोट नहीं काट रही बल्कि उनका वोट काट रही है। इसलिए मोदी की राह इस बार भी बेहद आसान लगती है।
दूसरी तरफ कांग्रेस को लगता है कि अगर राय हार भी गए तो इसकी चर्चा उतनी गंभीरता से नहीं होगी जितनी अगर प्रियंका हार जाती तो होती। इसलिए कांग्रेस ने प्रियंका वाड्रा रूपी अपने तुरुप के पत्ते को इस बार चलने से परहेज किया।
इस घोषणा के साथ ही वाराणसी के लोगों में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिलने लगी है। अधिकतर लोग यह मान रहे हैं कि कांग्रेस ने बड़ी हार की आशंका के मद्देनजर ही प्रियंका को वाराणसी से मैदान में नहीं उतारा। लोग कह रहे हैं कि पहली बार ही चुनाव लड़ कर शहीद हो जाना कांग्रेस की संभावनाओं को पलीता लगा देता इसलिए पार्टी ने इस जोखिम से परहेज कर लिया।